• February 11, 2019

गरीब लोग कोई लोग ही नहीं होता है——— राम कुमार लाल दास

गरीब लोग कोई लोग ही नहीं होता है——— राम कुमार लाल दास

हम लोग आपके बिहार के गरीब जनता है गरीब का कुशल ही क्या होता है।

कहावत है हम लोगों का गुजारा मजदूरी और कुछ खेती-बाड़ी करके हो जाता है कोटा की दुकान बहुत बड़ा सहारा है ₹2 किलो चावल और ₹3 किलो मिल जाता है ।

चावल का भात बहुत मोटा होता है इसके साथ सिर्फ नमक तेल और तीखा मिर्च बहुत अच्छा लगता है हम लोग बहुत ही चाव से खा लेते हैं क्योंकि भात मोटा होता है इसीलिए थोड़े से ही भात में पेट भर जाता है परिवार और बाल बच्चे का कपड़ा की व्यवस्था फुटपाथ पर जो बिकती है उससे हो जाता ।

गरीब लोगों को तो किसी तरह शरीर ढंक जाए बस रह गई घर की बात दो कुछ मदद प्रधानमंत्री आवास योजना से तो , कुछ मदद मालिक की तरफ से और उसके बाद यदि घटती है तो कर्जा लेकर व्यवस्था कर लेते हैं।

परिवार के सदस्य जब बीमार पड़ते हैं तो दवा की दुकान से गोली सिरप लेकर काम चला लेते हैं उससे भी नहीं ठीक होता है तो क्वेक से दिखला लेते है इसी से काम किसी तरह चलता है ।

पहले की तरह तो ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल में एमबीबीएस डॉक्टर नहीं रहते हैं हम लोगों के जो मालिक हैं वह कहते हैं कि सिर्फ जिला मुख्यालय के अस्पताल में कुछ अच्छे डॉक्टर रहते हैं वह क्यों नहीं जाते लेकिन हम लोग शहर से दो दूर गांव देहात में रहते हैं ,शहर नहीं जा पाते हैं।

एक बार की बात है मेरा बच्चा बीमार पड़ गया । बहुत जोर का बुखार और चमकी । सब लोग कहने लगे इस बार इधर-उधर मत दिखाओ बच्चा बहुत सीरियस है झंझारपुर में मैक्स हॉस्पिटल में बच्चे को दिखाओ।

बच्चा को इस अवस्था में देख कर सभी सदस्य नर्वस हो गए किसी तरह टेंपू की व्यवस्था कर 15 किलोमीटर की दूरी तय कर मैक्स अस्पताल पहुंचे ।

बच्चा का इलाज वहां शुरू हुआ 5 दिन में बच्चा ठीक हो गया अस्पताल का बिल ₹10000 सुनाया गया। इलाज का खर्च सुनकर दिमाग चकरा गया किसी तरीके से एक-एक पैसा बचाकर पत्नी अपने गुल्लक में रखी थी उसी को छोड़कर ₹2000 लेकर अस्पताल गए थे ।

पत्नी गुल्लक क्या देखते हैं! घर पर जाइए, मुखिया जी से 8000 रुपए शुद्ध पर ले लीजिए बाद में देखा जाएगा, मैंने वही किया।

1 वर्ष हो गया ₹400 सूद प्रति महीना मुखिया जी को देते रहे लेकिन मूलधन यूं ही पड़ा है पढ़ाई की कौन सी बात है ।

कहावत है , गरीब का बेटा मजदूरी करके भी गुजारा कर लेगा। दो बच्चा है एक बेटा एक बेटी। बेटा का नाम मंगला है और बेटी का नाम संजू । गरीब के बच्चे का नाम भी ऐसा ही होता है दोनों प्राणी की बहुत ही इच्छा थी की अपने दोनों बच्चे का पेट काटकर के भी अवश्य पढ़ें पढ़ाएंगे । जब पढ़ लिख लेगा तब मेरा बच्चा भी मालिक के बेटा और बेटी की तरह बड़ा आदमी बन जाएगा।
जवानी तो किसी भी तरह मजदूरी करके कट ही जाएगी लेकिन बुढापा मैं क्या करूंगा एक बच्चा ही तो सहारा होगा। बच्चा जल्दी अच्छा से पड़ेगा तब हम लोगों को भी देखभाल बढ़िया से करेगा।

यही सपना लेकर दोनों बच्चे को घर के बगल में सरकारी विद्यालय में नाम लिखवा दिया । स्कूल से स्कूल ड्रेस का पैसा मिला। ड्रेस भी सिल्वा दिया मिड डे मील से भोजन भी मिलती थी बच्चा स्कूल जाने लगा हम दोनों प्राणी निश्चिंत हो गए की मेरा भी सपना मालिक की तरह पूरा होगा ।

मालिक का एक बेटा सरकारी डॉक्टर है और बेटी बढ़ा हाकीम मगर हम दोनों प्राणी का सपना जल्द ही चूर चूर हो गया एक दिन मालिक के यहां मजदूरी नहीं लगा। बेकार घर पर बैठा था संजोग से उस दिन रविवार था शो दोनों बच्चा स्कूल नहीं गया था।

मैंने सोचा की जरा देखूं की स्कूल में बच्चा क्या पढ़ता है दोनों को बुलाया और जांचना शुरू किया। नामांकन से पहले बेटा को अ,आ———य,र,ल,व तक सिखा दिया था और बेटी को अ,आ,—– 20 पहाड़ा तक।

लेकिन यह क्या जबाब देना शुरू किया ।सब भूल गया।

हां! मैंने कहा की तुम लोग स्कूल में पढ़ते हो या हम लोगों को ठगते हो दोनों बच्चे ने कहां की पहले बात को बढ़िया से समझिए ।

हमारे स्कूल में 8 शिक्षक हैं उसमें दो मैडम है दो अच्छे शिक्षक जो शिक्षा विभाग से ऑफिस में किरानी का काम करते हैं, एक हेड सर जी हैं, वह भी अच्छे हैं लेकिन वह तो खिचड़ी के हिसाब में व्यस्त रहते, एक सर जी का ज्यादा समय मोबाइल देखने में व्यतीत होता है । मैडम सर अपने में बातचीत करने में ज्यादा समय बिताती हैं।

अब आप समझिए की स्कूल में पढ़ाई क्या होगा इसमें हम लोगों की क्या गलती है।

यही हम लोगों के गरीबों का जीवन है।

जिज्ञासा हुई की मालिक का दोनों बच्चा कैसे इतना बड़ा आदमी बन गया ।

दौड़कर उनके पास गया और पूछा इस पर मालिक हंस पड़े और बोले अरे तुम बेवकूफ हो गए हो, मैं तो अपने बच्चे को दिल्ली के महंगे डीपीएस स्कूल में पढ़ाए हैं।

लाखों रुपया खर्च किए हैं। तब जाकर इतना बड़ा हाकीम बना है ।

तुम गरीब लोग सपना क्यों देखते हो ।

जाओ और अपने बच्चे को कुशल मजदूर बनाओ वह जमाना भूल जाओ कि गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़कर बड़ा बड़ा हाकीम बनता था ।

संपर्क–
संरक्षक
(नवसंचारसमाचार.काम)
ग्राम सलेमपुर- पोस्ट -विजई
वाया- झंझारपुर, जिला -मधुबनी, बिहार

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