• November 9, 2017

लेकसिटी में किसान महाकुंभ

लेकसिटी में  किसान महाकुंभ

जयपुर, 9 नवंबर। केन्द्रीय जल संसाधन एवं गंगा पुनरोद्धार राज्य मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री का सपना है कि बीज से लेकर बाजार तक हो रहे तकनीकी विकास एवं नवाचारों का लाभ किसानों को सीधा-सीधा मिले ताकि किसानों की आमदनी वर्ष 2022 तक दोगुनी हो। राज्य सरकार द्वारा ‘ग्राम’ का आयोजन प्रधानमंत्री के इस सपने को साकार करने में देशभर में अग्रणी एवं सफल पहल है।
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केन्द्रीय मंत्री श्री मेघवाल गुरुवार को उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित ‘ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट, 2017’ के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्तमान में देश की जीडीपी में कृषि का योगदान 16 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत तक कर दिया है, अब इसे 21 प्रतिशत से अधिक लाने के लिए सबको मिलजुलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कृषि विकास के लिए जो भी प्रस्ताव भारत सरकार को भिजवाएगी, मैं उसे स्वीकृत करवाकर ही दम लूंगा। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे अपनी आय को बढ़ाने के लिए उद्यानिकी एवं वाणिज्यिक फसलों के उत्पादन पर जोर दें।

समारोह में विधि एवं न्याय राज्यमंत्री श्री पी.पी.पी.चौधरी ने कहा कि कृषि में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन एवं प्रबंधन की आवश्यकता है। राज्य सरकार द्वारा की जा रही पहल इस दिशा में कारगर साबित होगी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हित के लिए लगातार प्रयासरत है। देशभर में 7 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्डों का वितरण किया जा चुका है।

उन्होंने बताया कि देश में पहली बार बजट में 10 लाख करोड़ रुपयों का प्रावधान कृषि ऋण के लिए किया गया है ताकि किसान आर्थिक रूप से सुदृढ़ होकर विकास प्रक्रिया के सहभागी बन सके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने पहली बार नीम कोटेड यूरिया की व्यवस्था की है, इससे यूरिया की कालाबाजारी पर रोक लगी है और किसानों को फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि ग्रोथ एनर्जी के रूप में सौर ऊर्जा का उपयोग कृषि सिंचाई के लिए किया जा रहा है, भण्डारण की भी नई तकनीकी विकसित की गई है।

समंवित कृषि से बढ़ेगी किसानों की आमदनी— कृषि मंत्री

कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि अगर किसानों को अपनी आय बढ़ानी है तो समन्वित कृषि करके फसलों का विविधिकरण करना होगा। उन्होंने कहा कि हाईड्रोफोनिक, ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, उन्नत पशुपालन करके किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने हाइड्रोफोनिक तकनीक के बारे में बताया कि यह बिना मिट्टी के पानी में की जाने वाली खेती है, जिसके माध्यम से किसान लाखों रुपयों की पैदावार ले सकते हैं।

उन्होंने बताया कि राजस्थान देश में नवाचारी कृषि राज्य के रूप में पहचान बना रहा है। राज्य 12 प्रकार की फसलों के उत्पादन में देश में अग्रणी है। आज किसानों को एग्रीकल्चर के साथ फ्लोरीकल्चर, हॉर्टिकल्चर, हर्बीकल्चर और मत्स्य पालन को अपनाना होगा। उन्होंने हरित क्रांति, पीत क्रांति और सफेद क्रांति के बाद सदाबहार क्रांति की बात कही। उन्होंने कहा कि उदयपुर संभाग में 92 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी के हैं, इसलिए उन्हें परंपरागत खेती की बजाय समंवित खेती करनी चाहिए।

उन्होंने राज्य को वाणिज्यिक फसलों के उत्पादन की ओर अग्रसर करने की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि 12 प्रकार के कैंसर और कई प्रकार के रोगों के निदान में उपयोगी जैतून के उत्पादन में राजस्थान अग्रणी राज्य बन चुका है। राजस्थान में 20 हजार मेट्रिक टन किनवा का उत्पादन हुआ है, अब इसके विपणन के लिए ग्राम उदयपुर में एमओयू किया गया है।

उन्होंने राजस्थान में 75 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण की जानकारी देते हुए इसे किसान के खेत की जन्मपत्री बताया। कृषि मंत्री ने सरकार द्वारा किसानों को दिए जा रहे संबल के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि फसल बीमा योजना के तहत 400 करोड़ रुपयों का भ्ुागतान किसानों के खातों में किया गया है।

