एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक ( 6.4 फीसदी ) वेतन भारत में

एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक ( 6.4 फीसदी ) वेतन  भारत में

बिजनेस स्टैंडर्ड———– कोविड-19 महामारी के बीच दवा, उच्च तकनीक और उपभोक्ता उत्पाद क्षेत्रों में बढ़ोतरी की बदौलत भारत में 2021 के दौरान वेतन बढ़ोतरी सात फीसदी रहने के आसार हैं, जो एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक होगी। विलिस टावर्स वॉटसन के ताजा वेतन बजट योजना सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में वर्ष 2021 में औसत वेतन बढ़ोतरी 6.4 फीसदी अनुमानित है। यह पिछले साल की माध्य बढ़ोतरी 7.5 फीसदी से कम है। वर्ष 2020 मे औसत बढ़ोतरी 5.9 फीसदी रही।

वेतन बजट योजना रिपोर्ट नैसडैक में सूचीबद्ध विल्स टावर्स वॉटसन डेटा सर्विसेज प्रैक्टिस ने संकलित की है। यह सर्वेक्षण अक्टूबर-नवंबर 2020 में ऑनलाइन किया गया था, जिसमें 130 देशों में 18,000 लोगों की प्रतिक्रिया ली गई। वर्ष 2021 में माध्य वृद्धि के लिहाज से एशिया प्रशांत में भारत के बाद प्रमुख देशों में इंडोनेशिया (6.5 फीसदी), चीन (6 फीसदी), फिलिपींस (5 फीसदी), सिंगापुर (3.5 फीसदी), हॉन्ग-कॉन्ग (3 फीसदी) शामिल हैं।

विल्स टावर्स वॉटसन इंडिया में सलाहकार प्रमुख (प्रतिभा एवं पुरस्कार) राजुल माथुर के मुताबिक हालांकि भारत में कंपनियां कोविड-19 संकट के आर्थिक नतीजों के लिए कदम उठा रही हैं, लेकिन कारोबारी सुधार की उम्मीद बढ़ी है।

हालांकि अभी यह उम्मीद वेतन बढ़ोतरी बजट में तब्दील नहीं हुई है। माथुर ने कहा, ‘वेतन बजट बीते वर्षों की तुलना में कम हैं, इसलिए कंपनियों के अहम एवं अधिक कुशल प्रतिभाओं को बनाए रखने पर पैसा खर्च करने को प्राथमिकता देने के आसार हैं। हम 2021 के दौरान प्रदर्शन के हिसाब से वेतन और कारोबारी उत्पादन आधारित वेतन पर अधिक जोर रहने की उम्मीद कर सकते हैं।’

भारत में वर्ष 2021 में वेतन में बढ़ोतरी तीन क्षेत्रों- दवा, उच्च तकनीक और उपभोक्ता उत्पाद की बदौलत रहने के आसार हैं। इन क्षेत्रों के तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने और अन्य क्षेत्रों से ज्यादा वेतन बढ़ोतरी की संभावना है।

विल्स टावर्स वाटसन इंडिया में निदेशक (रिवॉड्र्स) अ्िरवंद उसरेटी ने कहा, ‘सभी क्षेत्रों पर कोविड-19 के असर का स्तर अलग-अलग रहा है। आतिथ्य, विमानन, यात्रा एवं पर्यटन जैसे कुछ क्षेत्रों पर अन्य से ज्यादा चोट पड़ी है। दवा, एफएमसीजी, ई-कॉमर्स और उच्च तकनीक जैसे क्षेत्रों में वृद्धि हुई है और इसका पता उनकी 2021 की नियुक्ति योजनाओं और वेतन बजट से चलता है।’ इसके नतीजतन उच्च तकनीक, दवा और उपभोक्ता उत्पाद एवं खुदरा क्षेत्र में औसत वेतन बढ़ोतरी करीब आठ फीसदी अनुमानित है। यह सामान्य उद्योग के अनुमानित वृद्धि सात फीसदी से अधिक है।

क्षेत्रों के लिहाज से रसायन (7.4 फीसदी), वित्तीय सेवाएं (7 फीसदी) और विनिर्माण में 2021 के दौरान बेहतर बढ़ोतरी का अनुमान है। यह बीपीओ (6 फीसदी) जैसे अन्य क्षेत्रों से अधिक है। हालांकि ऊर्जा क्षेत्र में सबसे कम बढ़ोतरी 4.6 फीसदी रहने का अनुमान है। वेतन में बढ़ोतरी का यह अनुमान ऐसे समय जारी हुआ है, जब भारत में सर्वेक्षण में शामिल 37 फीसदी कंपनियां अगले 12 महीनों के दौरान सकारात्मक कारोबारी राजस्व परिदृश्य का अनुमान जा रही हैं।

यह 2020 की तीसरी तिमाही में 18 फीसदी के मुकाबले अधिक है। लेकिन तुलनात्मक रूप से आशावादी अनुमानित कारोबारी परिदृश्य के बावजूद नियुक्तियों की रफ्तार अभी तेज नहीं हुई है। सर्वेक्षण में पाया गया है कि भारत में केवल 10 फीसदी संगठनों ने नई नियुक्तियों की योजना बनाई है, जो पिछली तिमाही में 14 फीसदी थे।

भारतीय कंपनियों के शेष कर्मचारियों की तुलना में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों के वेतन में ज्यादा वृद्धि के आसार हैं। वेतन बढ़ोतरी बजट का औसतन 20.6 फीसदी हिस्सा सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों के लिए रखा जाएगा, जो भारत में 10.3 फीसदी कर्मचारियों को प्रस्तुत करता है। दूसरे शब्दों में औसत प्रदर्शन करने वाले को प्रत्येक एक रुपये के आवंटन पर बेहतर प्रदर्शन करने वालेों को 2.35 रुपये का आवंटन होगा। वहीं औसत से ऊपर के कर्मचारियों को 1.25 रुपये का आवंटन होगा।

प्रबंधन और प्रदर्शन स्तर के लिहाज से 2021 में कार्याधिकारी स्तर पर औसत वेतन बढ़ोतरी सात फीसदी अनुमानित है। यह पिछले साल में 7.1 फीसदी की तुलना मेंं थोड़ी कम है। मध्य प्रबंधन, पेशेवरों और सहायक कर्मचारियों की वेतन वृद्धि 2021 में 7.3 फीसदी अनुमानित है। यह 2020 में 7.5 फीसदी की तुलना में कम है। वहीं उत्पादन मैनुअल श्रमिकों की वेतन वृद्धि 2021 में 7.2 फीसदी अनुमानित है, जो पिछे साल 7.7 फीसदी थी।

माथुर ने कहा कि सभी प्रबंधन स्तरों में वेतन वृद्धि के रुझान और प्रदर्शन स्तर पर बदलते वर्चुअल कार्य माहौल का असर पड़ रहा है। माथुर ने कहा, ‘वर्चुअल काम का माहौल बढऩे से संबंधित अप्रत्याशित बदलावों से वितरित नेतृत्व की भूमिका सामने आई है। संगठनों को उन नेतृत्वकर्ताओं को चिह्नित, पहचानने और पुरस्कृत करने के ढांचे विकसित करने चाहिए, जिन्होंने बदलाव की अगुआई करने का प्रदर्शन किया है और उत्पादकता पर सकारात्मक असर डाला है।’

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