उत्तर प्रदेश ने एथेनॉल अर्थव्यवस्था में 12,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार

उत्तर प्रदेश ने एथेनॉल अर्थव्यवस्था में 12,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार

ChiniMandi — लखनऊ : भारत के प्रमुख गन्ना और एथेनॉल उत्पादकों में से एक उत्तर प्रदेश ने एथेनॉल अर्थव्यवस्था में 12,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है। इसके अलावा, राज्य की एथेनॉल क्षमता 2 बिलियन लीटर प्रति वर्ष आंकी गई है, जो पांच साल पहले 240 मिलियन लीटर प्रति वर्ष से लगभग आठ गुना अधिक है।

बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग के अतिरिक्त सचिव संजय भूसरेड्डी के अनुसार, अगले कुछ वर्षों में राज्य की एथेनॉल क्षमता 2.25 अरब लीटर प्रति वर्ष तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि, निजी क्षेत्र की डिस्टिलरीज ने पिछले पांच वर्षों में राज्य की समग्र एथेनॉल क्षमता को उन्नत करने के लिए लगभग 7,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को उचित मूल्य प्रदान करने और इस क्षेत्र को चीनी बाजार की चक्रीय प्रकृति से बचाने के लिए गन्ने की फसल को आकर्षक एथेनॉल मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकृत करने का प्रयास कर रही है। मौजूदा 2022-23 गन्ना पेराई सत्र में, पांच निजी मिलें चीनी का उत्पादन किए बिना सीधे गन्ने के रस से एथेनॉल का निर्माण करेंगी। इसके अलावा, 71 अन्य मिलें बी-हैवी मोलासेस से एथेनॉल का उत्पादन करेंगी। इस बीच, राज्य का गन्ना क्षेत्र 3 प्रतिशत या 84,000 हेक्टेयर बढ़कर 2.85 मिलियन हेक्टेयर से अधिक होने का अनुमान है, जबकि चालू सीजन में गन्ने का उत्पादन 234.8 मिलियन टन (MT) होने का अनुमान है। वर्तमान पेराई सत्र में कुल 120 चीनी मिलें (93 निजी इकाइयाँ, 24 सहकारी इकाइयाँ और तीन यूपी राज्य चीनी निगम इकाइयाँ) भाग लेंगी।

उत्तर प्रदेश में एथेनॉल की ओर गन्ने के मोड़ के बराबर लगभग 1.5 मिलियन टन चीनी की कटौती के बाद चीनी उत्पादन 11 मिलियन टन तक पहुँचने का अनुमान है।

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