- December 6, 2020
अधिकतम मांग का नया रिकार्ड बिजली की मांग 14,856 मेगावाट दर्ज
भोपाल : ———मध्यप्रदेश में गत 4 दिसम्बर को बिजली की अधिकतम मांग का नया रिकार्ड बना। राज्य के बिजली सेक्टर के इतिहास में पहली बार बिजली की एक दिन की अधिकतम मांग 14,856 मेगावाट दर्ज हुई। प्रदेश में पिछले दस दिन से बिजली की अधिकतम मांग 14,000 मेगावाट के ऊपर दर्ज हो रही है। बिजली कंपनियो के बेहतर प्रबंधन और सुदृढ़ नेटवर्क के कारण बिजली की इस अधिकतम मांग की सफलतापूर्वक सप्लाई हुई और प्रदेश में कहीं भी विद्युत व्यवधान नहीं हुआ। ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बिजली की अधिकतम माँग की सफल आपूर्ति पर स्टाफ को बधाई दी है।
पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3 फरवरी को प्रदेश में बिजली की अधिकतम मांग 14,555 मेगावाट दर्ज हुई थी। प्रदेश में एक दिसम्बर को 14,236 मेगावाट, 2 दिसम्बर को 14,403 मेगावाट और 3 दिसम्बर को 14,515 मेगावाट दर्ज हुई।
पश्चिम क्षेत्र में बिजली की मांग 6077 मेगावाट
मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (इंदौर व उज्जैन संभाग) में बिजली की अधिकतम मांग 6,077 मेगावाट, मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (भोपाल व ग्वालियर संभाग) में 4,752 मेगावाट और मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (जबलपुर, सागर व रीवा संभाग) में 4,028 मेगावाट दर्ज हुई।
प्रदेश में कैसे हुई बिजली सप्लाई
प्रदेश में 4 दिसम्बर को जब बिजली की अधिकतम मांग 14,856 मेगावाट दर्ज हुई, उस समय बिजली की सप्लाई में मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप व जल विद्युत गृहों का उत्पादन अंश 2,718 मेगावाट, इंदिरा सागर-सरदार सरोवर-ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना का अंश 1,849 मेगावाट , एनटीपीसी व नार्दन रीजन का अंश 3,383 मेगावाट, सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट का अंशदान 1,346 मेगावाट, आईपीपी का अंश 1,778 मेगावाट रहा और बिजली बैकिंग से 1940 व अन्य स्त्रोत जिनमें नवकरणीय स्त्रोत भी शामिल हैं, से प्रदेश को 1,843 मेगावाट बिजली प्राप्त हुई।
प्रदेश में 14,856 मेगावाट बिजली की मांग की सफलतापूर्वक बिजली सप्लाई करने में एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के कंट्रोल रूम व क्षेत्रीय कार्यालय, स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर, पावर जनरेटिंग कंपनी के विद्युत गृहों के साथ मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी व राज्य की पूर्व क्षेत्र, मध्य क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कंट्रोल रूम एवं मैदानी अभियंताओं और कार्मिकों की सराहनीय भूमिका रही।