साक्षात्कार: बिहार और केरल में कोई मंडी नहीं :- मंत्री श्री राधा मोहन सिंह

साक्षात्कार:  बिहार और केरल में कोई मंडी नहीं :- मंत्री श्री राधा मोहन सिंह
कृषि मंत्रालय —-(पेसूका) ——————–केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने माई गोवइंडिया पर साक्षात्कार में कहा कि अगले पांच वर्षों में किसानों की आय निश्चित रूप से दुगुनी हो जाएगी। उनकी सरकार ने यह मानसिकता बदली है और अब किसानों के हित के लिए पूरी निष्ठा से काम हो रहा है। download

कृषि मंत्री : –    केन्द्र सरकार ने कृषि और किसानों के कल्याण का बजट 15,809 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 35,984 कर दिया है।

दलहन विकास के लिए अलग से 500 करोड़ और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए 850 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

सवालः-   सॉयल हेल्थ कार्ड की उपयोगिता क्या है?  

उत्तर –  2 करोड़ किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17 में 146 लाख नमूने जमा करने हैं जिससे 8.07 करोड़ कार्ड बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सॉयल हेल्थ कार्ड किसानों की खुशहाली की बुनियाद है। 

राष्ट्रीय कृषि बाजार का उद्देश्य ?

उत्तर –   किसानों को उनकी उपज का बढ़िया दाम दिलाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की ई – मंडी खोली गयी है और इसके प्रचार – प्रसार पर तेजी से काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल 8 राज्यों की 21 मंडिया 25 जिंसों की खरीद – बिक्री का काम कर रही है और अब तक 23,000 किसान इससे जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि ई – मंडी से जुड़ने के लिए 12 राज्यों के 365 प्रस्ताव आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि 2018 के मार्च तक 585 मंडियों को इससे जोड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी कई राज्यों में कृषि उपज की आवाजाही और उनकी खरीद – बिक्री पर कई तरह की पाबंदियां हैं और अलग – अलग मंडियों में अलग – अलग शुल्क लगते हैं। उन्होंने बताया कि 17 राज्यों ने अपने यहां मंडी कानून में सुधार किया है।

पटना सिटी में ” ई – मंडी ” कानूनी सुधार का  औचित्य क्या है  ?

उत्तर –  उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि बिहार और केरल में कोई मंडी कानून नहीं है जिसका खामियाजा वहां के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य अपने यहां मंडी कानून में आवश्यक सुधार करेंगे ताकि किसानों के हित में राष्ट्रीय कृषि बाजार को सफल बनाया जा सके।

फसल बीमा किसानों के लिये किस तरह लाभप्रद है । व्याप्त विसंगतियों को दूर करने का क्या उपाय है ?

उत्तर –  फसल बीमा में कई तरह की विसंगतियां थी लेकिन अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इन विसंगतियों को दूर कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि फसल की बीमा के लिए प्रीमियम दर बहुत कम रखा गया है। खरीफ के लिए अधिकतम 2 प्रतिशत, रबी के लिए अधिकतम डेढ़ प्रतिशत और वाणिज्यिक फसलों के लिए अधिकतम 5 प्रतिशत।

उन्होंने कहा कि अब किसानों के फसल के नुक्सान की स्थिति में उनकी पूरी भरपाई के इंतजाम किए गये हैं। आपदा राहत के मानकों में भी परिवर्तन किया गया है। पहले 50 प्रतिशत नुक्सान में मुआवजा मिलता था जिसे घटाकर 33 प्रतिशत कर दिया गया है।

अब फसल कटाई के बाद 14 दिन तक प्राकितक आपदा की वजह से हुए नुक्सान का भी मुआवजा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पहले मुआवजा में काफी वक्त लग जाता है लेकिन अब स्मार्टफोन और ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है और एक महीने के अंदर मुआवजा दिया जाता है।

कृषि सिंचाई योजना भयावह समस्या पैदा कर रही है ?

उत्तर ——इस योजना का लक्ष्य है हर खेत को पानी। उन्होंने कहा कि 15-20 साल से 89 मध्यम और बड़ी सिंचाई योजनाएं लम्बित हैं जिन्हें अगले पांच वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि 89 में से 23 योजनाओं को 17 मार्च 2017 तक पूरा किया जाएगा। 23 सिंचाई योजनाओं में बिहार, यूपी और महाराष्ट्र की परियोजनाएं शामिल हैं।

 

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