ग्राम चौपाल तक पहुंचे सरकार की योजनाएं— श्रीमती माहेश्वरी

उच्च एवं तकनीकी शिक्षामंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने कहा कि ग्राम उदयपुर के दौरान 415 करोड़ की योजनाओं के शिलान्यास व लोकार्पण के माध्यम से क्षेत्रवासियों को विकास की सौगात प्राप्त हुई है वहीं ग्राम में 488 करोड़ के एमओयू किए गए जिससे इस क्षेत्र के किसानों को आने वाले समय में अपनी फसलों का पूरा-पूरा लाभ मिलेगा।

उन्होंने खेती को उन्नत करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों में स्मार्ट फार्म विकसित करते हुए किसानों को खेती की उन्नत प्रविधियों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता जताई। श्रीमती माहेश्वरी ने सरकार की योजनाओं को ग्राम पंचायत स्तर तक के कार्मिकों के माध्यम तक ग्राम चौपालों तक पहुंचाने का सुझाव दिया तथा कहा कि गांवों में समन्वित कृषि के विकास, जैविक खेती के विकास तथा स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से हाईब्रिड बीज के उत्पादन और मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

उदयपुर सांसद श्री अर्जुनलाल मीणा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए ग्राम उदयपुर के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि इस आयोजन से इस संभाग के हजारों किसानों को बड़ा लाभ प्राप्त होगा।

सलूंबर मण्डी होगी हाड़ी रानी के नाम पर

समारोह दौरान कृषि मंत्री श्री प्रभुलाल सैनी ने घोषणा की कि उदयपुर संभाग में बनने वाले मक्का के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए दस करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार जहां उत्पादन वहां विपणन के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उदयपुर संभाग में 160 करोड़ रुपयों की लागत से मण्डियों के विस्तार का कार्य किया जाएगा। बलिचा, बाघपुरा, कोटड़ा, लसाड़िया की मण्डियों को विकसित किया जाएगा। उन्होंने इस मौके पर सलूंबर मण्डी यार्ड का नामकरण हाड़ी रानी मण्डी यार्ड करने की भी घोषणा की।

संभाग के कृषकों का हुआ सम्मान

समारोह में अतिथियों द्वारा आत्मा योजना, कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम के तहत कृषि, उद्यान, पशुपालन व मत्स्य पालन में श्रेष्ठ कार्य करने वाले कृषकों को सम्मानित किया गया। इसमें बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा पंचायत समिति की श्रीमती नीरादेवी तथा कुशलगढ़ पंचायत समिति के नागदा गांव के कैलाश, राजसमंद जिले के रेलमगरा पंचायत समिति की श्रीमती रूकमणी बाई व श्यामूदेवी, डूंगरपुर जिले की सागवाड़ा पंचायत समिति के जितेन्द्र भट्ट, बिछीवाड़ा पंचायत समिति के दिनेश कटारा, चित्तौड़गढ़ जिले की भूपालसागर पंचायत समिति के देशराज, बड़ी सादड़ी पंचायत समिति के शंकरलाल जाट, उदयपुर जिले के भीण्डर पंचायत समिति के गोपीलाल और रायसिंह तथा प्रतापगढ़ जिले के उदयलाल एवं दिलीप आंजना को प्रशस्तिपत्र व 25 हजार रुपये प्रदान कर सम्मानित किया गया।

समारोह में जैविक खेती के लिए एक-एक लाख रुपये के तीन राज्य स्तरीय पुरस्कार भी प्रदान किए गए। इसमें परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक विधियों का उपयोग कर खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के तहत झालावाड़ जिले के प्रभुलाल साहू, बारा जिले के ब्रजराज गौड़ और सीकर जिले के कानसिंह को एक-एक लाख रुपये व प्रशस्तिपत्र प्रदान किए गए।

परिहार को सम्मान

समारोह में अतिथियों ने दूरदर्शन केन्द्र जयपुर के कृषि दर्शन कार्यक्रम के निर्माता वीरेन्द्र परिहार को भी सम्मानित किया गया। परिहार को यह सम्मान गत बारह वर्षों से कृषि कार्यक्रम एवं नवाचारी किसानों व पशुपालकों की सफलता की कहानियों के प्रसारण व कृषि संबंधित गतिविधियों के प्रचार-प्रसार के कार्य के लिए प्रदान किया गया।

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