- August 9, 2018
आजीविका की चांदो दीदी–6 हजार रुप्ये से 40 हजार रुपये महीना तक का सफर
करनाल —— बेगमपुर गांव की चांदो ने कहा कि एक समय ऐसा था परिवार को गरीबी के कारण रोटी के मोहताज होना पड़ रहा था, पति को शराब की लत थी, घर में तीन बेटे थे परंतु कमाने वाला कोई नहीं था। घर की कमाई कभी-कभी मिलने वाली मजदूरी से 6 हजार रुपये महीना तक हो जाती थी।
परिवार में गरीबी के कारण क्लेश बढ़ रहा था अचानक एक दिन महिला सहायता समूह की कुछ महिलाएं उनसे मिलने आई और वो दिन आज मेरा परिवार लगातार आर्थिक स्थिति से बेहतर हो रहा है। चांदो ने आपबीती बताते हुए कहा कि वह हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा बनाए गए समूहों से अक्तूबर 2015 में जुड़ी।
सबसे पहले उन्होंने समूह के माध्यम से अपनी बीमारी के ईलाज के लिए 2500 रुपये का ऋण लिया और अपना ईलाज करवाया और तब उन्हें समूह की ताकत और जरूरत समझ में आई।
चांदो ने बताया कि उन्होंने समूह से 6 हजार रुपये का ऋण लेकर अपने पति की चाय की दुकान करवाई और कोशिश की कि वह शराब की लत भी छोड़े और परिणामस्वरूप पति ने भी शराब कम कर दी पूरा परिवार दुकान पर मेहनत से काम करने लगा फिर उन्होंने दुकान का काम आगे बढ़ाने के लिए समूह से 96 हजार रुपये का ऋण लेकर कंफेंसरी और एक बड़ी मिठाई की दुकान के रूप में काम किया।
इस दुकान पर पूरे परिवार को काम मिल गया और आय 6 हजार महीना वाली नहीं अब वह बढक़र 40 हजार रुपये तक पहुंच गई। यह सब कमाल आजीविका मिशन के सहयोग का था जो मेरे परिवार के जीवन में ईश्वर का दूत बनकर आई और परिवार को रोजगार देकर गरीबी से उभारा है। अब तक उन्होंने मिशन के माध्यम से 1 लाख 29 हजार 500 रुपये ऋण लिया है जिसकी वह समय पर अदायगी करती है।
अब उन्हें समूह के सदस्यों ने आगे बढऩे का अवसर दिया। अब परिवार पुराने दिन नहीं बल्कि अच्छे दिनों की याद करता है, यह सब आजीविका मिशन का कमाल है। चांदो ने कहा कि वह मिठाई की दुकान पर स्वयं बैठकर भी परिवार का सहयोग करती है और उसे अच्छा भी लगता है।