• December 13, 2015

आओ जश्न मनाएँ – डॉ. दीपक आचार्य

आओ जश्न मनाएँ  – डॉ. दीपक आचार्य

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लोक जीवन और परिवेश में जहाँ उल्लास होता है वहाँ सृष्टि की हर इकाई आनंद का अनुभव करती है और यह आनंद भाव ही जीवन से लेकर जगत तक में विविध सफलताओं का सुकून प्रदान करता है।

इंसान के लिए जीवन को जीने के दो ही रास्ते हैं। या तो अंधकार के व्यामोह में पड़ा रहकर कुढ़ता रहे, औरों को कोसता रहे और जीवन के आनंद को भुलाकर जीवन को व्यथा समझता रहे अथवा उजियारे का सान्निध्य पाकर उन्मुक्त आकाश के नीचे विचरण करता हुआ प्रकृति और जगत के रचना कर्म का आनंद पाता हुआ अपने आप को धन्य मानें, भगवान को धन्यवाद दे और अपने आस-पास वालों को भी सुकून, संतोष एवं आनंद का प्रत्यक्ष अनुभव कराए।

इस दृष्टि से जीवन में जब कभी उल्लास का कोई सा अवसर आए, उसका भरपूर उपयोग करें। अपने लिए और जगत के लिए। समझदार इंसान यही करते हैं और सभी को इसी की प्रेरणा देते हैं।

उल्लास का कोई सा अवसर हो, इसके प्रति अपनी भागीदारी निभाएं, अपनी ओर से पहल करें और जितना अधिक हो सके, आनंद भाव को पाने का प्रयास करें।

यह आनंद भाव ही है जो इंसान को ताजगी का अहसास करा सकता है और यही ताजगी उसके जीवन को लक्ष्य की प्राप्ति कराती है।

इस लिहाज से हम सभी को चाहिए कि उल्लास के किसी भी अवसर को हाथ से न जाने दें। उत्साह अपने आप में सकारात्मकता और उजालों का पर्याय है तथा जीवन को सुनहरे इन्द्रधनुषों से भरने का तमाम सामथ्र्य रखता है।

जबकि उत्साहहीनता नकारात्मकता और अंधकार का संदेश देती है जहाँ इंसान कोई सा हो, उसका जीवन अंधेरे कोनों में रहने वाली मकड़ी की तरह ही हो जाता है।

जो जितना अधिक सकारात्मकता चिन्तन करता है, उजालों का हमसफर होता है, नेक-नीयत रखता हुआ औरों के लिए जीता है, वह अपने आप में ईश्वरीय दूत की तरह होता है, उसका सामीप्य भी आनंद देने वाला होता है।

जिसकी दृष्टि आम आदमी, गरीबों, उपेक्षितों तथा पिछड़ों पर होती है, जो समाज की हर इकाई के कल्याण के लिए चिन्तित होता है, वही लोक परंपरा में पूजा और स्वीकारा जाता है।

जो जश्न मनाना जानता है वही आगे बढ़कर हिमालय होता है, क्योंकि जिनके पास सूक्ष्म से लेकर स्थूल तक सभी कुछ सकारात्मक और लोक कल्याणकारी होता है वही अपनी सद् वृत्तियों के माध्यम से महाकाश तक में अपनी अनूठी गंध और गूंज पसारने की क्षमता रखता है।

हर दिन जश्न का है। आज भी जश्न मनाएं, कल भी मनाएं और इसी तरह जश्न-दर-जश्न मनाते हुए आनंद के साथ तरक्की के सफर का स्वर्णिम इतिहास लिखें।

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