• December 7, 2017

-चार वर्ष की उपलब्धियाँ – –कंज्यूमर फ्रेण्डली स्टेट घोषित,

-चार वर्ष की उपलब्धियाँ – –कंज्यूमर फ्रेण्डली स्टेट घोषित,

जयपुर (संजय झाला)—-राज्य सरकार द्वारा उपभोक्ताओं के सार्वकालिक संरक्षण के लिये महती-प्रभावी पहल की गयी है, जो रेखांकित करने योग्य है। राजस्थान भारत के उन तीन अग्रणी राज्यों में है; जहां, उपभोक्ता संरक्षण हेतु उपभोक्ता मामले विभाग का पृथक गठन कर उपभोक्ता आन्दोलन का नये सिरे से शंखनाद किया गया है।
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उपभोक्ताओं के सार्वकालिक कल्याण, हित चिन्तन, संरक्षण, संवद्र्धन, प्रोत्साहन, प्रोन्नति एवं उपभोक्ताओं की समस्याओं को एक छत के नीचे सुने जाने एवं निराकरण के लिए राज्य मुख्यालय पर उपभोक्ता भवन की घोषणा करते हुए उसकी क्रियान्विति के लिए राजधानी मुख्यालय पर भूमि का आवंटन किया गया है। यही नही, उपभोक्ता विषयक गतिविधियों एवं उल्लेखनीय कार्याे के लिए 15 मार्च, 2017 को राष्ट्रीय स्तर पर ‘कंज्यूमर फ्रेण्डली स्टेट’ का अवार्ड दिया गया है।

उपभोक्ता विषयक योजनाएँं प्रचार-प्रसार

उपभोक्ता भवन हेतु भूमि का आवंटनः-उपभोक्ताओं की समस्याएँ एक छत की नीचे सुनी जाकर निराकरण करने के लिये ‘उपभोक्ता भवन’ निर्माण हेतु राज्य मुख्यालय पर माननीया मुख्यमंत्री महोदया की बजट घोषणा के क्रम में बंगला नम्बर-01-बी, हसनपुरा, जयपुर की संपूर्ण भूमि एवं बंगला नम्बन-01-ए के पीछे खाली पड़ी लगभग 600 वर्गमीटर भूमि का आवंटन कर दिया गया है। ‘उपभोक्ता भवन’ के नवीन भवन निर्माण हेतु राजस्थान स्टेट रोड़ डवलपमेंट कॉर्पोरेशन, राजस्थान, जयपुर को निर्माण एजेन्सी के रूप में नियुक्त किया गया है।

उपभोक्ता क्लबों को सक्रिय किया जानाः-

राज्य के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में स्थापित 1 हजार उपभोक्ता क्लबों को सक्रिय किये जाने की कार्य-योजना 12.मार्च, 2014 को विभाग के स्तर पर जारी की गयी थी। राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोष की बैठक 4 अगस्त, 2014 में सक्रिय उपभोक्ता क्लबों को राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोष से आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई थी।

एक बारीय वित्तीय सहायता के पश्चात् उपभोक्ता क्लबों को अपने संसाधनों से संचालित किये जाने एवं आत्मनिर्भर बनाये जाने हेतु प्रेरित किया गया है। इसके भी सकारात्मक परिणाम मिले हैं। राज्य में संचालित उपभोक्ता क्लबों का डेटाबेस तैयार किया गया है। क्लब की गतिविधियों से उपभोक्ता आन्दोलन को नई दिशा मिली है।

महाविद्यालयों में उपभोक्ता क्लब की स्थापनाः-

नवाचार के अन्तर्गत माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों की तर्ज पर उपभोक्ता आन्दोलन को मजबूत करने के लिए राज्य के चुनिन्दा 33 महाविद्यालयों में उपभोक्ता क्लबों का गठन किया गया है। इन क्लबो को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसम्बर, 2017) सक्रिय किया जाना है। उपभोक्ता शिक्षा के माध्यम से उपभोक्ता संरक्षण को एक व्यापक दिशा मिलेगी।

राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोषः

सीमित सहायता योजना-विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों को आर्थिक सहायता देने के लिये राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोष ‘सीमित सहायता योजना’ जारी की है। इस योजना के अन्तर्गत स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन उपभोक्ता संरक्षण गतिविधियों के लिए जिला स्तर पर ही वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकेंगे। जिला स्तर पर जिला कलक्टर को कोष से सहायता प्रदान करने के लिए अधिकृत किया गया है।

स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों को मान्यता संबंधी दिशा-निर्देशः-

राज्य के स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों को मान्यता प्रदान किए जाने हेतु एवं उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान किए जाने तथा उनके माध्यम से उपभोक्ता गतिविधियों के संचालन के लिए मान्यता संबंधी नये दिशा-निर्देश जारी किए गए है।

राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद् का पुनर्गठन एवं मनोनयनः-

