- March 28, 2015
एसपीवी के जरिये रेल रिक्तिकरण प्रणाली – मंत्रिमंडल
एसपीवी के तहत निम्नलिखित परियोजनाओं पर काम होगा
1. प्रमुख बंदरगाहों से अंतिम दूरी (आखिरी मील) संपर्क कायम करना
2. बंदरगाहों में रिक्तिकरण ढांचे इन्फ्रास्ट्र्क्चर के आधुनिकीकरण का काम
3. आंतरिक पोर्ट रेलवे प्रणाली का परिचालन और प्रबंधन
4.बंदरगाहों से जुड़े रेल परियोजनाओं के वित्त पोषण (फंडिंग) के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना
प्रमुख बंदरगाहों ने ऐसी 40 परियोजनाओं की पहचान की है, जिनमें अंतिम दूरी (आखिरी मील) संपर्क परियोजनाएं और बंदरगाह रेल परियोजनाएं शामिल होंगी। इसके लिए 2372 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी।
एसपीवी को सभी प्रमुख 12 बंदरगाह और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) फंड मुहैया कराएंगे। प्रमुख बंदरगाह इस फंड का 90 प्रतिशत मुहैया कराएंगे, जबकि आरवीएनएल 10 फीसदी राशि देगी।
एसपीवी भारतीय रेलवे के साथ तालमेल बिठा कर काम करेगा और इसके मौजूदा भागीदारी मॉडल को भी मजबूती देगा ताकि बंदरगाहों से आखिरी मील संपर्क बढ़ाया जा सके। एसपीवी के काम की वजह से बंदरगाहों तक कार्गो पहुंचने का समय कम हो जाएगा और इस वजह से उद्योगों लिए लॉजिस्टिक लागत घट जाएगी।
बंदरगाहों तक संपर्कों को और मजबूत करने पर ध्यान देने वाला एसपीवी सरकार के महत्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम के भी अनुकूल साबित होगा क्योंकि इससे बंदरगाहों के जरिये होने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विकास के लक्ष्य को बढ़ावा मिलेगा। इससे बंदगाहों से वस्तुओं की जल्दी और सक्षम तरह से रिक्तिकरण के लिए बुनियादी ढांचा ( इन्फ्रास्ट्रक्चर) तैयार हो सकेगा।
एसपीवी कंपनी कानून के तहत एक कंपनी के तौर पर रजिस्टर्ड होगा, जिसकी शुरुआती अधिकृत पूंजी 500 करोड़ रुपये होगी। शुरुआती सब्सक्राइव्ड शेयर पूंजी 100 करोड़ रुपये होगी। बाद में यह बहुस्तरीय फंडिंग एजेंसियों और दूसरे वित्तीय संस्थानों से संसाधन जुटाएगी ताकि बंदरगाह कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए धन की जरूरत पूरी होती रहे। एसपीवी में ऐसे पेशेवर जुड़े होंगे जनके पास परिवहन और बंदरगाह लॉजिस्टिक का अऩुभव होगा। एसपीवी का मुख्यालय मुंबई में होगा और पंजीकृत कार्यालय दिल्ली में होगा।