- December 4, 2014
एशिया-यूरोप के देशों में आपदा बचाव दो दिवसीय गोलमेज बैठक
गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने संयुक्त रूप से इस गोलमेज बैठक का आयोजन किया है। एशिया-यूरोप के मिल रहे देशों में ‘आपदा बचाव प्रयासों में तकनीकी नवाचार के प्रयोग’ के तरीकों पर चर्चा के अलावा पूर्वी एशियाई देशों के बीच सातों दिन 24 घंटे सम्पर्क व्यवस्था का पूर्वावलोकन तथा यथार्थ ज्ञान आधारित पोर्टल का उद्घाटन भी इस बैठक के कार्यक्रम में शामिल हैं।
पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन-ईएएस के विदेश मंत्रियों के बीच आपदा प्रबंधन और राहत उपायों पर 22 जुलाई, 2011 को बाली में चर्चा हुई थी। उस समय अधिकांश देशों ने ईएएस के सदस्य देशों के बीच इस विषय पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया था। इससे प्रेरित होकर 19 नवम्बर, 2011 को बाली में पहली पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन कार्यशाला-2012 का आयोजन किया गया। जिसके बाद एशिया-यूरोप देशों-एएसईएम के विदेश मंत्रियों की आपदा प्रबंधन पर गोलमेज बैठक नई दिल्ली में नवम्बर, 2013 में को हुई। फलस्वरूप इन बैठकों ने आपदा प्रबंधन पर गोलमेज पहल का रूप ले लिया।
कल से शुरू हो रही दो दिवसीय गोलमेज बैठक में एएसईएम तथा ईएएस देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। इसके अलावा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे एडीपीसी, यूएन-एसपीआईडीईआर, यूनिसेफ, यूएनईएससीएपी, एनएसईटी और ईसीएचओ के प्रतिनिधि भी इन बैठकों में शामिल होंगे। विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों और तकनीकी संस्थानों के अधिकारी एवं विशेषज्ञ भी बैठक में शिरकत करेंगे।
बैठक के दौरान भारतीय उद्योग और वाणिज्य परिसंघ- फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज) ‘आपदा बचाव प्रयासों में तकनीकी नवाचार’ पर एक प्रदर्शनी का आयोजन भी करेगा। इस प्रदर्शनी में घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय उद्योग जगत के 40 से अधिक भागीदार भाग लेंगे।
एएसईएम देशों में आपदा बचाव के प्रयासों में तकनीकी नवाचार का प्रयोग बैठक का मुख्य उद्देश्य होगा। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा के जोखिम की मूल्याकंन विधि, इससे राहत और इस पर प्रतिक्रिया देने चर्चा की भी जाएगी। साथ ही सूचनाओं को साझा करने के लिए यथार्थ ज्ञान आधारित पोर्टल का उद्घाटन भी किया जाएगा।
बैठक के दौरान आपदा में विदेशी सहायता प्राप्त करने के अवसरों पर चर्चा भी होगी और पूर्वी एशियाई देशों में इससे संबद्ध व्यवस्था कायम करने के तंत्र पर विचार किया जाएगा। इस तथ्य पर भी चर्चा की जाएगी कि आपदा के समय बचाव के लिए तकनीकी नवाचार का उपयोग किस तरह किया जाए तथा इस दौरान सरकारी सहायता में लगने वाले समय में किस तरह कमी लाई जाए।