• November 2, 2018

अप्रवासी दिवस समारोह –कलकत्ता से छूटल जहाज, पवरिया धीरे बहो— गिरमिटिया मजदूर

अप्रवासी दिवस समारोह  –कलकत्ता से छूटल जहाज, पवरिया धीरे बहो—  गिरमिटिया मजदूर

*** लगभग 4,53,063 गिरमिटिया मजदूर मारिशश लाये गये.
*** लगभग 2,38,909 गिरमिटिया ब्रिटिश गुयाना ले जाए गए
*** 1,52,184 नताल, 1,43,939 त्रिनिदाद, 60,965 पिफजी 36,200 जमैका
*** 34,300 सूरीनाम ले जाए गए ।
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पटना —माॅरीशस में भारत से आये गिरमिटिया मजदूरों की याद में अप्रवासी दिवस समारोह की 184वीं वर्षगांठ का आयोजन दिनांक-02 नवम्बर, 2018 को किया गया, जिसमें माननीय अध्यक्ष, बिहार विधन सभा श्री विजय कुमार चौधरी बतौर मुख्य अतिथि तथा इनके साथ माॅरीशस गये राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, बिहार शाखा से संबंधित
शिष्टमंडल के अन्य सभी माननीय सदस्यगण विशिष्ठ अतिथि के रूप में उक्त समारोह में भाग लिये ।

यह माॅरीशस का एक महत्वपूर्ण समारोह है । इसके पहले भारत की माननीय विदेश मंत्राी श्रीमती सुषमा स्वराज तथा पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्राी श्री योगी आदित्यनाथ को इस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बनाया गया था ।

माॅरीशस में आये बिहार के अप्रवासी मजदूरों की याद में आयोजित इस समारोह के मुख्य अतिथि बनने का मौका पहली बार बिहार के एक राजनेता को मिला है । माॅरीशस के प्रधन मंत्राी श्री प्रवीन्द कुमार जगन्नाथ ने इस समारोह के मुख्य अतिथि श्री विजय कुमार चौधरी, माननीय अध्यक्ष, बिहार विधन सभा की बड़ी गर्मजोशी से अगवानी की ।

मुख्य अतिथि के रूप में इस अप्रवासी दिवस समारोह के अवसर पर माननीय अध्यक्ष महोदय, बिहार विधन सभा श्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि——–

‘अप्रवासी दिवस की 184वीं वर्षगांठ पर माॅरीशस जैसे सुन्दर देश में आकर मैं अत्यंत प्रसन्नता और गौरव का अनुभव कर रहा हूँ । सबसे पहले तो मैं अपने प्रतिनिध्मिंडल के सभी सदस्यों की ओर से आप सबको दिल की गहराइयों से ध्न्यवाद देता हूँ ।

आप सबने यहाँ जिस आत्मीयता ओर गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया, उससे हम सभी अत्यंत अभिभूत हैं । जिस क्षण से हमने माॅरीशस की इस पुण्य ध्रती पर अपना कदम रखा है और जिस-जिस कार्यक्रम में भी हम गए हैं, हमें अपनी पैतृक, पारिवारिक तथा रक्त संबंधें के प्रति आत्मिक भावना एवं विशिष्ट लगाव का अनुभव हुआ । मैं इस अवसर पर आप सभी का हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ कि आपने स्वर्ग-समान इस द्वीप पर जो हमारे पूर्वजों के अमिट धर्य, दृढ़ संकल्प, खून और पसीने से निर्मित हुआ है, हमारा स्वागत किया । निश्चित ही यह हमारे लिए विशेष गौरव की बात है कि हम अप्रवासी दिवस समारोह के इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने हैं ।

मुझे दोनों देशों के नाभिसंबंधें के प्रतीक आप्रवासी घाट पर जाने और इसकी ऐतिहासिक सोलह सीढ़ियों पर चढ़ने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ । यह हमारे पूर्वजों के लगभग दो सौ वर्षों के त्याग, उनके द्वारा प्रदर्शित साहस और आशा के प्रति हमारी श्रद्धांजलि है । भारत में घाट के विशिष्ट मायने होते हैं ।

