बेचारे कुँवारें ! –शैलेश कुमार

बेचारे कुँवारें ! –शैलेश कुमार

आज ग्रामीण और शहरी गरीबों को आवास योजना के तहत आवास मुहैया करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। लेकिन उन गरीबों के लिए सरकार क्या करने जा रही है जो कुँआरा हैं। जो देश की शक्ति है। जो राष्ट्र का आधार स्तम्भ हैं।

परिवार वालों तो देश के हित में सोच ही नहीं सकते हैं, क्योंकि उनका परिवार ही पहाड़ है।

इस पहाड़ को ढोने के लिए तरह – तरह से जुगाड़ लगा कर चूना लगाने में व्यस्त रहते हैं। इसलिए प्रधानमन्त्री और मुख्यमंत्री को उपेक्षा के वजाय कुँवारों पर विशेष योजना जारी करनी चाहिए।

राज्य के मुख्यमंत्री (खट्टर ) और देश के प्रधानमंत्री के पास इन कुँवारों के बारे में कोई योजना नहीं है तो , तो ऐसे वंशलोचन सरकार को अवश्य ही नीचा दिखलाना चाहिए।

कुंवारा शब्द इतना प्रिय है की शादीशुदा भी कुंवारा टाइटल रख कर गर्व महसूस करतें हैं तथा डोरे डालने में व्यस्त रहते हैं ।

Related post

मानव अधिकारों के उल्लंघन : जहरीली गैसों के कारण दम घुटने से चार लोगों की मौत   : राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

मानव अधिकारों के उल्लंघन : जहरीली गैसों के कारण दम घुटने से चार लोगों की मौत…

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, (एनएचआरसी), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि…
आरक्षण का लाभ अभी भी निम्नतम स्तर तक पहुँचना बाकी है : न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा (राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग)

आरक्षण का लाभ अभी भी निम्नतम स्तर तक पहुँचना बाकी है : न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा (राष्ट्रीय…

नई दिल्ली: — राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने…
मामला दर्ज किए बिना हिरासत में नहीं ले सकती हैं और न पूछताछ नहीं कर सकती : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय

मामला दर्ज किए बिना हिरासत में नहीं ले सकती हैं और न पूछताछ नहीं कर सकती…

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत एक कश्मीर निवासी की…

Leave a Reply