कन्या भ्रूण हत्या—— नेहा गोस्वामी :: लड़कियों के सपने परंपराओं ने तोड़े— दीक्षा आर्य

कन्या भ्रूण हत्या—— नेहा गोस्वामी  ::   लड़कियों के सपने परंपराओं ने तोड़े— दीक्षा आर्य

कन्या भ्रूण हत्या—— नेहा गोस्वामी

चोरसौ, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड

एक होती है नन्ही बच्ची।
जिसको कोख में ही मार दिया जाता है।।

क्यों मारा? मै यह बताऊगीं।
क्योंकि वो एक लड़की है।

वो बोलती है अपनी माँ से।।
मैं भी अपना जीवन जी लेती।

क्यों मारा आपने मुझे माँ।।
यही पूछने आयी हूँ।

मैं अपना ये संसार को देखती।
एक लड़की की इतनी कीमत।।

तो ये संसार क्यों बना है माँ।
मुझे जीने का पुरा हक है।।

मुझे भी इस दुनिया में आने दो माँ।
मेरी अपनी जिंदगी हैं।।

क्यों मारा आपने मुझे माँ यही पूछने आई हूं।
पत्थर बनी अहिल्या पर आंसू टपकाने आई हूं।।

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लड़कियों के सपने परंपराओं ने तोड़े— दीक्षा आर्य

सिमतोली, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड

हमारे भी है सपने, हम भी कुछ बने।
हम भी कुछ कर के दिखाएं।।

मगर लोगों के ताने, सुन-सुनकर सभी सपने तोड़े।
घुट घुट कर मरते रहे, पर मुंह न खोले।।

चेहरे पर नकली हंसी दिखाते रहे, आंसू छुपाते रहे।
पर परंपरा न तोड़ी, जमाना बोला लड़कियों के नहीं होते सपने।।

मगर हिम्मत न छोड़ी और न हिम्मत तोड़ी।
परंपरा को छोड़े, बेटी को पढ़ाएं, और आगे बढ़ाएं।।

सपने न तोड़ें, हो सके तो साथ निभाएं।।

(चरखा फीचर)

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