• July 24, 2017

श्रमायुक्त का ही नैतिक पतन !– शैलेश कुमार

श्रमायुक्त  का ही नैतिक पतन !– शैलेश कुमार

शुभप्रभात —आज का शुभप्रभात चैम्बर, बहादुरगढ़ के नाम

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स्थावर समस्या –रहा न कुल कोई रोबन हारा

कुछ दिन पहले चैम्बर बहादुरगढ़ , में दिल्ली से गेस्ट आये। गर्मियाँ लगी। चुंकी गर्मी है, तो वही लगेगी। उन्होंने कहा -बहुत गर्मी है, एसी क्यों नहीं लगवाते। बाप रे !!! कैसे रहते है। बेचारे चले गए।

यहाँ क्रय विभाग वाले आते रहते है , उन्होंने कहा — मैनेजमेंट से कह कर एसी लगवालो। ये कोई व्यवस्था है। वो भी चले गए।

आज मुझे याद आई –क्योंकि प्रकृति ठंढे मौसम की ओर बढ़ रही है। ओह ! इसे कहते है ठंढी।

समस्या -जब आज तक बेरोजगारी , बिमारी , गरीबी और पलायन यथावत है , बलात्कार , दहेज लूट और पुलिस की छाती 36 से 56 इंच तक फ़ैल गया है क्या उस देश के प्राइवेट संस्था में कोई सुबिधा हो सकती है ?

इस औद्योगिक क्षेत्र की समस्या –सीवर ,पानी और सड़क के लिए मालिक छाती पीटते रह गए लेकिन छमिया के पैर में पायल नहीं बजी। अब भी आप सोचते है की चैम्बर के स्टाफ रूम में एसी लग जाए।

चैम्बर के सदस्य (मालिक) जाम पानी से तंग है, सड़क पर तो सपना चौधरी ही भांगड़ा कर सकती है ,लाखों के गाडी, सपना चौधरी तो है नहीं,की वह भी मुर्गा डांस करे।

इस चैम्बर में अब तक कई अध्यक्ष हो चुके है ,होंगे ही , क्योंकि मरकण्ड चुनाव व्यस्था है। पूर्व अध्यक्ष सुशील गोयल , अशोक रेढू , सतीश छिकारा ,विपिन बजाज। इन लोगों के काल में भी परिक्षेत्र अकाल- काल के गाल में था । यहाँ के अध्यक्ष भी भारत के राष्ट्रपति जैसे ही वर्तमान सरकार , विधायक और सांसद के थपथपाई होते हैं।

अब सोच सकते है की एक स्टाफ रूम में एसी लगवाने के लिए भी विधायक , सांसद और चंडीगढ़ से मुख्यमंत्री की अनुमति आवश्यक है , है ही न !

औद्योगिक क्षेत्र में जो समस्या इनेलो , कांग्रेस नहीं सुलझा सकी क्या उसे बीजेपी को सुलझाना आवश्यक है !

जब क्षेत्रों के मालिक मजदूरों को एक -एक ,दो -दो महीने का वेतन नहीं दे सकते है तो ऐसे औद्योगिक समस्याओ का समाधान करना बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है !

औद्योगिक समस्या सुलझाने के लिए हुड्डा विभाग था अकेला चना भांड नहीं फोड़ सकता था इसलिए अब इसे एचएसआईआईडीसी के हवाले कर दिया। अर्थात आधी -आधी।

अब औद्योगिक क्षेत्र की हालत उस गुरु जी जैसे है जिनके दो शिष्यों ने सेवा करते -करते दोनों पांव तोड़ कर रख दिया। अब भी आप सोचते है की चैम्बर के स्टाफ रूम में एसी लग जाए।

मजदूरों के वेतन के लिये सचिवालय से पत्र चलती है और वह एसवाईएल नहर के तीव्र धारा में डूब जाती है,यहां तो श्रम विभाग के श्रमायुक्त का ही नैतिक पतन हो चुका है।अब भी आप सोचते है की चैम्बर के स्टाफ रूम में एसी लग जाए।

जब उपरवाला (चंडीगढ और दिल्ली वाला) ही मजदूरों के लिये महिसासूर बना हुआ है तो नीचे वाला मजदूरों के लिये क्यों सोचे !!!

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