- November 9, 2021
कानून-व्यवस्था के साथ सुरक्षा व सम्मान पर आश्वस्त रहें — मुख्यमंत्री योगी :: बेटा, बाबा के रहते डरने की जरूरत नहीं है– अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह
कैराना —मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से 2022 के चुनाव की शुरुआत की।
मुख्यमंत्री ने लोगों को भाजपा सरकार के एजेंडे को पूरा करने का भरोसा देने की कोशिश की तो कानून-व्यवस्था के साथ सुरक्षा व सम्मान पर भी आश्वस्त किया।
कानून-व्यवस्था जिस तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रमुख मुद्दा रहता है उसको देखते हुए मुख्यमंत्री ने एक तरह से वहां के हिंदुओं को यह आश्वासन दिया कि उनकी सरकार के रहते न तो उन्हें बेटियों से छेड़छाड़ होने की चिंता करनी है। भरोसा दिया कि अब किसी व्यापारी को वसूली व रंगदारी का ख्याल भी मन में नहीं लाना चाहिए। मुजफ्फरनगर जैसे दंगों की आशंका भी नहीं है।
प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने जिस तरह मुख्यमंत्री के बगल बैठी एक छोटी बच्ची को संबोधित करते हुए यह कहा,‘ बेटा, बाबा के रहते डरने की जरूरत नहीं है’ उससे भी यह साफ हो जाता है कि भाजपा ने मुख्यमंत्री के इस दौरे के जरिये एक तरह से पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को सुरक्षा और सम्मान के सवाल पर निश्चिंत रहने का संदेश देने का प्रयास किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के समीकरण और वहां के मुद्दों को देखते हुए मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष का यह दौरा संक्षिप्त होते हुए भी सियासी समीकरणों को विस्तार देने वाला है।
कैराना नौ-दस सालों से हिंदू परिवारों के पलायन को लेकर काफी चर्चा में रहा है। विधानसभा से लेकर लोकसभा और राज्यसभा तक यह मुद्दा गूंजता रहा। ऊपर से 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे की तपिश ने जिस तरह पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति को हिंदू-मुस्लिम के खांचे में बांटा, उसके चलते कैराना इस पूरे क्षेत्र की राजनीति का एक प्रतीक बन गया है।
योगी का इस कस्बे में जाने का मतलब सिर्फ एक स्थान पर जाना और कुछ लोगों से मिलना भर नहीं था, बल्कि इसके जरिये ऐसे मुद्दों पर अपनी सरकार की रीति-नीति का संदेश देना था।
लोगों को उनके सम्मान व सुरक्षा की गारंटी देना सरकार की जिम्मेदारी है। रही बात राजनीतिक नफा-नुकसान की तो सियासी दलों का तो यह काम ही है कि वे अपना जनाधार मजबूत करने की कोशिश करते रहें। वहीं रामपुर दौरा इसलिए अहम है कि यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक ऐसा जिला है जो सपा नेता आजम खां के नाते लगातार सुर्खियों में रहा है और उन्हीं के नाते राजनीति में हिंदुओं व मुस्लिमों के ध्रुवीकरण का भी प्रतीक रहा।