अभिषेक का भागीरथी प्रयास : सूखा नदी से निकली जलधारा

अभिषेक का भागीरथी प्रयास : सूखा नदी से निकली जलधारा

सीधी–(विजय सिंह)——-तीन दशक पहले तक सीधी के मुख्य शहर से के दोनों ओर बहने वाली सूखा एवं हिरण नदी विकास की चकाचैंध में नाले में तब्दील हो चुकी थीं। पहले यहां के रहवासियों का आम निस्तार इन्हीं नदियों से होता था। गर्मियों में भी इसकी जलधारा नहीं टूटती थी। बाहर से आने वाले मजाक में कहते थे नाम तो सूखा है पर पानी हमेशा रहता है। कालांतर में यह नालियों के पानी व कचरे से पट गईं। रही सही कसर अतिक्रमण ने पूरी कर दी।

पूर्ववर्ती कलेक्टर सुखबीर सिंह ने इसकी कायाकल्प का प्रयास किया था। विधायक केदार नाथ शुक्ल ने भी नदी के दोनों तटों पर घाट बनाये जाने व चौपाटी की तरह विकसित कराये जाने के प्रयास किये। किन्तु अंततः कलेक्टर अभिषेक सिंह का भागीरथी प्रयास रंग लाया। 29 मई को उन्होंने जन सहयोग से सूखा के पुनरोद्धार को मूर्त रूप देने स्वयं जेसीबी मशीन पर बैठे और 31 मई को नदी से स्वच्छ जलधारा फूट पड़ी।

इस सम्बंध में सीधी के प्रबुद्ध नागरिकों से कलेक्टर अभिषेक सिंह की अपील कि ‘‘ शहर के विकास और सौंदर्यीकरण के जो कार्य प्रारम्भ किये गये हैं वह सब आपकी प्रेरणा से ही किये गये हैं। इन सभी कार्यों को पूर्ण करने के लिये विभिन्न स्त्रोतों से नियम बद्ध तरीके से प्रावधान किये जा रहे हैं। किन्तु कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिनमें जन सहयोग सबसे महत्वपूर्ण होता है।’’

इसका उदाहरण है- सूखे नाले की सफाई। यदि मैं सही शब्दों में कहूं तो यह सूखा नदी है, सूखा नाला नहीं। इसे हम लोगों ने नदी से नाले में में परिवर्तित कर दिया है। अब समय आ गया है कि पुनः इस नदी को पुनर्जीवित किया जावे। यद्यपि यह कार्य प्रशासन ने आरंभ किया है, किन्तु इसे बिना जन सहयोग के पूरा नहीं किया जा सकेगा।

अतः मैं जिला प्रशासन की तरफ से अनुरोध करता हूं कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी तरफ से इस महायज्ञ में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। नदी को पुनर्जीवित करने में शहर वासियों का सहयोग वांछनीय ही नहीं अनिवार्य भी है।

श्री अभिषेक सिंह की अभिनव पहल में जन सहयोग मिल रहा है और उसी का परिणाम है कि सूखी नदी से स्वच्छ जलधारा फूट पड़ी। प्रयास है कि वर्षात के पूर्व सूखा नदी को अपना पुराना स्वरूप मिल जायेगा।

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