कर्नाटक वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (एफकेसीसीआई) के शताब्दी समारोहों का उद्घाटन

कर्नाटक वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (एफकेसीसीआई) के शताब्दी समारोहों का उद्घाटन

गृह मंत्रालय  (पेसूका) –    राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज शाम (27 जुलाई, 2015) बंगलुरू में कर्नाटक वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (एफकेसीसीआई) के शताब्दी समारोहों का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि एफकेसीसीआई की स्थापना 1916 में भारत रत्न सर एम विश्वेसरैया द्वारा, जो इंजीनियरिंग क्षेत्र के जीनियस, भविष्यदृष्टा, राजनेता और विद्वान पुरूष थे, मैसूर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के रूप में की गई थी। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता से भी पहले विश्वेसरैया ने अपने नारे “औद्योगिकीकरण करें या नष्ट हो जाएं” के साथ औद्योगिकीकरण के आंदोलन की अगुआई की थी।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि कर्नाटक भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले अग्रणीय राज्यों में से एक है। इसकी विकास गाथा भारत की विकास गाथा की प्रतिबिंब है। कर्नाटक के पास एक मददगार पारिस्थितिकी तंत्र में इसे वैश्विक औद्योगिकी परिदृश्य में एक प्रमुख केन्द्र में रूपांतरित कर दिया है। अन्वेषण एवं अनुसंधान व विकास में इसकी उद्यमशील भावना को दुनिया भर में इसे सराहा गया है। कर्नाटक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6 प्रतिशत, स्थायी पूंजी में 7 प्रतिशत और इसके निर्यातों में 13 प्रतिशत का योगदान देता है। कर्नाटक में लगातार सत्तारूढ़ होने वाली राज्य सरकारों ने नियमित रूप से सक्रिय व्यवसाय अनुकूल नीतियों को क्रियान्वित किया है। कर्नाटक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के उपयोग की परम्परा के साथ संसाधन एवं कौशलोन्मुखी, प्रौद्योगिकी तथा ज्ञान आधारित उत्पादों एवं सेवाओं के मजबूत संयोजन के जरिए विकास को बढ़ावा दे रहा है, रोजगार का निर्माण कर रहा है और सम्पदा का सृजन कर रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च विकास दर अर्जित करना गरीबी के अभिशाप से लड़ने का एक मजबूत माध्यम है। भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली आबादी के अनुपात में काफी कमी आई है और यह 2004-05 के 37.2 प्रतिशत की तुलना में गिरकर 2011-12 में 21.9 प्रतिशत रह गई। 2009-10 से 2011-12 की तीन वर्षों की अवधि के दौरान लगभग साढ़े आठ करोड़ लोगों को गरीबी से मुक्ति दिलाई गई। लेकिन विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बनाने के लिए प्रयासरत एक देश गरीबी उपशमन से ही केवल प्रयाप्त संतुष्ट नहीं हो सकता। हमें गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के प्रति वचनबद्ध होना होगा। गरीबी और असमानता की समस्या का एक स्थायी समाधान लाभदायक रोजगार अवसरों का सृजन और एक कुशल श्रम बल का निर्माण है। मेक इन इंडिया, स्किलिंग इंडिया और डिजिटल इंडिया पर सरकार का फोकस इसी लक्ष्य को अर्जित करने का प्रयास है। उन्होंने उद्योग जगत से इन पहलों को उनकी तार्किक परिणति तक पहुंचाने के लिए मदद करने की अपील की।

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