अन्याय, अनीति, अत्याचार का पारिवारिक प्रतिकार अन्यायी अनैतिक अत्याचारी का सामाजिक बहिष्कार करें —–.प्रकाश चन्द्र

अन्याय, अनीति, अत्याचार का पारिवारिक प्रतिकार  अन्यायी अनैतिक अत्याचारी का सामाजिक बहिष्कार करें —–.प्रकाश चन्द्र

(साहित्य सरोवर मंच, जमशेदपुर)
**********************
जमशेदपुर – झारखंड साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था साहित्य सरोवर मंच द्वारा ‘न्याय से युक्त अन्याय से मुक्त’ परिवार समाज देश के निर्माण हेतु जनचेतना को जागरूक करने ‘सामाजिक न्याय दिवस’ का हुआ आयोजन कार्यक्रम में बताया कि सदियों से व्याप्त अन्याय, अनीति, अत्याचार से परिवार पीड़ित, समाज त्रस्त, व्यक्ति ग्रस्त है इसके उन्मूलन हेतु जरूरत है कि परिवार समाज में लोग न्याय के नाम पर अन्याय नहीं करें, किसी पर झूठा मुकदमा दर्ज नहीं करायें, गलत रिपोर्ट नहीं बनायें, कानून का दुरुपयोग नहीं करें, अपने कर्तव्य स्वधर्म का पालन करें, दुर्भावना, प्रतिशोध में गलत काम नहीं करें, भेदभाव, पक्षपात रहित न्याय संगत काम करें, परिवार समाज में अपने सुख, स्वहित हेतु भौतिक सुख, सफलता अर्जित करने, मुफ्त में पाने, अपने लोभ लाभ के लिए किसी के साथ अन्याय, किसी पर अत्याचार, किसी का उत्पीड़न, शोषण, दोहन अहित नहीं करें, जिसका जो हक अधिकार है उसे प्रदान करें उसे हक अधिकार से वंचित नहीं करें, घर परिवार समाज से जुड़े जनों के अस्तित्व,अस्मिता, गरिमा का रक्षा करें, उनकी बुनियादी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुये उन्हें गरिमामय जिंदगी प्रदान करें, अवसर पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने को हर व्यक्ति का मूल कर्तव्य, नैतिक जिम्मेदारी, न्यायिक जवाबदेही बताते हुए संयोजक प्रकाश चन्द्र ने कलमकारों का आह्वान करते हुए कहा कि परिवार समाज व्यक्ति को कलम के द्वारा हो रहे अन्याय अनीति अत्याचार से बचायें, कलमकार अपने कर्तव्य दायित्व की भूमिका का निर्वाह करें, परिवार समाज देश को हर युग में कभी धन, कभी धर्म वर्तमान में कलम का दुरुपयोग कारण बन रहा है, इसके उन्मूलन हेतु कलम के ताकत का दुरुपयोग नहीं सदुपयोग करें, उन्होंने कहा कि घर,परिवार, समाज में हो रहे अन्याय, अनीति, अत्याचार को नहीं सहें इसका प्रतिकार करें, अन्यायी अत्याचारी का पारिवारिक सामाजिक बहिष्कार करें। सरकार से सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु लोकतंत्र के स्तंभो एवं नागरिकों को जबावदेह जिम्मेदार बनाने की बात कही।कार्यक्रम में उमेश चतुर्वेदी, पूजा देवी, विमल किशोर आदि ने भाग लिया ।

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply