• January 18, 2021

हाईकोर्ट के आदेश और सरकार 6 वर्ष -नियोजित शिक्षकों के फोंल्डर नहीं मिला

हाईकोर्ट के आदेश और सरकार  6   वर्ष -नियोजित शिक्षकों के  फोंल्डर नहीं मिला

पटना — बिहार में पिछले 6 सालों से नियोजित शिक्षकों के फोल्डर ढूंढने का काम किया जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार को फोल्डर जुटाने में लगभग 6 साल लग चुके हैं।

भोजपुर जिले में भी लगभग 2800 नियोजित शिक्षक हैं, जिन्होंने अभी तक अपना फोल्डर विभाग को नहीं सौंपा है। जिला शिक्षा पदाधिकारी कौशल किशोर का कहना है कि कई ऐसे नियोजित शिक्षक हैं, जिन्होंने अपना फोल्डर विभाग को सौंप दिया है, लेकिन जिन्होंने अभी तक फोल्डर नहीं जमा किया है, वह विभाग द्वारा दिए गए समय पर जमा कर दें। जमा नहीं कर पाने पर वैसे शिक्षकों का वेतन अगले आदेश तक रोक दिया जाएगा। बता दें कि भोजपुर जिले में कक्षा एक से लेकर आठ तक लगभग 8599 नियोजित शिक्षक हैं।

डिग्री जांच नहीं कराने पर रुकेगा वेतन

पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को जल्द अपनी डिग्री की जांच कराने का आदेश दिया है। डिग्री जांच नहीं कराने वाले शिक्षकों को फरवरी से वेतन नहीं मिलेगा। साथ ही डिग्री जांच में कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने का आदेश कोर्ट ने दिया है।

निगरानी विभाग कर रही जांच

2015-16 में मामला हाईकोर्ट में जाने के बाद भोजपुर जिले से 98 ऐसे नियोजित शिक्षक थे, जिनके पास फर्जी दस्तावेज थे। कार्रवाई के डर से 98 शिक्षकों ने पहले ही अपना त्यागपत्र विभाग को सौंप दिया, लेकिन अब भी सैकड़ों शिक्षक संदेह के घेरे में हैं, जिनकी जांच निगरानी विभाग कर रही है।

शिक्षकों के फोल्डर जमा करने के मामले में 2016-17 में 53 नियोजन इकाइयों पर मामला दर्ज किया जा चुका है। वहीं भोजपुर जिले से हजारों शिक्षकों के फोल्डर नहीं प्राप्त होने पर 64 नियोजन इकाइयों पर मामला दर्ज करने की प्रक्रिया विभाग द्वारा की जा रही है। साथ ही इस मामले में 60 शिक्षकों पर निगरानी विभाग ने मामला दर्ज किया है। मामला दर्ज होने के बाद सभी 60 शिक्षकों को विभाग द्वारा बर्खास्त भी कर दिया गया है।

क्या है पूरा मामला

बिहार में शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया 2006 में शुरू हुई थी। इस प्रक्रिया के दौरान कई नियोजन इकाइयों की मदद से बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षकों को भी नियोजित कर लिया गया था, जिसके विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता द्वारा PIL दायर करने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए सुनवाई की प्रक्रिया मई 2015 में शुरू की। इस मामले में हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षक स्वेच्छा से त्यागपत्र देते हैं, तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिसके बाद कई शिक्षकों ने स्वेच्छा से त्यागपत्र सौंप दिया था। जिन्होंने अभी तक नहीं सौंपा है, उन्हें विभाग द्वारा दिए गए समय पर सौंपना होगा।

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