नोटबंदी : देश हुआ मजबूत———– सुरेश हिन्दुस्थानी

नोटबंदी : देश हुआ मजबूत———– सुरेश हिन्दुस्थानी

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा एक वर्ष पूर्व किए गए नोट बदली को जहां भारतीय जनता पार्टी अप्रत्याशित बताते हुए उसके लाभ बता रही है, वहीं विपक्षी दल कांगे्रस इसे त्रासदी के रुप में प्रचारित कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जारी किए एक वीडियो में जो बात कही गई है, वह आज की वास्तविकता है। यह सच है कि देश में जितना भी धन अमीरों की तिजोरियों में जमा था, वह सीधे बैंकों में जमा हो गया। इससे बैंक भी मालामाल हुर्इं और धनपतियों के घर में पूंजी का भंडार भी सरकार की निगरानी में आ गया।

अगर ऐसा नहीं किया जाता तो स्वाभाविक था कि यह धन बाहर नहीं आता। कांग्रेस पार्टी संभवत: इसी को त्रासदी का रुप दे रही है। अब सवाल यह आता है कि नोटबंदी के बाद देश में जो बदलाव दिखाई दे रहा है, वह कांगे्रस को क्यों नहीं दिख रहा है। क्या उसके पास राष्ट्रीयता वाला दृष्टिकोण का अभाव होता जा रहा है या फिर कालाधन वालों का दर्द ही दिखाई दे रहा है।

नोटबंदी को त्रासदी की संज्ञा देना एक प्रकार से कांगे्रस पार्टी की राजनीतिक मजबूरी भी हो सकती है। क्योंकि कांगे्रस पार्टी के शासनकाल में जिस प्रकार से भ्रष्टाचार के माध्यम से देश की जनता की कमाई को लूटा गया, उसके कारण वर्तमान में कई लोग धनवान की पंक्ति में सम्मिलित हो गए। जबकि वर्तमान की यह सबसे बड़ी उपलब्धि ही कही जाएगी कि इस सरकार ने अपने स्वार्थ के लिए अभी तक कोई भी काम नहीं किया।

जनता के हितों के संवर्धन हेतु ही कदम उठाए गए। यह बात सही है कि देश की गरीब जनता नोटबंदी के कारण बैंक की लाइन में लगी थी, लेकिन उसकी जो दशा पहले थी, वैसी ही आज भी है। उसकी दशा में कोई परिवर्तन नहीं आया। इसके विपरीत भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले लोग निश्चित ही नोटबंदी के बाद सचेत हो गए हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा बैंक में रखना प्रारंभ कर दिया है, इस कारण जो बैंक बंद होने की कगार पर दिखाई दे रही थी, वे फिर से मैराथन की मुद्रा में आ गर्इं हैं।

नोटबंदी के एक वर्ष पूर्ण होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्वीट में कहा है कि ‘भ्रष्टाचार और कालेधन को जड़ से उखाड़ने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों का दृढ़तापूर्वक समर्थन करने के लिए मैं भारत के लोगों के आगे सर झुकाता हूं।’ उन्होंने कहा कि 125 करोड़ भारतीयों ने एक निर्णायक लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने नोटबंदी पर बनाई गई एक शॉर्ट फिल्म भी अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर की है।

लगभग सात मिनट की इस छोटी सी फिल्म में नोटबंदी के परिणामों पर एक नजर डाली गई है, जिसमें कहा गया है कि 1000 और 500 के पुराने नोट बंद होने से गरीबों और ईमानदार लोगों की नींद हराम नहीं हुई, बेईमान लोगों के जीवन में भूकंप सा आता दिखाई दिया। विडियो में दावा किया गया है कि नोटबंदी के चलते देश में जमा कालाधन बैंकों में लौट आया है और आज सरकार के पास उनके मालिकों के नाम, पते और चेहरे मौजूद हैं।

बताया गया है कि 23 लाख बैंक खातों में जमा 3.68 लाख करोड़ की राशि जांच के घेरे में है। वर्तमान में इसकी जांच की जा रही है। इसके अलावा हम यह भी जानते हैं कि नोटबंदी के बाद आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूट गई है। इनकी गतिविधियों में भी अप्रत्याशित कमी आई है। एक आंकड़े के अनुसार कश्मीर में पत्थरबाजी में भी 75 प्रतिशत की कमी देखी जा रही है। इसके आलावा जाली नोटों और ड्रग्स के धंधे को भी बड़ा झटका लगा है।

नोटबंदी का कदम शेल कंपनियों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसा ही था। इसके जरिए 2.24 लाख कंपनियां बंद की गईं। कहा गया है कि नोटबंदी नहीं होती तो आज 18 लाख करोड़ की हाई वैल्यू करंसी होती जो अब घटकर 12 लाख करोड़ हो चुकी है। सरकार ने बेनामी संपत्ति को लेकर बड़ी कार्रवाई की, नए टैक्स पेयर्स की संख्या में वृद्धि हुई, आॅनलाइन रिटर्न भरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, नकद रहित व्यवस्था में तेजी आई, डिजिटल ट्रांजैक्शन के आंकड़े अप्रत्याशित रूप से बढ़े, प्रॉपर्टी के दाम में कमी आई और लोन की किश्तें कम हो गईं। जो पैसा लोगों की तिजोरी में था, वह देश की अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन गया।

नोटबंदी के बाद देश के नागरिकों के समक्ष परेशानी भले ही आई हो, लेकिन किसी का पैसा बर्बाद नहीं हुआ। इसके विपरीत कांगे्रस तो ऐसे प्रचारित कर रही है, जैसे गरीबों का पैसा बर्बाद हो गया हो, हां नोटबंदी से अमीरों का कुछ पैसा जरुर बर्बाद हुआ होगा। गरीब को आज भी उतना ही मिल रहा है, जितना नोटबंदी से पहले मिलता था।

वास्तव में देश की गरीब जनता पूरी तरह से ईमानदार है, इसलिए वह देश में भी ईमानदारी चाहती है। सभी आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि जनता को कुछ दिनों के लिए पसीना बहाना पड़ा हो, लेकिन देश को अप्रत्याशित लाभ ही पहुंचा है। जनता भी यही चाहती थी कि देश से समस्याओं का निराकरण होना ही चाहिए।

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