राज्य स्तरीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद् के पुनर्गठन किये जाने की अधिसूचना 04 जनवरी, 2014 को जारी की जा चुकी है। राज्य परिषद् के पुनर्गठन के पश्चात् पहली बैठक 06 अगस्त, 2014 को आयोजित की जाकर उपभोक्ता के हितों में व्यापक निर्णय लिये गये हैं। राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद् में गैर सरकारी सदस्यों का मनोनयन भी किया जा चुका है।

जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषदों का पुनर्गठनः-

राज्य के सभी जिलों में जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषदें 1987 से ही कार्यरत थी; तथापि अधिनियम में संशोधन के आलोक में 31 अक्टूबर, 2017 को नवीन अधिसूचना जारी कर दी गई है।

संभागीय उपभोक्ता जागृति सम्मेलनों का आयोजनः-

उपभोक्ता आन्दोलन को गति प्रदान करने, स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों से सम्पर्क-समन्वय-संवाद स्थापित करने, उपभोक्ताओं से जुड़े विभागों को उपभोक्ताओं के प्रति सजग करने, विभागीय योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु राज्य में पहली बार संभागीय स्तर पर संभागीय उपभोक्ता जागृति सम्मेलन आयोजित किये गये हैं।

उपभोक्ता हैल्प लाइन योजनाः-

राजस्थान सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से उपभोक्ता को त्वरित तौर पर राहत प्रदान करने के लिए केन्द्रीय योजना के अंतर्गत राज्य उपभोक्ता हैल्पलाइन का प्रारंभ 15 मार्च 2011 को प्रारंभ किया गया। उक्त हैल्पलाइन पर काउंसलर्स द्वारा उपभोक्ताओं को निःशुल्क मार्गदर्शन किया जाता है एवं उनकी उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाता है।

उक्त हैल्पलाइन का टेलीफोन नं. 18001806030 है और यह सोमवार से शनिवार तक सभी सरकारी कार्य दिवसों पर प्रातः 09.30 बजे से सायंकाल 05.30 बजे तक कार्य करती है। 15 मार्च 2011 से लेकर अक्टूबर, 2017 तक हैल्पलाइन पर कुल 39932 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनका निस्तारण भी किया जा चुका है।

उपभोक्ता जागृति विषयक प्रचार-प्रसारः-

इसके अन्तर्गत उपभोक्ता जागृति अभियान को जल स्वावलम्बन अभियान से जोड़ा जाकर विभिन्न माध्यमों से उपभोक्ता शिक्षा से जुडी मुद्रित सामग्री उपभोक्ताओं को वितरित की गई है। विभाग द्वारा हैल्पलाइन एवं अन्नपूर्णा भण्डार के प्रचार-प्रसार हेतु पेम्पलेट्स एवं ‘‘जागृत उपभोक्ता’, सशक्त उपभोक्ता’’ विषयक पुस्तिका का भी प्रकाशन किया गया है। हैल्पलाइन के प्रचार-प्रसार के लिये ई-न्यूज लेटर का भी प्रकाशन विभाग द्वारा प्रारंभ किया गया है। उपभोक्ता अधिकारों के प्रचार-प्रसार के लिये दूरदर्शन के माध्यम से विभाग द्वारा पांच विशेष ऎपिसोड्स का विशेष प्रसारण कराया गया है।

विधिक मापविज्ञान का समावेशनः

माननीया मुख्यमंत्री महोदया की वर्ष 2015-16 की बजट घोषणाओं के क्रम में विधिक मापविज्ञान विभाग को उपभोक्ता मामले विभाग के अधीन किया गया और 01 अक्टूबर, 2016 से उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा भौतिक रूप से कार्यारंभ भी कर दिया गया।

उपभोक्ता मामले विभाग के अधीन विधिक मापविज्ञान (प्रकोष्ठ) के अन्तर्गत राजस्थान राज्य के उत्पादनकर्ता, व्यवहारी तथा मरम्मतकर्ता संबंधी जारी किये जाने वाले समस्त अनुज्ञापत्र एवं उनका नवीनीकरण एवं पैकेज्ड कमोडिटी नियम, 2011 के अन्तर्गत डिब्बा बन्द वस्तुओं के पैकेट हेतु उत्पादनकर्ता एवं पैकर्स के लिए किये जाने वाले पंजीयन का कार्य अब विधिक मापविज्ञान (प्रकोष्ठ) के द्वारा Ease of Doing Business (EoDB) के अन्तर्गत उपभोक्ता मामले विभाग को http://consumeraffairs.raj.nic.in/ पर ऑनलाइन किया जा सकेगा।

विभाग के कार्यप्रणाली को पारदर्शी एवं सुदृढ़ बनाने के लिए उक्त समस्त अनुज्ञापत्र एवं पंजीयन आवेदन पूर्ण की स्थिति में 07 दिवस में बिना किसी भौतिक निरीक्षण के विभाग द्वारा जारी कर दिया जायेगा।

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग एवं जिला मंचों का सुदृढ़ीकरण

