सब लोग क्या कहेंगे – सतीश सक्सेना

सब लोग क्या कहेंगे –  सतीश सक्सेना

कलमधारियों के बीच शायद मैं अकेला बुद्धिहीन, विवेकहीन हूँगा जिसने ६० वर्ष की बाद दौड़ना शुरू किया कई विद्वान मित्र सोंचते होंगे कैसे दिन आ गए हैं कि पहलवानी करने वाले लोग भी कलम उठाकर अपने आपको लेखक अथवा कवि समझते हैं बहरहाल मैं सोंचता हूँ कि एथलीट कोई भी बन सकता है बशर्ते उसमें कुछ नया करने का मन हो , मजबूत अच्छा शक्ति के आगे बढ़ती उम्र का कोई बंधन, उसे रोक नहीं पायेगा !

लोग कहेंगे कि आप खुश किस्मत हैं कि आपको इस उम्र में कोई बीमारी नहीं है अन्यथा इस उम्र में दौड़ के दिखाने में, नानी याद आ जाती ! मैं सोंचता हूँ , बीमारी तो कई थीं और हैं भी , मगर मैं उन पर कभी ध्यान ही नहीं देता , मेरा यह विश्वास है कि बीमारी ठीक करने का काम मेरे शरीर की प्रतिरोधक शक्ति का है जिसे मैं दौड़कर और मजबूत बना रहा हूँ ! 

ध्यान देता हूँ तो सिर्फ दौड़ने पर ताकि बढ़ता भयावह बुढ़ापा दूर दूर तक नज़र भी न आये और मुझे हर रोज सुबह लगातार ५-१० किलोमीटर दौड़ता देख, डर के कहीं छिप जाए कि यह आदमी पागल है कौन इससे पंगा ले !
जब सुबह मोहल्ले में सब सो रहे होते हैं उस वक्त कुछ एक टहलने वालों के सामने से दौड़ता हुआ पसीने से लथपथ जब मैं अपने घर में घुसता हूँ तब बहता हुआ पसीना अमृत जैसा लगता है और लोग आश्चर्य चकित होते हैं कि कमाल है इस उम्र में यह दौड़ क्यों रहा है उस समय उनके इस हैरानी के अहसास से ही मेरी सारी थकान गायब हो जाती है और चेहरे पर मुस्कान आ जाती है !

मुझे याद है ५ वर्ष पहले मैंने कुकिंग गैस का सिलेंडर एक झटके से उठाया था और मेरे सीधे हाथ की सॉलिड मसल्स एक झटके से टूट कर  अपनी जगह से हटकर लटक गईं थी उस दिन लगा था कि लगता है वे दिन गए जब खलील खां फ़ाख्ते उड़ाया करते थे , मगर आज दौड़ने के साथ ही वह मसल्स फिर रिपेयर होकर न केवल पहले से अधिक ताकतवर बन गयी है बल्कि अब अपने आपको अधिक  शक्तिशाली महसूस करता हूँ !

कल २ बजे की तेज धूप में २ किलोमीटर सड़क पर पैदल चलकर जब टपकते पसीने के साथ मॉल में घुसा तब कार से उतरते लोगों को देख बड़ा सुकून महसूस हो रहा था कि मैं वह कर सकता हूँ जो इस गर्मीं में इनके बस की बात नहीं और मैं वही हूँ जो अपनी पूरी युवावस्था में बस में कभी इसी लिए नहीं चढ़ा था कि दिल्ली की बसों में चढ़ने के लिए उनके पीछे भागना पडेगा ! पूरे जीवन पैदल न  चलने वाला व्यक्ति प्रौढ़ावस्था या बुढ़ापे में, जो भी आप समझें , बिना रुके, लगातार 10 किलोमीटर दौड़ सकता है , इसका अहसास ही, पूरे दिन दिमाग को तरोताजा रखने के लिए काफी है !
-मुझे याद है रनर का सबसे मुश्किल पहला महीना जब मैं रनिंग की कोशिश कर रहा था , उन दिनों पैरों में तेज दर्द होता था लगता था अब नहीं दौड़ पाउँगा वह दर्द अब कहाँ गया इसका पता ही नहीं चला  …. 

-मुझे याद है कि 50 वर्ष की उम्र में, ह्रदय की धड़कन तेज होने पर, एक बार मैं पूरी रात हॉस्पिटल में ऑक्सीजन के सहारे रहा तब लोगों ने कहा था कि बाज आइये अब आपकी उम्र हो गई है मगर अब ६२ वर्ष में ,ह्रदय लगता है दुबारा जवान हो गया है 

-बढे ब्लड प्रेशर का कभी कोई इलाज नहीं किया न कराया आजकल जब चेक करता हूँ , परफेक्ट जवानी वाला  82 / 140 आता है !

-कॉन्स्टिपेशन लगता है कभी था ही नहीं  …. 
– उँगलियों तक खून का बहाव लाने के लिए पागलों की तरह तालियां बजाना कब का बंद कर चुका हूँ !
सो अपनी शानदार तोंद को , बढ़िया लम्बे कुर्ते से छिपाए मंच पर बैठे साहित्यकारों, कवियों , लेखिकाओं से निवेदन है कि इस लेख पर सरसरी नजर न डाल , ध्यान से पढ़ें और कल से जॉगिंग के लिए घर से निकलने का संकल्प लें, भले ही गुस्से में गालियाँ मेरे हिस्से में आएं मगर प्लीज़ सुबह सवेरे ट्रेक पर जाने में अधिक न सोचिये कि सब लोग क्या कहेंगे 
याद रखें हमारे देश में सबसे अधिक डायबिटीज़ तथा ह्रदय रोगी हैं तथा रनिंग इन सबका सबसे अच्छा और निरापद इलाज है , Running is the best cardio exercise …
आप सबके स्वास्थ्य के लिए चिंतित …. 

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