- December 31, 2015
कपड़ा उद्योग के लिये संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना की मंजूरी :- मंत्रिमंडल
पेसूका ————— आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कपड़ा उद्योग के प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए मौजूदा संशोधित पुनर्गठित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (आरआर-टीयूएफएस) के स्थान पर ‘संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस)’ का शुभारंभ करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। यह योजना अधिसूचना जारी होने की तिथि से लागू होगी।
नई योजना में विशेष रूप से निम्नलिखित लक्ष्य रखे गए हैः
ए. परिधान और गारमेन्ट उद्योग को बढ़ावा देकर रोजगार सृजन और निर्यात को बढ़ाना। इससे विशेष रूप से महिलाओं को रोजगार उपलब्ध होगा और वैश्विक निर्यात में भारत के हिस्से में बढ़ोत्तरी होगी।
बी. निर्यात और रोजगार के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र तकनीकी वस्त्रों को प्रोत्साहन देना।
सी. गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार के लिए वर्तमान करघों को बेहतर प्रौद्योगिकी के करघों में बदलने को बढ़ावा देना।
डी. प्रसंस्करण उद्योग में बेहतर गुणवत्ता को प्रोत्साहित करना और गारमेन्ट्स क्षेत्र द्वारा कपड़ों के आयात की जांच करना।
संशोधित योजना से कपड़ा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा। इस योजना से एक लाख करोड़ रूपये के निवेश को आकर्षित करने और 30 लाख से अधिक रोजगारों के सृजन की उम्मीद है।
इसके लिए 17,822 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान को मंजूरी दी गयी है जिसमें से वर्तमान योजनाओं के अधीन प्रतिबद्ध देयताओं के लिए 12,671 करोड़ रुपये और एटीयूएफएस के अधीन नए मामलों के लिए 5,151 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
ऐसे मामले जो सभी तरह से पूर्ण हैं और कपड़ा आयुक्त के कार्यालय में लंबित है उन्हें मौजूदा योजना के तहत सहायता उपलब्ध कराई जाएगी और नई योजनाओँ को भविष्य में प्राप्य प्रभाव से सहायता प्रदान की जाएगी।
कपड़ा आयुक्त के कार्यालय का पुनर्गठन किया जा रहा है। इसके कार्यालय प्रत्येक राज्य में स्थापित किए जाएंगे। नई योजना के तहत प्रस्तावों की जांच, बैंकरों के साथ संयुक्त रूप से सृजित परिसंपत्तियों के सत्यापन और राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ तालमेल रखने सहित उद्योग की स्थापना के लिए कपड़ा आयुक्त कार्यालय के सभी अधिकारी उद्यमियों के साथ नजदीकी संबंध स्थापित करेंगे।
इस योजना के कार्यान्वयन का 01 अप्रैल, 2015 में शुरू की गई आईटीयूएफएस के अधीन ऑनलाइन निष्पादन और निगरानी की जाएगी।
इस योजना के तहत दो बड़ी श्रेणियां होंगी।
i. एपरेल, वस्त्र और तकनीकी कपड़ों के लिये उद्यमियों को पूंजी निवेश पर 5 वर्ष की अवधि के लिए 30 करोड़ रुपये की सीमा की शर्त पर 15 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।
ii. बकाया उप क्षेत्रों को इन्हीं शर्तों पर 20 करोड़ की सीमा की शर्त पर 10 प्रतिशत की दर से सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।
प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना सरकार ने कपड़ा उद्योग को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नई और उचित प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए तथा कपड़ा उद्योग की पूंजी लागत घटाने के उद्देश्य से 1990 में शुरू की थी। वर्ष 1991-2015 के दौरान उद्योग को सहायता के रूप में 21,347 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गयी। इससे 2,71,480 रूपये के निवेश को बढ़ावा मिला। लगभग 48 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर जुटाए गए।
इस योजना को पहले 12वीं योजना के दौरान जारी रखने के लिए संशोधित किया गया था। 2012-2017 अवधि के दौरान 1,51,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने के लिए 11,952 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई इसमें से 9,290 करोड़ रुपये प्रतिबद्ध देयताओँ के लिए और 2,662 करोड़ रुपये नए निवेश के लिए निर्धारित थे। नए निवेश के लिए उपलब्ध कराई गई राशि समाप्त हो चुकी है इसलिए वित्त मंत्रालय से आवंटन बढ़ाने के लिए संपर्क किया गया। योजना में संशोधन से पूर्व योजना की खामियों को दूर करने और व्यापार करने को आसान बनाने में मदद मिलेगी। इससे कपड़ा उद्योग को बढ़े पैमाने पर रोजगार जुटाने और निर्यात बढ़ाने में सहायता प्राप्त होगी।