बेचारे कुँवारें ! –शैलेश कुमार

बेचारे कुँवारें ! –शैलेश कुमार

आज ग्रामीण और शहरी गरीबों को आवास योजना के तहत आवास मुहैया करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। लेकिन उन गरीबों के लिए सरकार क्या करने जा रही है जो कुँआरा हैं। जो देश की शक्ति है। जो राष्ट्र का आधार स्तम्भ हैं।

परिवार वालों तो देश के हित में सोच ही नहीं सकते हैं, क्योंकि उनका परिवार ही पहाड़ है।

इस पहाड़ को ढोने के लिए तरह – तरह से जुगाड़ लगा कर चूना लगाने में व्यस्त रहते हैं। इसलिए प्रधानमन्त्री और मुख्यमंत्री को उपेक्षा के वजाय कुँवारों पर विशेष योजना जारी करनी चाहिए।

राज्य के मुख्यमंत्री (खट्टर ) और देश के प्रधानमंत्री के पास इन कुँवारों के बारे में कोई योजना नहीं है तो , तो ऐसे वंशलोचन सरकार को अवश्य ही नीचा दिखलाना चाहिए।

कुंवारा शब्द इतना प्रिय है की शादीशुदा भी कुंवारा टाइटल रख कर गर्व महसूस करतें हैं तथा डोरे डालने में व्यस्त रहते हैं ।

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