• November 22, 2017

चार साल में ग्रामीण विकास पर 48 हजार 800 करोड़ खर्च

चार साल में ग्रामीण विकास पर 48 हजार 800 करोड़ खर्च

जयपुर, 22 नवम्बर। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि गत चार वर्ष में ग्रामीण विकास पर राज्य सरकार ने 48 हजार 800 करोड़ रूपए से अधिक राशि खर्च कर गांवों में बुनियादी सुविधाएं स्थापित की हैं, जबकि पूर्ववर्ती सरकार के समय पांच वर्ष में मात्र 30 हजार 659 करोड़ रूपए ही खर्च किए गए।

श्री राठौड़ बुधवार को पिंक सिटी प्रेस क्लब में राज्य सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग में हुुए कार्यों के संबंध में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होेंने बताया कि गत चार वर्ष में मनरेगा में 15 हजार 790 करोड़, स्वच्छ भारत अभियान में 4 हजार 998 करोड़, डांग विकास, मेवात योजना, मगरा योजना तथा सीमान्त विकास योजना में 1233 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में विगत चार वर्ष में 2 हजार करोड़, प्रधानमंत्री आवास एवं अन्य आवास योजनाओं में 6 हजार 181 करोड़, सांसद विकास एवं विधायक विकास योजना में 2013 करोड़, स्वविवेक जिला योजना में 18 करोड़, गुरूगोलवल कर जनभागीदारी योजना में 427 करोड़, केंद्रीय वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग योजना में 15 हजार 258 करोड़ तथा ग्रामीण राजीविका के तहत गत चार वर्ष में 889 करोड़ रूपए का परियोजना व्यय किया गया है।

73.75 लाख शौचालयों का निर्माण

श्री राठौड़ ने बताया कि राजस्थान स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2015-16 में 21.62 लाख तथा वर्ष 2016-17 में 27.94 लाख शौचालयों का निर्माण कर भारतवर्ष में प्रथम रहा है। विगत चार वर्ष में राजस्थान में 73.75 लाख परिवारों द्वारा शौचालय का निर्माण कर कीर्तिमान कायम किया गया है। उन्होंने बताया कि आगामी तीन माह में 17 जिले खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) हो जाएंगे। वहीं अब तक 7 हजार 616 ग्राम पंचायतें ओडीएफ हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि महिला दिवस पर आयोजित स्वच्छ शक्ति समारोह-2017 में प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना में राष्ट्रीय स्तर पर अजमेर की मनरेगा श्रमिक आशा बॉबी को सम्मानित किया। इसी प्रकार स्वच्छ संकल्प से स्वच्छ सिद्धि अभियान के दौरा राज्य के चार व्यक्तियों को प्रधानमंत्री ने पुरस्कृत किया।

4 साल में जल आत्मनिर्भर हो जाएंगे 21 हजार गांव

पंचायतीराज मंत्री ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों को जल की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाए जा रहे मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत 4 वर्षों में 21 हजार गांवों में जल संरक्षण के कार्य करवाए जाएंगे। अब तक चयनित 7742 गांवों में अभियान के तहत 3 हजार 125 करोड़ रूपए खर्च कर 2 लाख 23 हजार 319 कार्य पूर्ण करवाए जा चुके हैं। साथ ही अभियान के दौरान 86 लाख पौधे लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि तृतीय चरण में 4200 गांवों में जल संरक्षण के कार्य किए जाएंगे। दो चरणों के कार्य होने से मानसून के दौरान 11 हजार 173 मिलियन क्यूबिक पानी एकत्रित हुए है। इससे सिंचाई क्षेत्रों में आशाजनक वृद्धि हुई है तथा पानी के टैंकरों में 57 प्रतिशत की कमी आई है।

मनरेगा में हम चौथे पायदान पर

श्री राठौड़ ने बताया कि मनरेगा के तहत गत चार वर्ष में 15 हजार 790 करोड़ रूपए से 5.40 लाख कार्य पूर्ण कर प्रदेश देश में चौथे स्थान पर रहा है। साथ ही 89 करोड़ मानव दिवस सृजित कर राज्य देश में तीसरे स्थान पर रहा। वर्ष 2015-16 में मनरेगा के उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिए प्रदेश को 5 राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त हुए। उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत प्रदेश के 40 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को प्रतिवर्ष रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसमें औसतन 66 प्रतिशत महिलाएं हैं। श्री राठौड़ ने बताया कि मनरेगा में व्यक्तिगत लाभ के कार्यों के लिए राशि 2 लाख रूपए से बढ़ाकर 3 लाख की गई है। इसके तहत अब तक 4.50 लाख से अधिक कार्य स्वीकृत किए गए हैं।

विभिन्न योजनाओं में बनाए 9 लाख 20 हजार आवास

ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि राज्य में 2022 तक सबको आवास उपलब्ध करवाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए तेजी से कार्य किया जा रहा है। विभिन्न आवास योजनाओं के तहत 9 लाख 20 हजार आवास पूर्ण कर लिए गए हैं। वर्ष 2018-19 तक 6 लाख 75 हजार परिवारों को आवास स्वीकृत करने के लक्ष्य के विरूद्ध 4 लाख 44 हजार स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत अनुदान राशि 70 हजार से बढ़ाकर 1 लाख 20 हजार रूपए की गई है तथा आवास का क्षेत्रफल भी 20 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 25 वर्गमीटर किया गया है। इसके साथ ही मोबाइल एप के माध्यम से किश्त आवेदन की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।

