• January 7, 2018

वनस्थली विद्यापीठ-34वां दीक्षान्त समारोह —पंचमुखी शिक्षा पद्धति को सम्पूर्ण देश को अपनाने की आवश्यकता – उपराष्ट्रपति

वनस्थली विद्यापीठ-34वां दीक्षान्त समारोह —पंचमुखी शिक्षा पद्धति को सम्पूर्ण देश को अपनाने की आवश्यकता – उपराष्ट्रपति

जयपुर———– उपराष्ट्रपति श्री एम.वैंकेया नायडू ने कहा कि वनस्थली विद्यापीठ विश्व में महिला शिक्षा की अनूठी संस्था है, यहाँ की पंचमुखी शिक्षा पद्धति विद्यार्थियों के लिए समग्र शिक्षा है और उनके सर्वांगीण विकास एवं चरित्र निर्माण के लिए आवश्यक है। सम्पूर्ण देश को इसे अपनाने की आवश्यकता है।
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श्री नायडू ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ भारत सरकार की एक महत्वांकाक्षी योजना है जिसमें कि वनस्थली विद्यापीठ जैसी संस्था की प्रमुख भूमिका है। इस सामाजिक ध्येय को वनस्थली विगत 82 वषोर्ं से साकार रूप दे रहा है।

उपराष्ट्रपति श्री एम.वैंंकेया नायडू रविवार को वनस्थली विद्यापीठ का 34वें दीक्षान्त समारोह को मुख्य आतिथ्य के रुप में सबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वनस्थली परपरा और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय है। यह हमारी उन्नत और उर्वर संस्कारों की जमीन से जुड़ा है फिर भी यह आपको प्रत्येक जगह से ज्ञान की ताजा हवा और अनुभव प्राप्त करने के लिए विमुक्त रखता है, यह आपको प्रज्ञा के चमकदार प्रकाश से चैतन्य बनाता है और आलोकित करता है।

वनस्थली आना मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्व में महिलाओं की सबसे बड़ी आवासीय शिक्षण संस्था के 34वें दीक्षान्त समारोह में भाग लेना मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है। मैं पं. हीरालाल शास्त्री, श्रीमती रतन शास्त्री को एवं उन सभी व्यक्तियों को जिन्होंने इस संस्था को बनाने और महानता तक पहुँचाने का कार्य किया उन सभी को साधुवाद देता हूँ।

उप राष्ट्रपति ने छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में यह एक ऎसी सशक्त शिक्षण संस्था के रूप में उभरा है, जिसने अपने विद्यार्थियों को जीवन में विभिन्न भूमिकाएँ बखूबी निभाने के लिए तैयार किया है। शिक्षण संस्थाओं की भीड़ में वनस्थली विद्यापीठ ने एक अलग मुकाम हासिल किया है और न केवल देश में अपितु विदेशों में भी याति अर्जित की है।

मैं यहाँ की पंचमुखी शिक्षा से अत्यंत प्रभावित हूँ, यह आपके लिए ही नहीं, आपके राजस्थान के लिए भी नहीं वरन् सम्पूर्ण देश के लिए अनुकरणीय है। मैं चाहता हूँ सम्पूर्ण देश इसे अपनाये।

श्री नायडू ने कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति में गार्गी, लोपामुद्रा और विद्योमा जैसी विदुषी महिलाओं को अत्यंत उच्च स्थान देकर नारी की शक्ति एवं विद्वता का समान किया गया है। मुझे विश्वास है कि आप भी विदुषी महिलाओं की विरासत को आगे बढाएंगे। हमें महिलाओं की शक्ति और सामथ्र्य पर विश्वास करना होगा और उन्हें मौका देना होगा। अवसर मिलने पर महिलाएँ भी अपनी विद्वता और सामथ्र्य से देश के विकास में उल्लेखनीय योगदान दे सकती हैं।

मातृभाषा में पढ़कर ही मैं उप राष्ट्रपति के पद तक पहुँचा हूँ…

श्री नायडू ने छात्राओं का आह्वान करते हुए कहा कि विश्व भारत की तरफ देख रहा है। इसलिए राष्ट्र निर्माण के लिए आप जैसी शिक्षित युवाओं की आवश्यकता है जो भारत को वैश्विक बुलन्दियों पर पहुँचा सकते हैं।

हमें माँ, मातृभूमि, मातृभाषा और गुरू को नहीं भूलना चाहिए। मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मातृभाषा में पढ़कर ही मैं उप राष्ट्रपति के पद तक पहुँचा हूँ। मातृभाषा अपनी आँख और परायी भाषा चश्मा है। उन्होंने छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहिए और सम्पूर्ण संकीर्णताओं से ऊपर उठकर राष्ट्र के निर्माण में योगदान देना चाहिए।

