आजकल की शादियाँ दिखावा—–?

आजकल की शादियाँ दिखावा—–?

अतुल मलिकराम—— देव उठने के साथ ही शादियों का सीजन शुरू हो चुका है। इस सीजन में जीवन की नई शुरुआत करने वाले नव दंपतियोंको मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएँ…। आने वाले कुछ महीनों तक शहनाइयों की गूंज और शादियों की चमक-दमक बनी रहेगी। आपमें से भी ऐसे कई लोग होंगे, जिनकेघरशादी के  न्योते आ चुके होंगेयाजिनके घर मेंही शादी होगी।ईश्वर में यही कामना है कि आपके घर का आयोजन हंसी-खुशी संपन्न हो। लेकिनअपने इस आयोजन को पारिवारिक मेल-जोल का जरिया बनाने का प्रयास करेंगे तो यह ज्यादा सफल बन सकेगा….।

क्योंकि आजकलहमारे यहाँ बड़ी-बड़ी और महँगी शादियाँ करना एक चलन बन गया है, इसे व्यक्ति की प्रतिष्ठा से जोड़ा जाने लगा है।जो जितनी महँगी शादी का आयोजन कर रहा है, उसे समाज में उतना ही संपन्न माना जाएगा। बात सिर्फ महँगी शादी की नहीं है। शादी जितने दिन तक चलेगी उसे उतनी ज्यादा मान्यता दी जाएगी, जिसमेंछोटी-छोटी रस्मों के लिए भी बड़े-बड़े आयोजन होना जरुरी है।फिर हर आयोजन के अनुसार अलग-अलग पहsनावा जैसेमेहंदी के लिएहरे कपड़े, हल्दी की रस्म में शामिल होना है तो पीले रंग के कपड़े, उस पर कुछ पाश्चात्य संस्कृति का भी दिखावा करने के लिए कॉकटेल पार्टी, बॉलीवुड के किसी समारोह की तरह दिखने वाला संगीत का समारोह, इतना होना तो आवश्यक है। इन आयोजनों का खर्च जितना मेजबान पर भारीपड़ता है, उससे ज्यादा महंगे येमेहमान के लिए भी साबित होते हैं। आपको जिस आयोजन में शामिल होना है, उसके हिसाब से कपड़े होना चाहिए, और अगर नजदीकी रिश्तेदार के यहाँ शादी है, तो फिर पूरा परिवार ही जाएगा। मतलब जितने लोग उतने ही नए कपड़े होना जरुरी है। अब जितने अलग प्रकार के कपड़े उतना ही बनाव-श्रृंगार का सामान भी चाहिए। फिर आप शादी में खाली हाथ तो नहीं जाएँगे। मतलब शगुन या तोहफे का भी खर्च जोडिए। जबशादी इतनी भव्य की जा रही है तो भेंट भी वैसी ही होनी चाहिए।

इसके अलावा मशहूरहस्तियोंको देखकर आजकल डेस्टिनेशन वेडिंग का एक नया ट्रेंड चला है, लोगअपने शहर से दूर जाकर शादियाँ करने लगे हैं, जिसमें गिनती के मेहमानों को बुलाया जाता है। मतलब आप किसी के बहुत ही करीबी होंगे तो ही आपका नाममेहमानों की लिस्ट में दर्ज किया जाएगा। अब जब आप इतने करीब के रिश्तेदार हैं, तो जाना आवश्यक है। लेकिन मान लीजिए कि डेस्टिनेशन वेडिंग का डेस्टिनेशन आपके शहर से बहुत दूर है, तोसभी रस्मों में शामिल होने के लिए बनाव श्रृंगार का खर्चा तोबढ़ा ही और अब आने-जाने का खर्च अलग से….।यह चलन मेहमान और मेजबान के लिए महंगा तो है ही लेकिन इसका एक पक्ष ये भी है कि इससे रिश्तों में दूरियां आ रही है। जिन्हें नहीं बुलाया गया उनके मन ये विचार आना तो स्वाभाविक है कि हम करीब नहीं इसलिए हमेंनहीं बुलाया गया ये आपकी एक नकारात्मक छवि बनाता है और रिश्तों में दरार का कारण बनता है।

आजकल शादियों में दिखावा बहुत आम हो गया है। इस दिखावे के चलते शादीयों में कई प्रकार के पकवान बनवाए जाते हैं।स्टॉल्स अलग,मेन कोर्सअलग,उसमें भी हर चीज़ के कई विकल्प तीन प्रकार की सब्जियां और पांच तरह की मिठाइयाँ होना तो जरुरी हो गया है। सब मिलकर इतना खाना हो जाता है जितना एक आम व्यक्ति एक बार में शायद ही खा पाए। नतीजा ये होता है कि खाने की बर्बादी होती है। लोग शौक-शौक में ढेर सारा खाना ले लेते हैं फिर न खा पाने की स्थिति में ये सारा खाना व्यर्थ जाता है।खाना बचता भी बहुत है, जिसे कई बार फेक दिया जाता है। इससेनुकसानतो होता ही है साथ ही  अन्न का अपमान होता है।

शादियों के बदलते नए-नए ट्रेंडने शादियों को खर्चीला बना दिया है ,जिसे वहन करना एक आम आदमी के लिए संभव नहीं,तो फिर गरीबों की तो बात ही क्या की जाए ….।एकगरीब व्यक्ति जो ठीक से दो वक्त का खाना नहीं जुटा पाता, उसके लिए तो यह सब सपना ही है, तोगरीब अब शादी भी ना करे।इस देश में करीब37 प्रतिशत लोग आज भी गरीबी और अभाव में जी रहे हैं। उनके लिए इस तरह के आयोजन करना संभव नहीं और ना किए जाए तो बात इज्जत पर आ जाएगी।इसलिए अपने मान-सम्मान को बनाए रखने के लिए ये लोग कर्ज का सहारा लेते हैं और एक नई मुसीबत के भंवर में फंस जाते हैं।आपके आस-पास ही आपको ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाएँगे।

सोचिये अगर कोई व्यक्ति गरीब है या उसकी आय ही इतनी नहीं कि इनखर्चों के लिए खर्च कर सके तो क्या वो अब शादियों में ही ना जाए….? जरा विचार कीजिये आपका यह आयोजन उसके लिए कितनी बड़ी चिंता खड़ीं कर देगा जिसकीइतनी आमदनी इतनीनहीं कि फिजूल के खर्चों में पैसा बहाया जाए ।शादी ब्याह के आयोजन नए रिश्तों का स्वागत करने के लिए होते हैं ना की किसी की गरीबी का उपहास उड़ाने या रिश्तों में दूरियां बनाने के लिए।शादी ब्याह के आयोजन करें लेकिन उन लोगों का भी खयाल रखें जो, अभाव का जीवन जी रहे हैं।कोई भी बड़ा आयोजन करने से पहले विचार कीजिये कि अपने घर के आयोजन में दिखावा करके आप समाज के सामने कोई गलत उदाहरण तो नहीं रख रहे हैं। आपका ये आयोजन किसी के घर का बजट तो नहीं बिगाड़ देगा। शादी ब्याह के आयोजनकीजिये पर इस तरह कि ये आपके रिश्तों की मिठास को बढ़ाएना की किसी के जेब पर एक और बोझ बन जाए…..

(- अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार))

 

 

 

 

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