• April 15, 2018

आखिर कहाँ सुरक्षित है बेटियां ?—राजकुमार अग्रवाल

आखिर कहाँ सुरक्षित है बेटियां ?—राजकुमार अग्रवाल

कैथल — देश में हर रोज कोई ना कोई घटना घटित होती रहती है किसान की आत्महत्या, आरक्षण पर आगजनी, सड़को पर उतर कर रोजगार की मांग करते लाखो युवा, लेकिन इस सब से बड़ी घटना है बलात्कार ओर बलात्कारीयो को सजा दिलवाने के लिए जब देश की महिलाएं , बेटियां सड़को पर उतर जाती है और कभी अनशन कभी रात को कैंडल मार्च के सहारे देश की सरकार को जगाने का काम करती है अब ये देश की सड़को पर आम नज़रा है लकिन हमे ये भी जानना जरूरी है की बलात्कार की घटनायें सामाजिक घटना है ये हर वर्ग और हर धर्म के साथ हो सकती है जो देश के लिए शर्म की बात है ?
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देश मे जो कुछ इन दिनों घट रहा है वो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को भी कही ना कही धूमिल करता दिखाई दे रहा है क्योंकि सरकार जहाँ सरकार महिलाओं व् बेटियों के उत्थान के लिए कई योजनाये चला कर उनकी सुरक्षा और कानून बना कर उनको सुरक्षित होने दम भर रही है लेकिन इन सब के मध्य ऐसी घटना घटित होने के उपरांत एक सवाल देश के प्रत्येक माता पिता के जहन में उठ ही जाता है की आखिर कहाँ सुरक्षित है बेटिया ?

उन्नाव ओर कठुआ की घटनाओं से आज माता पिता सहमा हुआ है ओर पूछने को मजबूर है कि जो सरकार बेटी बचाओ की पब्लिसिटी पर करोड़ो ख़र्च कर रही है बढ़े बढ़े सलोगोनो से गांव से लेकर शहर तक हर दीवार ,अखबार , सरकरी कार्यालय दीवार पर टंगे हुए कैलेंडर इन सब से ये जाहिर होता है सरकार ये दिखाने मे कामयाब जरूर हुई है की देशवासियो आप बेटियों की चिंता मत करो सरकार उनकी पढ़ाई लिखाई, शादी ,और हर सपने को साकार करने मे आप साथ है क्या सलोगोंने के सहारे ही सुरक्षित रह पाएगी बेटिया ? कड़वा सच तो ये है की ना तो उनके लिए घर सुरक्षित है न ही पडोस ओर ना ही स्कूल , संस्थान क्योंकि आज आलम है है की कई घटना इन सस्थानों मे भी घट चुकी हैं और ना जाने कब कोई इंसान भेडिये की शक्ल में आ कर इनकी जीवन लीला समाप्त कर दे ओर उसके शरीर को छली छली करदे कोई नहीं जानता अब हालात ये हो गए है की आज देश के किसी भी राज्य में बलात्कार की घटना घटे तो हर माता पिता का दिल दहल जाता है ओर सोचने को मजबूर कर देता है कि आखिर कहाँ सुरक्षित है बेटिया?

कभी सिस्टम की कमी तो कभी राजनीतिक सम्बंध होने के कारण ये इंसान की शक्ल में खुले आम घूमते हुए दरींदो का कुछ नही बिगड़ता साल 2012 में निर्बय कांड हुआ तो देश की जनता बलात्कारियो को पकड़वाने के लिए सड़कों पर उतर गई और अब कठुआ ओर उन्नाव में जो हुआ फिर वही मंजर आँखों के सामने आ जाता है अब सवाल ये उठता है कि क्या बलात्कारीयो को सजा दिलवाने के लिए सड़कों पर आकर न्याय की भीख माँगना कहाँ तक सही है आखिरकार इन लोगो को किसका श्रय मिलती है ? आखिर वो कौन लोग है जो इन बलात्कारियो को भी बेकसूर साबित करने के लिए इनके साथ कदमताल करते हुए दिखाई देते है ?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो वर्ष 2017 की रिपोर्ट पर एक नज़र डाली जाए तो आकड़े चौकाने वाले है देशभर में 28947 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए और मध्यप्रदेश में 4882 , उतरप्रदेश 4816, महाराष्ट्र में 4186 मामले दर्ज किये गए । देश भर में हर घण्टे में तीन से चार बलात्कार की घटनाएं सामने आती है।

राजनीतिक पार्टियां रोटियाँ सेकने के लिए उतारू हो जाती है फिर आरोप प्र्त्यारोप का दौर शुरू हो जाता है कोई कड़ी निदा करता है तो कोई बेतुके ब्यान देकर जलती हुई आग में घी डालने का काम करते देखे जा सकते है ।

क्या देश का सिस्टम का कसूर है ये फिर राजनीती मुद्दा जिसका समाधान तो सभी चाहते है लेकिन बात कोई नहीं करता और पीड़ित परिवार कभी अनशन करने लगता है।
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आज देश की जनता अनशन , उपवास के सहारे न्याय ना मिलने का विश्वाश कही खो ना दे इसलिए अब सरकार को बलात्कार जैसी घटनाओं पर कड़ा कानून बनाना समय की माँग है और अगर सरकार ये काम नहीं कर सकती तो दिक्कार है ऐसे सिस्टम पर जब की बेटी के बलात्कारियो को सलाखों के पीछे पहुँचाने के लिए उसकी लाश को सड़कों पर रखकर न्याय की भीख ना मांगनी पड़े —–

संपादक (अटल हिंद.काम)

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