• April 29, 2016

उद्यम प्रोत्साहन नीति, 2015 :: 15 एमओयू : रोज़गार उपलब्ध करवाने के प्रयास

उद्यम प्रोत्साहन नीति, 2015 :: 15 एमओयू : रोज़गार उपलब्ध करवाने के प्रयास

चण्डीगढ़  —— हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में उद्यम प्रोत्साहन नीति, 2015 के तहत अधिक से अधिक युवाओं को रोज़गार उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

युवाओं के कौशल विकास पर भी बल दिया जा रहा है ताकि वे उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार अपना कौशल विकास कर सकें। मुख्यमंत्री आज यहां इन्स्टीटयूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्यूनिकेशन (आईडीसी) में उत्तर पश्चिमी राज्यों पर विशेष बल के साथ राज्यों के विकास पर आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने के एक प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है और इस युवाओं को कम से कम 100 घंटे काम भी करना होगा।। उन्होंने कहा कि संगठित क्षेत्र में अकुशल श्रमिकों को कम से कम 7600 रुपए तथा कुशल श्रमिक को 9700 रुपए मानदेय दिया जा रहा है।

इस मानदेय में मुद्रास्फीति के साथ अनुसार वृद्धि की जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा कृषि के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र में भी देशभर में अग्रणी है। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उद्यम प्रोत्साहन नीति, 2015 बनाई गई है।

इस नीति का उद्देश्य हरियाणा को निवेश के लिए पंसदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करना और प्रदेश का संतुलित औद्योगिक विकास सुनिश्चित करना है। इस नीति का लक्ष्य कारोबार की सहूलियत बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये का पूंजीनिवेश आकर्षित करना और चार लाख रोजगार के अवसर पैदा करना है।

कुशल युवकों के लिए उद्योगों में भी रोजगार के अवसर तलाशे जाएंगे।   मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने तथा समग्र विकास और खाद्य सुरक्षा के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देना समय की मांग है। नई उद्यम प्रोत्साहन नीति में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को कई तरह के प्रोत्साहन और रियायतें दी गई हैं।

उन्होंने कहा कि गत 7-8 मार्च, 2016 को गुडग़ांव में आयोजित हैपनिंग हरियाणा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 5.84 लाख करोड़ रुपये के निवेश के 359 समझौते हुए।

48 समझौते कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और सम्बद्ध   उद्योगों के लिए हुए। इनमें 13,457 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 21,541 लोगों को रोजगार मिलेगा।

टैक्सटाइल/वस्त्र आदि में 15 एमओयू हुए, जिनसे 410 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 6,067 लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। देश में कुल फल व सब्जी उत्पादन के लगभग दो प्रतिशत का प्रसंस्करण होता है।

खाद्यान्नों के मामले में यह 3.9 प्रतिशत तथा सब्जी एवं फलों के मामले में 18 प्रतिशत तक है। इसके लिए हमें खाद्य प्रसंस्करण और कोल्ड चेन का इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए भारी निवेश करना होगा। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र को मिलकर आगे बढऩा होगा।

खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में उत्तर-पश्चिमी राज्य अर्थात् हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और केन्द्रशासित प्रदेश चण्डीगढ़ यदि मिलकर काम करें तो इस क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता हासिल की जा सकती है। इस मौके पर आईडीसी के निदेशक तथा पीजीआरसी के चेयरमैन डा. प्रमोद कुमार, नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद और आईडीसी चेयरमैन व पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रो. वाई.के. अलघ ने भी संबोधित किया।

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