- November 2, 2015
एस्सार समूह दिवालिया : परिसंपत्तियों की बिक्री
एस्सार समूह ने मुश्किल दौर से गुजर रहे अपने इस्पात कारोबार को संभालने के लिए नई नीति तैयार की है। इसके तहत समूह अगले साल मार्च तक 11,200 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों की बिक्री करेगा। इसके अलावा कर्जदाताओं को भुगतान के लिए प्रवर्तक भी 1,500 करोड़ रुपये निवेश करेंगे। इस योजना में लंदन स्थिति होल्डिंग कंपनी एस्सार ऑयल में 49 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री शामिल नहीं है। यह हिस्सेदारी 2.8 अरब डॉलर मूल्य के नकद सौदे में रूस की कंपनी रोजनेफ्ट को बेची जाएगी। इस रकम से समूह की कंपनी होल्डको के कर्ज को कम किया जाएगा।
समूह एस्सार स्टील के कर्ज को कम करने में इसलिए भी तेजी दिखा रहा है, क्योंकि रेटिंग एजेंसियों ने कंपनी को 30,500 करोड़ रुपये कर्ज भुगतान को चूक श्रेणी (डिफॉल्ट कैटेगरी में डाल दिया है। इससे कंपनी के कर्जदाताओं ने जल्द कर्ज भुगतान करने को कहा है। कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि इस्पात की कीमतों में आई कमी, कृष्णा-गोदावरी बेसिन से गैस आपूर्ति घटने और 2011 में नक्सली हमले में किरंदुल-विशाखापत्तनम पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने से एस्सार स्टील की मुश्किलें बढ़ी हैं।
गैस आपूर्ति घटने से कंपनी के हजीरा संयंत्र की क्षमता घटकर महज 40 फीसदी रह गई है, जिससे कंपनी को 4,500 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ है। इसके अलावा ओडिशा में स्लरी पाइपलाइन को पर्यावरण संबंधी अनुमति मिलने में देरी से भी संयंत्र के लिए कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इससे भी कंपनी को करीब 2,500 करोड़ रुपये का झटका लगा है। यह कहानी केवल एस्सार स्टील की ही नहीं है। सेल, टाटा स्टील, जेएसपीएल और जेएसडब्ल्यू भी कोयला खदानों का आवंटन रद्द होने, इस्पात की घटती कीमतें और चीन से आए सस्ते उत्पाद आदि से जूझ रही हैं।
एस्सार के अधिकारियों ने कहा कि तय योजना के तहत कंपनी अपनी दो स्लरी पाइपलाइनों और कोक ओवन संयंत्र की बिक्री करेगी। इसके अलावा कंपनी अपनी दूसरी पाइपलाइन भी 4,000 करोड़ रुपये में बेचेगी। इस्पात क्षेत्र में हालात सुधरने तक कंपनी ने नई नियुक्तियों पर भी रोक लगाने का निर्णय किया है। कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि इन सभी उपायों से कर्ज कम करने में मदद मिलेगी और अंतिम समय के लिए पूंजीगत व्यय में भी आसानी होगी।
एस्सार स्टील इंडिया के कार्यकारी उपाध्यक्ष फिरदौस वांद्रेवाला ने कहा, ‘पिछले तीन साल के दौरान प्रवर्तकों ने बतौर पूंजी 8,000 करोड़ रुपये दिए हैं और अब वित्त वर्ष 2016 में वे अतिरिक्त 1500 करोड़ रुपये देंगे। सभी पुराने मुद्दे हल हो चुके हैं और परियोजनाएं भी पूरी हो गई हैं। इन सकारात्मक बातों का असर अगली 2 से 3 तिमाहियों में देखने को मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि इस्पात पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाए जाने से देसी इस्पात कंपनियों को थोड़ी राहत मिली है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न स्रोतों सेपिछले तीन साल के दौरान बैंकों को 20,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि अब चुनौतियों से निपट लिया गया है और बैंकों से अतिरिक्त क्रियाशील पूंजी प्राप्त करने के बाद कंपनी अपनी क्षमता का इस्तेमाल अधिक से अधिक करने पर ध्यान देगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में राजस्व और मुनाफा अधिक रहने से सभी देनदारियां पूरी तरह निपटाने में मदद मिलेगी।