आर्थिक विकास की समीक्षा —वित्त मंत्रालय

आर्थिक विकास की समीक्षा —वित्त मंत्रालय

पेसूका————-वैश्विक स्‍तर पर सुस्‍ती छाई रहने के बावजूद भारत अपेक्षाकृत कम महंगाई, राजकोषीय अनुशासन एवं सामान्‍य चालू खाता घाटे के साथ-साथ आम तौर पर स्थिर रुपया-डॉलर विनिमय दर के वृहद आर्थिक परिदृश्‍य को बरकरार रखने में सफल रहा है।

केन्‍द्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमानों के मुताबिक, वित्‍त वर्ष 2016-17 के दौरान स्थिर बाजार मूल्‍यों पर जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2015-16 में यह दर 7.6 प्रतिशत थी।

यह अनुमान मुख्‍यत: वित्‍त वर्ष के प्रथम 7-8 महीनों के लिए प्राप्‍त सूचना के आधार पर लगाया गया है। सरकार का अंतिम उपभोग व्‍यय चालू वर्ष के दौरान जीडीपी में हुई वृद्धि में मुख्‍य रूप से सहायक रहा है।

वित्‍त वर्ष 2016-17 में नियत निवेश (सकल नियत पूंजी निर्माण) एवं जीडीपी का अनुपात (वर्तमान मूल्‍यों पर) 26.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2015-16 में यह अनुपात 29.3 प्रतिशत था।

वित्‍त वर्ष 2017-18 में विकास की रफ्तार सामान्‍य हो जाने की आशा है, क्‍योंकि अपेक्षित मात्रा में नये नोट चलन में आ गए हैं, और इसके साथ ही विमुद्रीकरण के बाद आवश्‍यक कदम भी उठाए गए हैं।

यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था फिर से तेज रफ्तार पकड़ कर वर्ष 2017-18 में 6.75 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत के स्‍तर तक आ जाएगी।
राजकोषीय

अप्रत्‍यक्ष करों के संग्रह में अप्रैल–नवम्‍बर 2016 के दौरान 26.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

अप्रैल-नवम्‍बर 2016 के दौरान राजस्‍व व्‍यय में हुई खासी वृद्धि मुख्‍यत: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल के फलस्‍वरूप वेतन में हुई 23.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी और पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिए अनुदान में की गई 39.5 प्रतिशत की वृद्धि की बदौलत संभव हो पाई।
मूल्‍य

उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुख्‍य महंगाई दर लगातार तीसरे वित्‍त वर्ष के दौरान नियंत्रण में रही। सीपीआई आधारित औसत महंगाई दर वर्ष 2014-15 के 5.9 प्रतिशत से घटकर वित्‍त वर्ष 2015-16 में 4.9 प्रतिशत के स्‍तर पर आ गई और अप्रैल-दिसंबर 2015 के दौरान यह 4.8 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

थोक मूल्‍य सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर वित्‍त वर्ष 2014-15 के 2.0 प्रतिशत से घटकर वित्‍त वर्ष 2015-16 में (-)5 प्रतिशत रह गई और यह अप्रैल-दिसंबर 2016 में औसतन 2.9 प्रतिशत आंकी गई।

महंगाई दर पर बार-बार खाद्य वस्‍तुओं के संक्षिप्‍त समूह का ही असर देखा जा रहा है। इन वस्‍तुओं में से दालों का सर्वाधिक योगदान खाद्य महंगाई में निरंतर देखा जा रहा है।
सीपीआई आधारित कोर महंगाई दर चालू वित्‍त वर्ष के दौरान औसतन लगभग 5 प्रतिशत के स्‍तर पर टिकी हुई है।

व्‍यापार

निर्यात में दर्ज की जा रही ऋणात्‍मक वृद्धि का रुख कुछ हद तक वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) में सुधार के लक्षण दर्शाने लगा, क्‍योंकि निर्यात 0.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 198.8 अरब अमेरिकी डॉलर के स्‍तर पर पहुंच गया। वहीं, वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान आयात 7.4 प्रतिशत घटकर 275.4 अरब अमेरिकी डॉलर के स्‍तर पर आ गया।

वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान व्‍यापार घाटा कम होकर 76.5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया, जबकि इससे पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि में यह 100.1 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया था।

वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में चालू खाता घाटा (सीएडी) कम होकर जीडीपी के 0.3 प्रतिशत पर आ गया, जबकि वित्‍त वर्ष 2015-16 की प्रथम छमाही में यह 1.5 प्रतिशत और 2015-16 के पूरे वित्‍त वर्ष में यह 1.1 प्रतिशत रहा था।

प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश की तेज आवक और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की शुद्ध आवक सीएडी के वित्‍त पोषण के लिहाज से पर्याप्‍त रहीं, जिसके परिणामस्‍वरूप वित्‍त वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का रुख रहा।

वित्‍त वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बीओपी के आधार पर 15.5 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई।