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अन्तर्गत राज्य स्तर पर राज्य आयोग एवं जिला स्तर पर सभी जिलों में पूर्णकालिक जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंचों का गठन किया हुआ है। जयपुर जिले में 04 तथा जोधपुर जिले में 02 मंच कार्यरत हैं। जिला मंचों में अध्यक्षोें व सदस्यों के रिक्त पदों को भरे जाने के लिये 13 जिला मंच के अध्यक्षों एवं 26 विभिन्न जिला मंचों के सदस्यो के रिक्त पदों को भरा जाना प्रक्रियाधीन है।

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग एवं जिला मँचों के सुदृढ़ीकरण के लिये 16.66 करोड़ रुपये के प्रस्ताव 12वें प्लान के अन्तर्गत भारत सरकार को भेजे गये थे। उक्त राशि से आयोग एवं जिला मंच, भूमि भवन, साधन-संसाधन की दृष्टि से आत्मनिर्भर एवं सुदृढ होंंगे, जो उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय प्रदान किये जाने में सहायक होंगे। केन्द्र सरकार द्वारा स्टे्रन्थनिंग ऑफ कन्ज्यूमर फोरा स्कीम फेस-॥ के अन्तर्गत राज्य में गठित राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग एवं जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मँचों के 10 भवनों के निर्माण हेतु राशि रुपये 930.92 लाख की राशि स्वीकृत की गई है।

भारत सरकार द्वारा प्रथम किश्त के रूप में 3 करोड़ 71 लाख 74 हजार रुपये राज्य को प्राप्त हो चुके हैं। जिसकी प्रशासनिक-वित्तीय स्वीकृति विभागीय स्तर से 29 मार्च, 2016 को जारी की जा चुकी है। 12 जिला मँचों के भवन निर्माण (विस्तार) हेतु भारत सरकार द्वारा 139.29 लाख की स्वीकृति जारी की गई है, जिसमें से भारत सरकार द्वारा रुपये 64.00 लाख की राशि आवंटित की जा चुकी है।

गैर भवन मद के अन्तर्गत 37 जिला मँचों के प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे गये थे, जिसकी स्वीकृति भारत सरकार द्वारा 304.30 लाख की राशि आवंटित की जा चुकी है, जिसकी प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है। जिसमें आधुनिकरण, सुदृढीकरण एवं नवीनीकरण उन्नयन हेतु 37 जिला मंचों को राशि रुपये 203.50 लाख तथा राज्य आयोग के लिए राशि रुपये 100.80 लाख की स्वीकृति शामिल है।

जिला मंच, जोधपुर (द्वितीय) एवं सर्किट बैंच, उदयपुर के भवन निर्माण हेतु केन्द्रीय सहायता के रूप में 19.67 लाख की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गयी।

इसके अतिरिक्त राज्य आयोग एवं जिला मंचों में रंग रोगन एवं मरम्मत कार्यों के लिए राशि रुपये 30.00 लाख की प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति राज्य निधि से जारी की गई, सरकार तथा एन.आई.सी. कॉन्फोनेट योजनाओं के तहत राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग तथा सभी 37 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंचों का कम्प्युटराइजेशन किया गया। जिसके परिणामस्वरूप राज्य उपभोक्ता आयोग तथा जिला उपभोक्ता मंचों की दैनिक वाद सूची, लम्बित पत्रावलियों को स्टेटस, कॉन्फोनेट की वेबसाईट confonet.nic.in पर उपलब्ध करायी जा रही है तथा उक्त वेबसाइट पर निर्णय भी संकलित (अपलोड) किये जा रहे हैं।

वैकल्पिक परिवाद निवारण व्यवस्था के अन्तर्गत केलेण्डर वर्ष 2016 में राज्य आयोग एवं अधीनस्थ जिला मंचों में पृथक से ‘उपभोक्ता लोक अदालतें’ लगायी जाकर 808 परिवादों का निस्तारण किया गया। पुनः विभाग द्वारा लोक अदालतों के माध्यम से प्रकरण निस्तारण के निर्देश दिये गये है।

त्वरित परिवाद निस्तारण को प्रोत्साहित करने के लिये माननीया मुख्यमंत्री महोदया की भावना के अनुरूप निर्णय लिया जाकर 24 दिसम्बर, 2016 (राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस) के अवसर पर सर्वाधिक परिवाद निस्तारित करने वाले 02 जिला मंचों के अध्यक्षों एवं दो सदस्यों का राज्य स्तर पर सम्मान किया गया है। निःसंदेह इससे अन्य जिला मंचों के अध्यक्ष एवं सदस्य भी प्रेरित होंगे।

जिला मंचों में लम्बित परिवादों की निगरानी के लिए एक स्थायी तंत्र (समिति) का गठन 12 जुलाई, 2017 को किया गया है। इस समिति के माध्यम से ही जिला मंचों की कार्य की समीक्षा एवं त्रैमासिक ग्रेडिंग की जावेगी। यह सम्र्पूण भारत वर्ष में अभिनव प्रयोग है।

निर्धारित समय सीमा में परिवादों के निस्तारण के लिए राज्य में कैम्पकोर्ट लगाने के निर्देश 12 जुलाई, 2017 को दिये गये।

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