- December 11, 2014
आश्रम से 37 बच्चें मुक्त : फादर जेल की हवा में
बिहार – वैशाली जिले के चकबाजा स्थित लोक सेवा आश्रम में अनाथ बच्चों व बच्चियों के साथ दुष्कम के मामले में आश्रम संचालक प्रद्युम्न कुमार को दोषी करार दिया गया। संचालक ने अपने को फादर टेरेसा घोषित कर रखा था।
अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम सह विशेष अदालत के न्यायाधीश बीके तिवारी ने बुधवार को खचाखच भरी अदालत में संचालक को दोषी करार दिया। गुरुवार को सजा की घोषणा होगी। पाक्सो के तहत वैशाली जिले का पहला और राज्य में यह दूसरा मामला है, जिसमें यह फैसला आया।
संचालक के खिलाफ पटेढ़ी बेलसर (वैशाली) थाने में 27 अक्टूबर 2013 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तब तत्कालीन डीएम के निर्देश पर अंचलाधिकारी ने आश्रम में जांच कर 37 बच्चों को मुक्त कराया था। प्रद्युमन की इस हरकत का खुलासा उस समय हुआ जब इन बच्चों और बच्चियों में से कुछ के बीमार पड़ने पर उन्हें मुजफ्फरपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद वैशाली के तत्कालीन जिलाधिकारी जितेंद्र श्रीवास्तव ने अंचलाधिकारी को घटना की जांच का आदेश दिया था।
हाजीपुर में श्रम अधीक्षक, अंचलाधिकारी और चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक ने बच्चों और बच्चियों का बयान लिया और उसी के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया। तभी से संचालक जेल में है। बच्चों के बयान को रिकॉर्ड भी किया गया। संचालक पर बच्चों और बच्चियों के साथ यौनाचार करने का आरोप लगाया गया। बाद में मेडिकल टीम ने उनकी जांच की। बच्चों का यह भी आरोप था कि संचालक की बात नहीं मानने पर उन्हें पीटा जाता था। साथ ही कभी भी भर पेट भोजन नहीं दिया गया।
भादवि की धारा 376, 377 आदि में प्राथमिकी दर्ज हुई और उसके बाद लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धाराएं 4, 6 और 8 जोड़ी गईं। जमानत के लिए बचाव पक्ष हाईकोर्ट भी गया पर वहां से कोई राहत नहीं मिली।
सरकार की ओर से मामले को कंडक्ट कर रहे विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि इस मामले में कुल पंद्रह गवाहियां अदालत में पेश की गई, जिनमें पीड़ित बच्चे और बच्चियां भी थीं। उनके अलावा अंचलाधिकारी, श्रम अधीक्षक, चाइल्ड लाइन के समन्वयक, मेडिकल बोर्ड के सभी तीन डाक्टर, सीजेएम के आदेश पर धारा 164 के तहत अदालत में बयान लेने वाले न्यायिक पदाधिकारी प्रथम, वैशाली और पठेढ़ी बेलसर के थानाध्यक्षों की भी अदालत में गवाहियां हुईं। न्यायाधीश ने सुनवाई करते हुए भादवि की धाराएं 376 व 377 तथा पाक्सो की धाराएं 6 व 8 के तहत संचालक को दोषी करार दिया।
पाक्सो के तहत दस साल से उम्रकैद तक की सजा
द प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल आफेसेंज एक्ट (पाक्सो) के तहत अपराध की गंभीरता पर सजा का प्रावधान है। यह एक्ट 2012 में लागू किया गया। इसकी धारा 6 के तहत कठोर कारावास का प्रावधान है। इसके तहत कारावास की अवधि दस साल से कम नहीं होगी और अधिकतम उम्रकैद तक हो सकती है। साथ ही आर्थिक दंड भी लगाए जाने का प्रावधान है। यह धारा अपने संरक्षण या अभिरक्षा में रह रहे बालकों पर संस्था के संरक्षक या प्रबंधन द्वारा लैंगिक हमला करने से संबंधित है।