वर्ष 2016-17 के दौरान रुपये का प्रदर्शन अन्‍य उभरती बाजार अर्थव्‍यवस्‍थाओं की मुद्राओं के मुकाबले बेहतर रहा है।
विदेशी कर्ज

सितंबर 2016 के आखिर में भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ 484.3 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया, जो मार्च 2016 के आखिर में दर्ज किये गये विदेशी कर्ज बोझ के मुकाबले 0.8 अरब अमेरिकी डॉलर कम है।

सितंबर 2016 में विदेशी कर्ज के ज्‍यादातर मुख्‍य संकेतकों ने मार्च 2016 के मुकाबले सुधार का रुख दर्शाया। कुल विदेशी कर्ज में अल्‍पकालिक ऋणों का हिस्‍सा सितंबर 2016 के आखिर में कम होकर 16.8 प्रतिशत रह गया और विदेशी मुद्रा भंडार ने कुल विदेशी कर्ज बोझ के 76.8 प्रतिशत को कवर किया।

कर्ज बोझ से दबे अन्‍य विकासशील देशों के मुकाबले भारत के मुख्‍य ऋण संकेतक बेहतर रहे हैं और भारत की गिनती अब भी इस लिहाज से कम असुरक्षित देशों में होती है।
कृषि

कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर वर्ष 2016-17 में 4.1 प्रतिशत रहने का अुनमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2015-16 में यह दर 1.2 प्रतिशत रही थी। कृषि क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन को आश्‍चर्यजनक नहीं कहा जा सकता है, क्‍योंकि पिछले दो वर्षों के मुकाबले चालू वर्ष में मानसून काफी बढि़या रहा।

वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को रबी फसलों का कुल बुवाई रकबा 616.2 लाख हेक्‍टेयर आंका गया, जो पिछले वर्ष के समान सप्‍ताह में दर्ज किये गये रकबे के मुकाबले 5.9 प्रतिशत अधिक है।

वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को गेहूं का बुवाई रकबा पिछले वर्ष के समान सप्‍ताह में दर्ज किये गये रकबे की तुलना में 7.1 प्रतिशत अधिक रहा।

इसी तरह वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को चने का बुवाई रकबा पिछले वर्ष के समान सप्‍ताह में आंके गए रकबे के मुकाबले 10.6 प्रतिशत ज्‍यादा रहा।
उद्योग

वर्ष 2016-17 में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर के कम होकर 5.2 प्रतिशत के स्‍तर पर आ जाने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2015-16 में यह वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत थी। अप्रैल-नवम्‍बर, 2016-17 के दौरान औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई है।

आठ प्रमुख ढांचागत सहायक उद्योगों अर्थात कोयला, कच्‍चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्‍पात, सीमेंट और बिजली उद्योगों ने अप्रैल-नवम्‍बर 2016-17 के दौरान 4.9 प्रतिशत की संचयी वृद्धि दर दर्ज की, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह दर 2.5 प्रतिशत थी।

अप्रैल-नवम्‍बर 2016-17 के दौरान रिफाइनरी उत्‍पादों, उर्वरकों, इस्‍पात, बिजली और सीमेंट के उत्‍पादन में अच्‍छी-खासी वृद्धि दर्ज की गई, जबकि कच्‍चे तेल और प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन गिर गया। वहीं, कोयले की उत्‍पादन वृद्धि दर में समान अवधि के दौरान गिरावट का रुख देखा गया।

कॉरपोरेट क्षेत्र के प्रदर्शन (भारतीय रिजर्व बैंक, जनवरी 2017) से यह तथ्‍य सामने आया है कि वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही के दौरान कुल बिक्री में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि वर्ष 2016-17 की प्र‍थम तिमाही में यह वृद्धि दर महज 0.1 प्रतिशत रही थी।

वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही के दौरान इसके शुद्ध मुनाफे में 16.0 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जबकि वर्ष 2016-17 की प्रथम तिमाही के दौरान इसमें 11.2 प्रतिशत की वृद्धि आंकी गई थी।
सेवा क्षेत्र

वर्ष 2016-17 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2015-16 में दर्ज की गई वृद्धि के लगभग बराबर है।

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप कर्मचारियों को मिली अच्‍छी–खासी धनराशि की बदौलत लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्‍य सेवाओं में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है। इसी को देखते हुए सेवा क्षेत्र द्वारा तेज रफ्तार पकड़ने का अनुमान लगाया गया है।

सामाजिक बुनियादी ढांचा, रोजगार और मानव विकास

संसद में ‘दिव्‍यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ पारित हो गया है। इस अधिनियम का उद्देश्‍य दिव्‍यांगजनों के अधिकारों को सुरक्षित करने के साथ-साथ इनमें और ज्‍यादा वृद्धि सुनिश्चित करना है।

इस अधिनियम में सरकारी प्रतिष्‍ठानों की रिक्तियों में उन लोगों के लिए आरक्षण स्‍तर को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव किया गया है, जिनमें विकलांगता अपेक्षाकृत ज्‍यादा है और जिन्‍हें अत्‍यधिक सहायता की जरूरत पड़ती है।

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