घाट हमें हमारी प्रकृति और आध्यात्मिकता से जोड़ते हैं। जैसे ही मैं आप्रवासी घाट पर पहुँचा तो मुझे ऐसा प्रतीत हुआ मानो मैं किसी तीर्थ स्थल में पहुँच गया हूँ । यह वास्तव में मेरे लिए बहुत ही सुखद और अद्भुत अनुभव था। निश्चित ही आज हम वर्षों पहले भारत छोड़ने वाले अपने उन पूर्वजों की असाधरण सपफलता का आनंद उठा सकते हैं, जिन्होंने भारत से हजारों किलोमीटर दूर इस द्वीप में आकर अभूतपूर्व भौतिक और आध्यात्मिक प्रगति की ।

भारतीय मजदूरों ने रोजगार के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत अनेक देशों में यात्रा की । इनमें से बहुत सारे मजदूर भाई अपने घरों से बहुत दूर स्थायी रूप से वहीं के होकर रह गए जहां ये रोजगार की तलाश में पहुंचे थे । इन मजदूर भाइयों ने वहीं अपने परिवार बना लिए और जमीनें लेकर अपने घर बसा लिए । देखा जाए तो ब्रिटिश उपनिवेशवाद द्वारा माॅरीशस में गिरमिटिया मजदूरों के उपर किया गया यह अपने आप में प्रथम प्रयोग था, जिसने इस बात को साबित किया कि गिरमिटिया मजदूरी एक तरह से गुलामी का ही दूसरा परिष्कृत रूप था ।

02 नवम्बर माॅरीशस में गिरमिटिया मजदूरों के आगमन का दिवस है। आज ही के दिन गिरमिटिया मजदूरों ने इस द्वीप पर अपना पहला कदम रखा था और तब से लेकर लगभग आठ दशक तक यहाँ गिरमिटिया मजदूरों का आना लगा रहा ।

सन 1834 में आज ही के दिन 36 भारतीय मजदूरों जिसमें कई बिहारी भी थे, का एक जत्था कलकत्ता से एटलस जहाज पर चढ़कर 48 दिन की थका देने वाली समुद्री यात्रा के बाद आप्रवासी घाट पर उतरा था । मुझे पता चला है कि आपके यहाँ एक बहुत ही लोकप्रिय गाना गाया जाता है, जो कुछ इस तरह से है…. कलकत्ता से छूटल: जहाज, पवरिया धीरे बहो।——

यह गीत भारत के आप्रवासियों की दुर्गम यात्रा के इतिहास, संस्कृति और आशा की अमर गाथा है जो उन भारतीय के साथ यहाँ आई, जिन्होंने कालांतर में इस द्वीप को अपना स्थाई घर बना लिया । ये 36 गिरमिटिया, गिरमिटिया क्या गुलाम सरीखे मजदूर उन एक लाख से भी उपर की संख्या में आये हुए मजदूरों में सबसे पहले थे जो कालांतर में विश्व भर में स्थित ब्रिटिश उपनिवेशवादी देशों में ले जाए गए थे ।

भारत से माॅरीशस आए इन मजदूरों की संख्या लगभग 4,53,063 (चार लाख तिरपन हजार तिरसठ ) थी । लगभग 2,38,909 (दो लाख अड़तीस हजार नौ सौ नौ) गिरमिटिया ब्रिटिश गुयाना ले जाए गए 1,52,184 (एक लाख बावन हजार एक सौ चौरासी) नताल, 1,43,939 (एक लाख तेतालिस हजार नौ सौ उनतालिस) त्रिनिदाद, 60,965 (साठ हजार नौ सौ पैसठ) पिफजी 36,200 (छत्तीस हजार दौ सौ) जमैका और 34,300 (चौतीस हजार तीन सौ ) सूरीनाम ले जाए गए ।

माॅरीशस सरकार के प्रयत्नों से सन्् 2006 में आप्रवासी घाट को यूनेस्को ध्रोहर स्थल के रूप में मान्यता और पहचान मिली । यह माॅरीशस की ओर से भारत से आए उनके पूर्वजों को श्रद्धांजलि है । मेरा अनुमान है कि यहाँ के लगभग 70 प्रतिशत लोगों की जड़ें भारत से ही है ।

मेरे प्रिय बहनों और भाइयों । दो देशों के होने के बावजूद हम एक हैं । हमारी सभ्यता की जड़ें एक हैं । हम भारतीय विश्व के किसी भी अन्य देश और समाज की तुलना में सबसे ज्यादा चीजें आपसे साझा करते हैं । हमारी संस्कृति, परम्पराएं और त्योहार एक से हैं । हमारी प्रेरणा, साहस और आत्मशक्ति के स्त्रोत भी एक समान हैं ।