उन्होंने डॉ. अदुल कलाम के कथन को उदृत करते हुए कहा कि आपके पास सपने होने चाहिए और उन सपनों को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम और अनुशासनबद्धता होनी चाहिए। मैंने यहाँ की दीक्षार्थियों में अद्भुत आत्मविश्वास और दृढ़ता देखी जो कि देश के विकास के लिए शुभ संकेत है।

उन्होंने छात्राओं का आह्वान करते हुए कहा कि आपको यह याद रखना होगा कि एक विश्वविद्यालय सिर्फ अपने वर्तमान विद्यार्थियों की वजह से ही ऊँचाईयाँ नहीं छूता अपितु उसके भूतपूर्व विद्यार्थियों के विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्य करने से भी श्रेष्ठता की ओर बढ़ता है।

मैं यह आशा करता हूँ कि आप सभी ऊँचाइयों को छूएंगे और ना सिर्फ अपनी मातृसंस्था की सफलता में योगदान देंगे वरन् अपने समाज, अपने राष्ट्र व सपूर्ण विश्व को कल्याण के रास्ते पर ले जायेंगे। हमें यह स्मरण रखने की आवश्यकता है कि हम भारतीय हैं और हमें भारतीयता, भारतीय संस्कृति, मानवीयता और हमारी धरोहर पर गर्व होना चाहिए।

वनस्थली विद्यापीठ की प्रशंसा में श्री नायडू ने कहा कि मुझे यह भी मालूम हुआ है कि यहाँ के पुस्तकालय में अनेक दुर्लभ पुस्तकें उपलध हैं, जिन्हें डिजिटाइजेशन के द्वारा संरक्षित किया गया है। इस परिसर में स्पष्ट रूप से डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और लीन इंडिया का मिश्रण दिखायी देता है। हाल ही में अटल इंयूबेशन सेन्टर की स्थापना से विश्वविद्यालय अपनी युवा उद्यमियों के द्वारा गौरवान्वित होगा जो कि स्टार्टअप इंडिया अभियान के लिए प्रेरक होंगी।

मेरे के लिए सौभाग्य का विषय…

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेरे लिए सौभाग्य का विषय है कि वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति ने यहाँ आने के लिए आमंत्रित किया और महिला शिक्षा के क्षेत्र में शास्त्री परिवार के इस महिला शिक्षा के क्षेत्र सराहनीय कार्य को देखकर मैं अभिभूत हूँ। मैं देश के सभी उद्योगपतियाें से कहूंगा कि वे आकर महिला शिक्षा सशक्तिकरण के इस महान कार्य के लिए सहयोग करें।

बेटी को बतांऊगा, यहां के दर्शन करे

उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू ने महिला विश्वविद्यालय वनस्थली विद्यापीठ की छात्राओं की पंंचमुखी शिक्षा से इतने प्रभावित हुए कि मंच से ही अपने उद्बोधन में कहा कि मैं अपनी बेटी को बताऊंगा कि वह यहां के दर्शन करे तथा यहां का अध्ययन करे।

नायडू को राष्ट्रगान पर सलामी

इससे पूर्व उप राष्ट्रपति वनस्थली विद्यापीठ के 34वें दीक्षान्त समारोह मंो हेलीकॉप्टर से जयपुर से वनस्थली हवाई क्षेत्र पर ठीक 10.10 मिनट पर ‘मारूत मैदान’ में उतरे, जहां पर वनस्थली के कुलपति प्रो. आदित्य शास्त्री व उपाध्यक्ष प्रो. सिद्धार्थ शास्त्री ने अगवानी की। उसके बाद उपराष्ट्रपति को बैंड के मधुर धुनों के बीच राष्ट्रगान प्रस्तुत कर छात्राओं ने सलामी दी।

नायडू ने कई भूमिकाओं को सफलतापूर्वक निभाया
-प्रो.आदित्य शास्त्री

दीक्षान्त समारोह के प्रारंभ होने की घोषणा करते हुए विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आदित्य शास्त्री ने अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि दीक्षान्त समारोह पाश्चात्य शैली में नहीं होना चाहिए। हमारा दीक्षान्त समारोह वैदिक ऋचा से आरम्भ होता है और सभी भारतीय पोषाक पहनते हैं तथा भारतीय संस्कृति के अनुसार गुरूकुल जैसी दीक्षा दी जाती है।

प्रो. शास्त्री ने यह भी कहा कि वनस्थली की सादगीपूर्ण, विनम्रता व शीलता की विचारधारा भारतीय राष्ट्रवाद एव राष्ट्रीयता के दो स्तंभों पर खड़ी है। वनस्थली जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यह एक पिता के दृढ़ संकल्प का परिणाम है कि प्रत्येक छात्रा को उसी रूप में शिक्षा देंगे जैसे वे अपनी असामयिक खोई पुत्री को देते। वनस्थली ने 1935 में यह यात्रा शुुरू की जब महिला शिक्षा की संकल्पना ही नहीं थी।

