ई-कॉमर्स सेक्‍टर —-अमेजन, फ्लिपकार्ट, फेसबुक, यूट्यूब-अन्य–

ई-कॉमर्स सेक्‍टर —-अमेजन, फ्लिपकार्ट, फेसबुक, यूट्यूब-अन्य–

पटना —– ई-कॉमर्स सेक्‍टर में कामकाज के तरीकों में बड़ा बदलाव हो सकता है. इसका असर अमेजन, फ्लिपकार्ट, फेसबुक, यूट्यूब और अन्‍य कंपनियों पर पड़ेगा. इन कंपनियों को एक तय अवधि में ऑडिट कराना होगा.

सेक्‍टर पर नजर रखने के लिए एक नियामक (रेगुलेटर) बनेगा. ई-कॉमर्स पॉलिसी के मसौदे में इसका प्रावधान किया गया है. सरकार इसे अंतिम रूप दे रही है. इसे जल्‍द ही सार्वजनिक किया जाएगा.

पॉलिसी के ड्राफ्ट में साफ कहा गया है कि अगर सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों से कोई ब्‍योरा देने को कहती है, तो उन्‍हें 72 घंटों के अंदर इसे उपलब्‍ध कराना होगा. ऐसा नहीं करने पर उन्‍हें पेनाल्‍टी देनी होगी. ईटी ने इस ड्राफ्ट को देखा है.

एक अधिकारी ने बताया कि फोकस ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने पर होगा. यूजर्स का डेटा विदेश में स्‍टोर करने वाली कंपनियों को समय-समय पर ऑडिट कराना होगा. डेटा लोकलाइजेशन से दूरी बनाने की कोशिश की गई है. इस तरह पिछले साल के ड्राफ्ट से यह अलग है. तब विदेश में यूजर का डेटा स्‍टोर करने पर सख्‍त नियंत्रण लगाने की मांग की गई थी.

नई ड्राफ्ट पॉलिसी में सेक्‍टर के लिए एक रेगुलेटर का प्रस्‍ताव किया गया है. ई-कॉमर्स कानून बनाने के लिए कहा गया है. ये कानून सूचनाओं के भंडारण, इनके इस्‍तेमाल, ट्रांसफर, प्रोसेस और विश्‍लेषण को लेकर इन कंपनियों पर अंकुश लगाएंगे. ये सरकार को देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वाली किसी ई-कॉमर्स कंपनी की गतिविधि के खिलाफ समीक्षा, जांच और कार्रवाई करने का भी अधिकार देंगे.

नई ड्राफ्ट ई-कॉमर्स पॉ‍लिसी को उद्योग एवं आंतरिक व्‍यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) अंतिम रूप दे रहा है. सभी पक्षों के सुझाव लेने के बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा. इसके बाद लोगों से इस पर प्रतिक्रिया ली जाएगी.

डेटा स्‍टोरेज की सुरक्षा

ड्राफ्ट के अनुसार, सरकार उपयुक्‍त हितधारकों से सलाह-मशविरा लेने के बाद ई-कॉमर्स की कैटेगरी को परिभाषित करेगी. इन्‍हें डेटा के लोकल स्‍टोरेज का बंदोबस्‍त करना होगा. जिन कैटेगरी को ऐसा करने के लिए कहा जाएगा, उन्‍हें व्‍यापक ऑडिट के जरिये डेटा स्‍टोरेज लोकेशन पर पर्याप्‍त सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.

नए क्षेत्रों को कवर किया जाएगा

नई ड्राफ्ट पॉलिसी उन विक्रेताओं को ऑनलाइन के दायरे में लाएगी जो अभी ऑफलाइन हैं. इसके लिए उन्‍हें कंप्‍यूटराइजेशन और डिजिटल पेमेंट की व्‍यवस्‍था अपनाने के लिए मदद दी जाएगी.

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