राजीविका से 8 लाख से अधिक परिवारों को लाभ

श्री राठौड़ ने बताया कि राजीविका परियोजना का प्रदेश की 92 पंचायत समितियों में विस्तार किया गया है। इसके तहत 69 हजार 50 स्वयं सहायता समूहों का गठन कर 8 लाख 10 हजार 212 परिवारों को लाभान्वित किया गया है। राजीविका, आईआईटी मुम्बई तथा जिला प्रशासन डूंगरपुर द्वारा स्वयं सहायता समूह फैडरेशन के माध्यम से सोलर पैनल तैयार करने के लिए इकाई स्थापित की जा रही है। इस परियोजना के लिए जिला प्रशासन डूंगरपुर को प्राइम मिनिस्टिर एक्सीलेंसी अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

एमपी-एमएलए कोष से 2 हजार करोड़ से अधिक के काम

ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत प्रदेश में गत चार वर्ष में 514 करोड़ रूपए की लागत से 10 हजार 215 कार्य स्वीकृत किए गए। इसी प्रकार सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत समग्र विकास हेतु 2651 कार्य स्वीकृत किए गए। विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत करीब 1509 करोड़ रूपए खर्च कर 41 हजार 879 कार्य प्रगति पर हैं। उन्होंने बताया कि डांग, मेवात, मगरा एवं सीमान्त क्षेत्रीय विकास योजना के तहत वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 के लिए 810 करोड़ रूपए की कार्य योजना अनुमोदित की गई है। राज्य 18 जिलों में संचालित इस योजना के लिए 1435 करोड़ रूपए का आवंटन किया गया है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत 13 हजार 948 कार्य स्वीकृत किए गए।

3275 गांव बन रहे स्मार्ट

श्री राठौड़ ने बताया कि स्मार्ट विलेज योजना के तहत 3275 गांवों के समग्र विकास हेतु 33 हजार 679 कार्य स्वीकृत किए गए हैं। गुरू गोलवलकर जनभागीदारी विकास योजना में करीब 427 करोड़ रूपए खर्च कर विकास कार्य किए गए। राज्य एवं केंद्रीय वित्त आयोग योजना से प्राप्त 15 हजार 258 करोड़ रूपए की धनराशि से 5 लाख 75 हजार विकास कार्य किए गए। वहीं राज्य में लगभग 22 वर्ष के बाद पंचायतीराज संस्थाओं का पुनर्गठन एवं पुनर्सीमांकन किया गया। इसमें 47 नई पंचायत समितियां एवं 723 ग्राम पंचायतें सृजित की गईं तथा 64 पंचायत समितियां एवं 1423 ग्राम पंचायतें पुनर्गठित की गईं।

पंचायती राज संस्थाओं को मिले भू-उपयोग परिवर्तन के अधिकार

ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि 5 जून, 2015 से पंचायतों की आबादी भूमि के उपयोग परिवर्तन, भू-खण्डों के उप विभाजन या पुनर्गठन के अधिकार पंचायती राज संस्थाओं को दे दिए गए हैं। इस प्रावधान से ग्रामों की आबादी भूमि का उपयोग परिवर्तन वाणिज्यिक, औद्योगिक, सिनेमा, होटल एवं संस्थागत उपयोग के लिए किया जा सकेगा। इसके साथ ही पंचायती राज संस्थाओं को पर्यटन ईकाइयों के लिए आबादी भूमि के आवंटन एवं उपयोग परिवर्तन के अधिकार भी दे दिए गए हैं।

पं. दीनदयाल उपाध्याय जनकल्याण शिविरों से लोग हुए निहाल

श्री राठौड़ ने बताया कि ग्रामीण जनता की पंचायत स्तरीय समस्याओं का मौके पर ही निस्तारण करने के लिए 14 अक्टूबर, 2016 से पं. दीनदयाल उपाध्याय जनकल्याण पंचायत शिविर लगाए हैं, जिनमें 17 विभागों के कार्य किए जा रहे हैं। इन शिविरों में अब तक 29 हजार 571 पट्टे जारी किए गए हैं। साथ ही शिविर में दौरान 21 लाख 22 हजार 547 मरीजों को ओपीडी में लाभान्वित किया गया। इस के अलावा 40 हजार 592 नए सदस्यों का भामाशाह योजना में नामांकन किया गया।

शिविरों में श्रमिक पंजीयन, नामांतरण, पौधरोपण, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, हैण्डपम्प-ट्यूबवैल मरम्मत, रास्ता विवाद निस्तारण, सामाजिक सुरक्षा पेंशन सहित विभिन्न कार्य किए गए हैं। उन्होंने बताया कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण पट्टा वितरण अभियान के तहत 8 लाख 50 हजार 216 पट्टों के साथ ही 4 वर्षों में करीब 9.50 लाख पट्टों का वितरण किया गया।

रिक्त पद भरेंगे, नई पंचायतों को मिलेंगे भवन

ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि पंचायतीराज संस्थाओं में ग्राम सेवकों के रिक्त 3648 पदों पर नियुक्ति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। राज्य में नवसृजित 47 पंचायत समितियों में से 42 के भवन निर्माण के लिए भूमि का आवंटन हो चुका है। इनमें से 28 के भवन निर्माण का कार्य भी शुरू हो गया है। इसी प्रकार 723 नवसृजित ग्राम पंचायतों में से 584 पंचायतों के भवन निर्माण के लिए भूमि का आवंटन हो चुका है। इनमें से 480 का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

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