- March 20, 2019
ओबीसी आरक्षण पर कमल नाथ पर हथौडा
राज्य सरकार ने 8 मार्च को अध्यादेश
जबलपुर—- कमलनाथ सरकार के ओबीसी को 14 की जगह पर 27 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जज आरएस झा तथा जज संजय द्विवेदी की युगलपीठ ने आदेश लागू करने पर रोक लगाने के साथ ही मुख्य सचिव और चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (डीएमई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
जबलपुर निवासी अर्पिता दुबे, भोपाल निवासी ऋचा पांडेय और सुमन सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि वह नीट परीक्षा-2019 शामिल हुई थी और अगले सप्ताह से उनकी काउंसिलिंग शुरू होने वाली है।
सरकार ने 8 मार्च को जारी किया था अध्यादेश
प्रदेश सरकार ने 8 मार्च को अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण संबंधित एक अध्यादेश जारी किया है। जिसके अनुसार पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है।
पिछड़े वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण में बढ़ोतरी को असंवैधानिक बताते हुए 0याचिकाएं दायर की गयी थीं।
50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण असंवैधानिक
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि वर्तमान में एससी वर्ग के लिए 16 प्रतिशत तथा एसटी वर्ग के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण है।
ओबीसी वर्ग के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण था, जिसे प्रदेश सरकार ने बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। इस प्रकार कुल आरक्षण को प्रतिशत 63 प्रतिशत पहुंच जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने युगलपीठ को बताया कि किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
याचिका में मुख्य सचिव तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) के संचालक को अनावेदक बनाया गया था।
याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाए जाने के आदेश पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।