कला कृतियों के संरक्षण के लिए समझौता

कला कृतियों के संरक्षण के लिए समझौता

 हिमाचलप्रदेश   —————- राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह तथा कला एवं सांस्कृतिक धरोहर के राष्ट्रीय न्यास (इनटैक) की हिमाचल प्रदेश समन्वयक/अध्यक्ष श्रीमती मल्लिका पठानिया की उपस्थिति में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 47वें स्थापना दिवस के अवसर पर इन्टैक और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

अपनी तरह के इस पहले समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर से सभी प्रकार की कला व शिल्पों के संरक्षण का रास्ता खुलेगा। इन्टैक के भारतीय संरक्षण संस्थान के प्रधान निदेशक श्री नीलाभ सिन्हा तथा हि.प्र. विश्वविद्यालय की ओर से पंजीयक श्री जी.एस. नेगी ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

श्रीमती मालविका पठानिया ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन से इन्टैक प्राचीन कलाकृतियों के संरक्षण के लिए प्रशिक्षण माॅडियूल विकसित करेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम पेंटिंग, पेपर, पांडुलिपियां इत्यादि के संरक्षण पर लक्षित होगा। इससे विद्यार्थियों व विश्वविद्यालय के अध्यापकों के बीच आपसी सहमति बन सकेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के सहयोग से संरक्षण विज्ञान पर अनुसंधान कार्यक्रम विकसित करने पर भी ध्यान दिया जाएगा।

अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग व अग्रणी अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के बीच आदान-प्रदान कार्यक्रम भी इसके मुख्य पहलु रहेंगे। इनटैक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में संरक्षण प्रयोगशाला खोलेगी, जो न केवल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी, बल्कि व्यवहारिक संरक्षण कार्य भी करेगी, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। इसके अलावा, इससे हिमाचल प्रदेश की शिल्पकृतियों के संरक्षण की आवश्यकता भी पूरी होगी।

इनटैक के प्रतिनिधियों ने प्रदेश सरकार का उसके अनेक कार्यक्रमों में सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।

इसके अतिरिक्त, राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री की उपस्थिति में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान (सीआरआई) के बीच एक अन्य समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय व सीआरआई के बीच शैक्षणिक व अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

सीआरआई कसौली अब सम्पूर्ण दक्षिणी-पूर्वी एशिया को टीका उपलब्ध करवाने वाला मुख्य संस्थान है।

संस्थान रैबिस टीका पर भी तैयार करता है।

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