मोहरेंगा में जंगल सफारी

मोहरेंगा में  जंगल सफारी

रायपुर ————-नया रायपुर में निर्मित जंगल सफारी की तर्ज पर एक और जंगल सफारी राजधानी रायपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर खरोरा-तिल्दा मार्ग पर ग्राम मोहरेंगा में तेजी से आकार ले रही है। वन विभाग इसे सिर्फ प्रकृति दर्शन के लिए विकसित कर रहा है, जहां लोग चिड़ियों की चहल-पहल के साथ जैव विविधता का भी अवलोकन कर सकेंगे।

विभागीय अधिकारियों ने आज यहां बताया कि यह प्राकृतिक सफारी आकार में नया रायपुर से जंगल सफारी से बड़ा होगा। नया रायपुर का जंगल सफारी 800 एकड़ में हैं, जबकि मोहरेंगा में आकार ले रहे नेचर सफारी को 580 हेक्टेयर अर्थात 1450 एकड़ में बनवाया जा रहा है। यह लगभग 12 किलोमीटर के दायरे में विकसित हो रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश व्यापी हरियर छत्तीसगढ़ अभियान की तैयारी के लिए यहां मंत्रालय में कल आयोजित बैठक में वन विभाग वन विभाग के मोहरेंगा नेचर सफारी की प्रोजेक्ट की प्रशंसा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस नेचर सफारी को और भी बेहतर ढंग से विकसित किया जाए। डॉ. सिंह ने मोहरेंगा नेचर सफारी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की जरूरत पर बल दिया और इसके लिए अधिकारियों को एक विशेष कार्ययोजना जल्द तैयार करने के भी निर्देश दिए।

बैठक में वन मंत्री श्री महेश गागड़ा, मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अपर मुख्य सचिव श्री एम.के राउत, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री एन. बैजेन्द्र कुमार, योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री सुनील कुजूर, वन विभाग के प्रमुख सचिव वन श्री आर.पी. मण्डल आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव श्री अमन कुमार सिंह सहित विभिन्न विभागों के सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य के हर जिले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन चिन्हांकित करने तथा अधिक से अधिक संख्या में न्यूनतम 10-12 हेक्टेयर के रकबे में आक्सीजोन विकसित करने के भी निर्देश दिए।

डॉ. सिंह ने कहा कि हर ऑक्सीजोन में अधिक से अधिक संख्या मे बांस, चिकू, कटहल, बादाम, आंवला, जामुन, आम , पीपल, बरगद, बेल, आदि के पौधे लगाए जाएं। उन्होंने कहा – जिन उद्योगो द्वारा नियमानुसार एक तिहाई क्षेत्र में वृक्षारोपण का कार्य नहीं किया गया है, ऐसे उद्योगों का नवीनीकरण निर्धारित मापदंड के अनुसार वृक्षारोपण करने के बाद ही किया जाए।

डॉ. रमन सिंह ने राज्य के सभी पांच राजस्व संभागों – रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा में एक-एक हाईटेक नर्सरी बनाने और वहां हर साल कम से कम एक करोड़ उत्कृषट आकार के स्थानीय प्रजाति के पौधे तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा – रोपणियों में अधिक से अधिक मात्रा में उत्कृषट गुणवत्ता के पौधे तैयार किये जाएं ताकि स्थानीय आवश्यकता की पूर्ति के साथ-साथ अन्य राज्यों को पौधों वितरण की कार्यवाही सम्भव हो सके।

वन कर्मचारियों को लगातार रोपण एवं रोपणी से संबंधित आधुनिक तकनीक से अवगत कराने हेतु लगातार प्रशिक्षण दिया जाए। प्रत्येक रोपण क्षेत्रा का जी.पी.एस. से सर्वेक्षण कराया जाए और के.एम.एल. फाईल बनाकर वर्ष में 04 बार सेटेलाईट इमेजरी प्राप्त की जाए इसके लिए प्रत्येक तीन माह में सेेटेलाईट इमेजरी प्राप्त करने हेतु तिथि तय की जाए।

डॉ. सिंह ने कहा – राज्य में मनरेगा अंतर्गत 100 करोड़ रूपए का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया जाए। उन्होंने वन विभाग द्वारा कराए जा रहे कार्यो की सफलता की कहानी बनाकर व्यापक प्रचार-प्रसार के भी निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा – बिलासपुर वनवृृत्त में लुप्त हो रही माहुलबेला प्रजाति के वृक्षों के संरक्षण के लिए इनके पौधे अधिक से अधिक संख्या में लगवाएं। उपयुक्त स्थलों का चयन कर मुनगा का भी रोपण किया जावे। मुख्यमंत्री ने वन विभाग द्वारा किये जा रहे वृृक्षोरोपणों में जल संवर्धन हेतु स्थल के आधार पर ट्रेक्टर से रिपिंग कराने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा – सरगुजा वन वृृत्त में बांस वनों को पुनः स्थापित करने हेतु बिगडे़ बांस वनों का सुधार तथा बांस का रोपण कराया जाए।

बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए अन्य महत्वपूर्ण निर्देश – बिगडे़ वनों के सुधार कार्य में जड़भंडार आधारित कार्यों को प्राथमिकता देते हुए प्राकृतिक वनों का संवर्धन किया जाए।

आवश्यकता होने पर स्थल की उपयुक्तता के आधार पर पौधा रोपण किया जाए। हरियाली प्रसार योजना के अंतर्गत बिलासपुर वनवृत्त के अनुरूप अन्य वृत्तों में भी कृषक प्रशिक्षण उन्नत तकनीकी का उपयोग कर विभाग द्वारा पूर्व में किये गये रोपणों के सफलता की कहानी से अवगत कराया जाए।

कृषिवानिकी को बढ़ावा दिया जाए। हर जिले में कलेक्टर द्वारा बैठक लेकर विभिन्न विभागो के वृक्षारोपण कार्यो की समीक्षा की जाए।

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