बायो मैग्नेटिक टाइटेनियम ब्रेसलेट रक्त संचरण में सहायक

बायो मैग्नेटिक टाइटेनियम ब्रेसलेट रक्त संचरण में सहायक

बायो मैग्नेटिक टाइटेनियम ब्रेसलेट रक्त संचरण में सहायक:-

न्यून रक्त संचरण के लक्षण :-

हाथ -पांव में जलन, सनसनाहट , साँस में दिक्कतें। शक्तिहीनता , धडकन में नियमितता। यादाश्त में कमी।

रक्त संचरण में कमी के कारण : डायबिटीज,आर्थराइटिस,उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप,छाती में दर्द, दिल से सम्बंधित विमारी।

रक्त संचार में सुधार, सूजन और दर्द में कमी ,मांसपेशियों में मजबूती और बढियां चलन। दबाव में कमी। थकान और शरीर के दर्द समाप्त। पीठ दर्द, सर दर्द, गला दर्द,अनिद्रा, शरीर के प्रतिरक्षात्मक शक्ति में सुधार। लवणीय आँख बने रहना,चमड़ी में चमक । 1

बायो मैग्नेटिक टाइटेनियम ब्रेसलेट के तरीके:-

मैग्नेटिक सिद्धान्त कलाई के चारो ओर धमनी में घुमने के सिद्धान्त काम करता है। जो संचरण के प्रणाली और रक्त में सुधार लाने का काम करता है।

संचरण के बढ़ोतरी से शरीर के पोषण तत्व जो रक्त के लिए आवश्यक है प्राकृतिक रूप से समपुष्ट होता है।

बायो मैग्नेटिक टाइटेनियम ब्रेसलेट

नेओडिमॉम बायो मैग्नेट्स धरती से पैदा होता है। यह अनिश्चितकाल तक प्रभावी रहता है। शक्ति में कमी का कोई संकेत नहीं है।

स्टील से भी मजबूती के लिए इस चुम्बकीय तत्व को टाइटेनियम धातु से संयोग किया जाता है। जिसके कारण 45 प्रतिशत हल्का होता है।

FIR बाल के 100 % सुचालक जर्मेनियम धातु और टाइटेनियम के संयोग से ब्रेसलेट बनाया जाता है।
गणित , भौतिक और चुम्बक के अनुसंधानकर्ता – कार ऍफ़ गॉस अनुसार माप और आकार के अनुसार यह प्रभावी होता है। नेओडिमॉम मैग्नेट्स के सभी ब्रेसलेट 2500 से 10000 गॉस के होते है।

दूरस्थः इन फ्रा किरण (अवरक्त कण) सूर्य के स्पेक्ट्रम से निकलती है जिसे नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता है। यह बियोगेनेटिक्स (6 से 14 माइक्रोन) किरण कहलाता है। वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है की यह पौधा , जानवर और मानवजाति के विकास में विशेषकर सहयोगी है।

इंफ्रा किरण का प्रभाव:- जलीय कण में प्रतिध्वनि सुनाई देना

आयनाइज और जलीय अणु में गतिविधियां के कारण हमारे कोशिका और रक्त संचरण में तथा शारीरिक स्थिति में सुधार होता है।

मानवीय शरीर 70 % जलीय कणों का संग्रह है।

बायो मैग्नेटिक टाइटेनियम ब्रेसलेट से ऑक्सीजन में सुधार होता है। इसका काम शरीर को गर्म बनाये रखने,वसा, रासायनिक अम्ल और टॉक्सिन्स को विसर्जित करना होता है ।

इस तरह रक्त प्रवाह के कारण शरीर से मल विसर्जित होता है। एसिडिक स्तर में कमी से स्नायु तंत्र नियमित रहता है।

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