हमारे संस्थापकों ने घर-घर जाकर छात्राओं को अध्ययन के लिए प्रेरित किया। कई दशकों तक बिना कोई शुल्क के यह कार्य किया गया। 83 वर्ष पूर्व आरंभ हुए यह संस्था आज विश्व का सबसे बड़ा महिला आवासीय विश्वविद्यालय बन गया है जहाँ करीब 15 हजार छात्राएं अध्ययनरत है। 850 एकड़ क्षेत्र में फेले राजस्थान के इस ग्रामीण परिवेश में स्थित अनूठे शैक्षिक आदर्श को लेकर चले इस संस्था में नर्सरी से लेकर पीएच.डी तक की शिक्षा है।

मंगल गीत के बीच श्री नायडू का सूत की माला से स्वागत

वनस्थली विद्यापीठ के स्वागत द्वार पर देश के उपराष्ट्रपति श्री एम.वैंकेया नायडू सहित उनके साथ मौजूद जिला प्रभारी मंत्री श्री राजपाल सिंह शेखावत, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री श्री अरूण चतुर्वेदी तथा क्षेत्र के सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया आगमन पर मंगल गीतों के बीच विद्यापीठ की अध्यक्ष प्रो. चित्रा पुरोहित, वनस्थली के उपाध्यक्ष प्रो. सिद्धार्थ शास्त्री एवं कुलपति प्रो. आदित्य शास्त्री, ईना शास्त्री सहित वनस्थली परिवार के सदस्यों द्वारा ने पारंपरिक स्वागत किया और छात्राओं ने पारंपरिक शैली में सूत की माला पहनाकर स्वागत गान के साथ अभिनन्दन किया।

शांताबाई शिक्षा कुटीर से हुए प्रभावित

उपराष्ट्रपति ने वनस्थली की मूल प्रेरणा शक्ति श्रीशान्ताबाई शिक्षा कुटीर का अवलोकन किया, जहां पर विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आदित्य शास्त्री ने इस स्थान की महानता से अवगत कराया। तदुपरान्त मुख्य अतिथि श्री नायडू विद्यापीठ की विविध गतिविधियों का अवलोकन कर प्रभावित हुए।

सेरिमोनियल परेड में फहराया राष्ट्रीय ध्वज

श्री नायडू ने वनस्थली सेवा दल द्वारा प्रस्तुत सेरिमोनियल परेड में कार्यक्रम में शामिल होकर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और अनेकता में एकता के रुप में विभिन्न राज्याें व देशाें की छात्राओं की परेड का निरीक्षण कर सलामी दी।

छात्राओं ने बैंड की मधुर धुनों पर वंदेमातरम… और सारे जहां से अच्छा हिन्दूस्तान हमारा… देशभक्ति गीतों के बीच परेड करते हुए जोश के साथ सलामी दी तो उपराष्ट्रपति नायडू ने छात्राओ की परेड़ के दौरान सलामी देते हुए उनका उत्साह वर्धन किया।

3843 को उपाधि तो 99 को गोल्ड मैडल प्रदान किए

देश के उप राष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने वनस्थली विद्यापीठ वनस्थली विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों में 3847 छात्राओं को उपाधियॉं प्रदान की गई। जिनमें से 299 दीक्षार्थियों को पीएच.डी. उपाधि दी गई एवं 99 छात्राओं को मुख्य अतिथि ने स्वर्ण पदक देकर समानित किया।

विद्यापीठ के उपाध्यक्ष प्रो. सिद्धार्थ शास्त्री ने विद्यापीठ की और से महामहिम उपराष्ट्रपति श्री एम.वैंकया नायडू का शॉल ओढ़ा कर एवं स्मृति चिह्न देकर समान किया। इस अवसर पर छात्राआें, अतिथियों अभिभावकों हेतु घुड़सवारी, लाइंग, शूटिंग एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गये।

इस दौरान जिला प्रभारी मंत्री श्री राजपाल सिंह शेाावत, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री श्री अरुण चतुर्वेदी, टोंक सवाई माधोपुर सांसद श्री सुखबीर जौनापुरिया, देवली उनियारा विधायक श्री राजेन्द्र गुर्जर, निवाई पीपलू विधायक श्री हीरालाल रैगर, जिला प्रमुख श्री सत्यनारायण चौधरी, ईना शास्त्री, चित्रा पुरोहित, संभागीय आयुक्त श्री हनुमान सहाय मीणा, आईजी अजमेर मालिनी अग्रवाल, जिला कलेटर श्री सूबे सिंह यादव, पुलिस अधीक्षक प्रीति जैन, एडीएम श्री लोकेश कुमार गौतम सहित अन्य गणमान्य नागरकि मौजूद थे।

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