धन-शोधन और दिवाला संहिता फ्रेमवर्क और सरकार द्वारा समाधान

धन-शोधन और दिवाला संहिता फ्रेमवर्क और सरकार द्वारा समाधान

पीआईबी————————-केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा है कि धन-शोधन और दिवाला संहिता फ्रेमवर्क और सरकार द्वारा समाधान पर बल देने से परिसम्पत्ति पुनर्निर्माण कम्पनियों (एआरसी) और निजी इक्विटी (पीई) संस्थानों के लिए बेजोड़ अवसर पैदा हुए हैं।

प्रमुख एआरसीज़ और निजी इक्विटी संस्थानों के साथ एक बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि खराब/फंसे हुए घोषित किए गए खातों का अभी भी अंतर्निहित मूल्य है। उन्होंने कहा कि यदि इन खातों को बहाल कर दिया जाता, तो वे अनिवार्यतः उत्पादक परिसम्पत्तियां होते, और न केवल अतिरिक्त रोजगार पैदा करते बल्कि राष्ट्रीय उत्पादन में भी योगदान करते। इसके लिए जरूरी था कि समय रहते उपाय किए जाते, पारदर्शी मूल्य अन्वेषण और सही प्रबंधन किया जाता।

श्री जेटली ने पिछले 18 महीनों के दौरान किए गए वैधानिक और नियामक परिवर्तनों पर प्रकाश डाला जिनसे परिसम्पत्ति पुनर्निर्माण कम्पनियों के लिए एक सक्षम और सहायक प्रचालनगत वातावरण का निर्माण हुआ है और फंसी हुई परिसम्पत्तियों का एआरसीज़/विशेष स्थिति निधियों द्वारा अधिग्रहण संभव हो पाया।

इन उपायों में प्रायोजकों द्वारा शत प्रतिशत स्वामित्व, एआरसीज़ में शत प्रतिशत एफडीआई की व्यवस्था करना, एआरसी ट्रस्टों को आयकर से छूट प्रदान करना, स्टांप ड्यूटी से मुक्ति, प्रतिभूति प्राप्तियों की खरीद फरोख्त की अनुमति आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में बड़ी संख्या में नई एआरसीज़ ने पंजीकरण की मांग की और उन्हें पंजीकृत किया गया।

उन्होंने कहा कि बाजार में ऐसी कम्पनियों की संख्या बढ़ना इस बात का संकेत है कि इस क्षेत्र में रुचि बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इससे बैंकों के लिए भी यह अवसर पैदा हुआ है कि वे उनके लिए पूर्ण प्रावधान करते हुए तत्संबंधी स्ट्रैस को आफलोड करें।

विचार विमर्श के दौरान एआरसी और पीई संस्थानों ने सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा किए गए उपायों की सराहना की। बैठक में एआरसीज़/पीई निधियों द्वारा लक्षित मामलावार समाधान की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि इन संस्थाओं की प्रचालनगत सक्षमता बहुत अधिक है। पूंजी जुटाने और नियोजित करने की संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया। यह सुझाव दिया गया कि किसी पृथक बैंक द्वारा स्वयं के ऋण खाते को बेचने की बजाए किसी कंसोर्टियम द्वारा परियोजना ऋण की बिक्री अधिक कारगर हो सकती है, जिससे समय पर ऋण संग्रह सुनिश्चित किया जा सकता है। एआरसीज़ और पीई फंड्स की गतिविधियां बढ़ाने के बारे में भी सुझाव दिए गए।

प्राप्त जानकारी का संज्ञान लेते हुए श्री जेटली ने यह माना कि सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा एआरसीज़ और विशेष स्थिति फंड्स को पहुंचाई गई सुविधाओं का ऋण समाधान की स्थिति पर अनुकूल असर पड़ा है। नतीजतन बैंकों, एआरसीज़, पीई, परिसम्पत्ति प्रबंधन कम्पनियों और समाधान व्यवसायियों के बीच सहयोग से नए निवेश, नए रोजगार और अतिरिक्त मांग का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

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