हमें गर्व है कि आपने शुरू के कठिनतम स्थितियों से लेकर आज आप सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से शिखर पर हैं, आपने अपनी संस्कृति, मूल्यों एवं लोकाचारों को सहेज कर रखा है । इसके लिए हम आपको सलाम/ अभिवादन करते हैं । बिहार के लोग तो इतना गहरा लगाव महसूस करते हैं कि इस द्वीपीय भूखण्ड का कोई अप्रिय समाचार हमें उदास एवं दुःखी बनाता है तथा हम आपके कीर्तियों एवं उपलब्ध्यिों पर अहलादित होते हैं।

भारत के विकास की कहानी उस प्रतिबद्वता की कहानी है, जो अपने नागरिकों के लिए बेहतर और नए ढंग से जीवन निर्माण की सदिच्छा रखती है । भारत की आर्थिक क्षमता, भारत का प्रजातंत्रा, भारत की बहुरूपीयता और अतीत की स्वर्णिम सभ्यता उसके भविष्य की सपफलता का मूल है ।

भारत हम सभी भारतीयों की कर्मठता और प्रतिबद्वता के साथ-साथ इसलिए भी निरंतर सपफल हो रहा है क्योंकि सारा विश्व भारत को सपफल होते देखना चाहता है । आज पूरे विश्व को इस बात का अहसास है कि भारत के आगे बढ़ने से ही वे भी आगे बढ़ सकेंगे और मैं बड़ी प्रसन्नता से इस बात को कहना चाहूंगा कि भारत के लिए विश्व के अन्य देशों की तुलना में माॅरीशस का स्थान सबसे खास है, सबसे विशिष्ट है ।

हमारे खास संबंधें के कारण ही नियमित रूप से माॅरीशस में भारत के उच्चस्तरीय प्रतिनिध्मिंडलों द्वारा यात्राएं की जाती रहती हैं । मई, 2015 में प्रधनमंत्राी माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने माॅरीशस की यात्रा की, पिछले साल आप्रवासी दिवस के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्राी माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे ।

माॅरीशस की स्वतंत्राता की पचासवीं वर्षगांठ पर भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद माॅरीशस सरकार के मुख्य अतिथि रहे और अभी हाल ही में अगस्त महीने में माॅरीशस में हुए ग्यारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन के प्रतिनिध्मिंडल का नेतृत्व विदेश मंत्राी माननीया श्रीमती सुषमा स्वराज जी द्वारा किया गया था । इस सम्मेलन में विश्व के 30 देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था ।

भारत और माॅरीशस के बीच नाभि नाल संबंधें को एक नया आयाम तब मिला जब भारत सरकार की व्ब्प् कार्ड की योजना में माॅरीशस के लिए कुछ विशेष प्रावधन किए गए । माॅरीशस का कोई भी व्यक्ति जिसके पास इस बात का आवश्यक दस्तावेजी प्रमाण है कि उसकी जड़ें भारत से हैं, बिना इस तथ्य के कि वे कितनी पीढ़ी पहले भारत से यहां आए थे, व्ब्प् कार्ड प्राप्त कर सकता है । मुझे इस बात की खुशी है कि माॅरीशस के राष्ट्रपति, प्रधनमंत्राी, उपराष्ट्रपति, मार्गदर्शक मंत्राी और कई वरिष्ठ मंत्राी व्ब्प् कार्ड धरक हैं और अब ये योजना सामान्य नागरिकों में भी बहुत लोकप्रिय हो रही है ।

भारत के चहुमुखी विकास में आप्रवासी समुदाय के योगदान को चिन्हित करने के लिए हर वर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है । भारत ने इस दिन के लिए 9 जनवरी का दिन इसलिए चुना क्योंकि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पहले महान प्रवासी सन् 1915 में आज ही के दिन दक्षिण अपफ्रीका से भारत लौटे थे । इस बार 21-23 जनवरी, 2019 को वाराणसी में प्रवासी दिवस मनाया जा रहा है । प्रवासी दिवस में भाग लेने वालों को 24 तारीख को प्रयागराज में होने वाले कुम्भ मेले तथा 26 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित होने वाली गणतंत्रा दिवस की परेड को देखने का सुअवसर भी मिलेगा।

मुझे यह कहते हुए भी अत्यंत गर्व का अनुभव हो रहा है कि माॅरीशस के प्रधनमंत्राी माननीय श्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ प्रवासी भारतीय दिवस के मुख्य अतिथि होंगे । प्यारे बहनो और भाइयो !

