आईएमएफसी बैठक : मुद्रास्फीति के दबाव , अर्थव्यवस्थाओं में ग्रोथ में मंदी— श्रीमती सीतारमण

आईएमएफसी  बैठक :  मुद्रास्फीति के दबाव , अर्थव्यवस्थाओं में ग्रोथ में मंदी— श्रीमती सीतारमण

वित्त मंत्री ने कहा कि आईएमएफसी की ये बैठक ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक आर्थिक परिदृश्य कई प्रमुख नकारात्मक जोखिमों से घिरा हुआ है। जैसे कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में ग्रोथ में मंदी, मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति के कारण सीमा पार पड़ते प्रभाव, बढ़ती हुई खाद्य और ऊर्जा कीमतों के कारण उपजे मुद्रास्फीति के दबाव जिन्होंने कमजोर अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वैश्विक बाधाओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर बनी रहेगी और वित्त वर्ष 2022-23 में इसके 7% की विकास दर से बढ़ने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि ये अनुकूल घरेलू नीति के माहौल और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख संरचनात्मक सुधारों पर सरकार के फोकस का ही नतीजा है।

वित्त मंत्री ने मुद्रास्फीति प्रबंधन को आगे बढ़ते हुए विकास दर की रक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा की गई पहलों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमने देश के विशाल सार्वजनिक वितरण नेटवर्क के माध्यम से पिछले 25 महीनों से 800 मिलियन से ज्यादा कमजोर परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित की है।”

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वित्तीय सेवाओं को अंतिम मील तक गरीबों के पास पहुंचाना सरकार की प्रमुख प्राथमिकता रही है और इसे भारत के बेहतर सार्वजनिक डिजिटल ढांचे से मदद मिली है। वित्त मंत्री ने आज कहा कि, भारत डिजिटल भुगतान नवाचारों के मामले में दुनिया में अग्रणी है और हमारी लेनदेन लागत दुनिया में सबसे कम है।

उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​​​है कि आईएमएफ को वैश्विक वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा के लिए उभरते और कम आय वाले देशों के लिए उपलब्ध संसाधनों को बढ़ाने की जरूरत है। इसलिए 15 दिसंबर, 2023 तक 16वें जीआरक्यू का समापन करना विश्व अर्थव्यवस्था में सापेक्ष स्थिति के अनुरूप उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमईएस) के मतदान अधिकारों को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।”

वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक रिकवरी की राह में एक प्रमुख नकारात्मक जोखिम, कई कम आय वाले देशों में बढ़ा हुआ ऋण संकट है। इसलिए ये महत्वपूर्ण है कि आईएमएफ उन्हें भुगतान संतुलन संबंधी कमजोरियों से निपटने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करे। इस संदर्भ में श्रीमती सीतारमण ने विश्व के देशों को खाद्य असुरक्षा से निपटने में मदद करने के लिए नई फूड शॉक विंडो की आईएमएफ की हालिया पहल का स्वागत किया।

जलवायु परिवर्तन पर वित्त मंत्री ने समानता के सिद्धांतों और समान लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के साथ बहुपक्षीय दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। श्रीमती सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अपडेटेड योगदानों के माध्यम से एक महत्वाकांक्षी क्लाइमेट एक्शन प्लान तय किया है जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग करने के लिए उच्चतम स्तर पर भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। वित्त मंत्री ने रेखांकित किया कि विकसित देशों से विकासशील देशों को जलवायु वित्त और कम लागत वाली जलवायु प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण करना अब बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।

वित्त मंत्री ने दुनिया के सामने मौजूद रणनीतिक चुनौतियों से निपटने में मदद के लिए वैश्विक समुदाय से समन्वित प्रतिक्रिया मांगी है।

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