अमृत योजना– ‘पेयजल पुनर्गठन योजना’ — 1300 करोड़ रुपये खर्च

अमृत योजना– ‘पेयजल पुनर्गठन योजना’  —  1300 करोड़ रुपये खर्च

लखनऊ —– शहरी क्षेत्र में शुद्ध पेय जलापूर्ति के लिए अमृत योजना से संबंधित शहरों के लिए प्रोजेक्ट तैयार कराया जा रहा है। जिनपर करीब 1300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। केन्द्रीय मदद से चलने वाली ‘पेयजल पुनर्गठन योजना’ के तहत तैयार कराए जा रहे इन प्रोजेक्टों को जल्द ही मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा। प्रोजेक्ट की खास बात यह होगी कि इसमें पेयजल और सीवर लाइन की अलग-अलग पाइप लाइन डाली जाएंगी।

अमृत योजना से संबंधित 60 शहरों में अधिकांश शहरों में प्रदूषति पेयजल आपूर्ति की शिकायतों की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि पेयजल के प्रूदषित होने की मुख्य वजह पेयजल व सीवर की पाइपलाइन का एक साथ होना पाया गया है। इसलिए अब यह तय किया गया है कि ऐसे स्थानों को चिह्नत करके दोनों लाइनों को अलग-अलग किया जाएगा। ‘पेयजल पुनर्गठन योजना’ के तहत पेयजल और सीवर लाइन की पाइपों को अलग-अलग करने का डीपीआर तैयार भी कर लिया गया है।

अमृत योजना वाले 60 शहरों में से जिन शहरों के लिए अब तक डीपीआर तैयार नहीं किया गया है, उसे हर हाल में एक महीने के भीतर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो अगले एक साल के भीतर पेयजल सुविधाओं से संबंधित कार्यों पर करीब 1300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

एसटीपी को पूरी क्षमता से चलाने की भी है योजना

इसी तरह सीवर 41 शहरों में स्थापित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों को पूरी क्षमता से चलाने की भी कार्ययोजना तैयार की जाएगी। नमामि गंगे परियोजना के तहत मुरादाबाद, बरेली, बुलंदशहर में नालों के टैपिंग कार्य और कानपुर, वाराणसी व मिर्जापुर में लगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड करने काडीपीआर तैयार कर केन्द्र को भेज दिया गया है।

हैंडपंप के स्थान पर लगेंगे समर्सिबल पंप

शहर के उन क्षेत्रों में अब समर्सिबल लगाकर पेयजलापूर्ति करने की व्यवस्था करने पर विचार किया जा रहा है, जिन क्षेत्रों में अभी भी लोगों को पीने का पानी हैंडपंप से लेना पड़ रहा है। हैंडपंप का पानी प्रदूषित होने केसाथ ही उसके रखरखाव को लेकर आ रही दिक्कत को देखते हुए यह तय किया गया है कि दो हैंडपंप केस्थान पर एक समर्सिबल लगाया जाएगा। नगर विकास विभाग की ओर से इस सबंध में सभी नगर निकायों को दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया है।

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