मैं इस अवसर पर आप सबको प्रवासी दिवस के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने और भारत भ्रमण के लिए आमंत्रित करता हूँ । मुझे लगता है कि माॅरीशस के हर प्रवासी भारतीय को अपने जीवन में कम से कम एक बार भारत अवश्य जाना चाहिए। अपने पूर्वजों और पुरखों की भूमि से बढ़कर कोई दूसरा तीर्थस्थल नहीं हो सकता ।

भारत माॅरीशस की भविष्य की आशाओं और आकांक्षाओं के साथ हमेशा आपके साथ खड़ा है । मैं इस अवसर पर आपको बताना चाहूँगा कि अभी भारतीय जलसेना का जहाज तरकश माॅरीशस के तट पर है, जो इस बात का प्रतीक और प्रमाण है कि भारत का सहयोग हमेशा माॅरीशस के साथ बना रहेगा । एटलस से तरकश तक चली आ रही यह यात्रा अनवरत सहयोग और विश्वास की यात्रा है । आप्रवासी दिवस के अवसर पर माॅरीशस में तरकश की तैनाती भारत और माॅरीशस के सांस्कृतिक और सभ्यतागत रिश्तों की मजबूती का उत्सव है ।

मैं जब माॅरीशस को देखता हूँ तो मुझे अनुभव होता है कि हर किसी को अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित अपनी बहु-सांस्कृतिक पहचान और सांस्कृतिक विविध्ताओं को बनाए रखना चाहिए । माॅरीशस अपने इंद्रध्नुषी द्ववीप नाम को पूरी तरह से सार्थक करता है । मैं एक बार पिफर सभी माॅरीशसवासियों के प्रति अपना हार्दिक सम्मान प्रकट करता हूँ ।

आप समृद्ध (-संपन्न विविध्ता, सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं के साक्षात प्रतिबिम्ब हैं। हमें आप और आपकी उपलब्ध्यिों पर गर्व है । इन्हीं शब्दों के साथ, मैं आप और आपके परिवार के सभी सदस्यों को उनके सुख सपूर्ण भविष्य की अनंत शुभकामनाएं देता हूँ ।’’

श्री विजय कुमार चौधरी , माननीय अध्यक्ष, बिहार विधन सभा ने इस अवसर पर माॅरीशसवासियों को हाल के वर्र्षाे में हुई बिहार की तरक्की एवं प्रगति के बारे में भी बताया । उन्होंने माॅरीशसवासियों को बिहार आने का न्यौता दिया क्योंकि बिहार ज्ञान एवं अध्यात्म की भूमि है ।

बिहार के लोग अपने पूर्वजों के उनलोगों को अपने बीच पाकर बहुत खुश होंगे जो बिहार के बाहर दूसरे देश में बिहारी संस्कृति को संजो कर रखे हुए हैं । नवम्बर, 2018 ई० में वाराणसी में होने वाले प्रवासी दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनाये गये माॅरीशस के माननीय प्रधनमंत्राी श्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ को उन्होंने पटना और बोध्गया आने का निमंत्राण भी दिया ।

इस अवसर पर माननीय श्री इवान लेज्ली को लैंदा वेल्लू,उप प्रधनमंत्राी, माॅरीशस सरकार। राईट ओनरेबेल सर अनिरू (जगन्नाथ, मार्गदर्शक मंत्राी, माॅरीशस सरकार ।

माननीया श्रीमती पफजीला जीवा दोरेआवू, उप प्रधनमंत्राी, माॅरीशस सरकार । माननीय श्री पृथ्वीराज सिंह रूपन, कला एवं संस्कृति मंत्राी । माननीय जेवियर लुक दुवाल, नेता, विपक्ष श्री अभय ठाकुर) भारतीय उच्चायुक्त । श्री धर्म यशदेव धुनी, चेयरमैन, आप्रवासी घाट ट्रस्ट फंड मौजूद थे

अभय शंकर राय
अवर सचिव
बिहार विधन सभा, पटना ।

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