अकाष्ठीय वनोपज संरक्षण पर हुई कारगर कार्यशाला

अकाष्ठीय वनोपज संरक्षण पर हुई कारगर कार्यशाला

भोपाल :(सुनीता दुबे)——— भोपाल में कल से आरंभ अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में लोगों की अच्छी खासी भीड़ उमड़ने लगी है। मेले में नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, केरल आदि राज्यों के करीब 300 स्टॉल हैं जिन पर अब तक करीब 10 लाख रुपये की वनौषधियों का विक्रय किया जा चुका है।

लोगों को बाँस का फर्नीचर भी खासा लुभा रहा है। नि:शुल्क ओपीडी में आज 120 चिकित्सकों और वैद्यों द्वारा सेवाएँ दी गईं।

नेपाल की संस्था ICIMOD ने गृहणियों द्वारा तैयार कराये गये बिच्छू घास (हिमालय नेटल-अर्टिया डायोनिया) से बने बैग, पर्स, टोपी, दुपट्टा, साबुन आदि भी लोकप्रिय हो रहे हैं। भूटान के स्टॉल पर विभिन्न प्रकार के इत्र, चाय और औषधियाँ उपलब्ध हैं। लघु वनोपज संघ के बरखेड़ा पठानी स्थित एमएफपी पार्क की प्रदर्शनी, उत्पाद और औषधीय पौधे इस साल भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।

अकाष्ठीय वन्नोपज संरक्षण पर हुई कार्यशाला

मेले में आज सुबह जागरूकता एवं स्थानीय पारम्परिक ज्ञान के प्रचार से अकाष्ठीय वनोपज का संरक्षण विषय पर कार्यशाला हुई। पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. रामप्रसाद की अध्यक्षता में हुई इस कार्यशाला में नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, महाराष्ट्र, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ राज्यों के प्रतिनिधि, लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री जव्वाद हसन, अपर प्रबंध संचालक श्री राजेश कुमार, श्री सतीश सिलावट, श्री भागवत सिंह और महाप्रबंधक श्री आर.एस. सिकरवार सहित 125 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यशाला में नेपाल की जीआरबीई संस्था के प्रमुख डॉ. माधव कारकी ने ‘स्थानीय एवं परम्परागत ज्ञान’ के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिया। उत्तराखण्ड के हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय के डॉ. सुभाष नौटियाल ने ‘उत्तर पश्चिमी हिमालय में अकाष्ठीय वनोपज का पराम्परागत प्रबंधन’ पर प्रभावी प्रस्तुति दी। नेपाल के श्री कल्याण गवली ने ‘अकाष्ठीय वनोपज का परम्परागत प्रबंधन, ज्ञान और सतत संवहन’, मध्यप्रदेश विज्ञान सभा के डॉ. उमाशंकर शर्मा ने ‘मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की चयनित एवं प्रमुख मण्डियों में अकाष्ठीय वनोपज का सूचीकरण एवं उसके उपयोग’ संबंधी अनुसंधान-पत्र’ का प्रस्तुतिकरण दिया। अंतिम सत्र में जबलपुर के श्री प्रदीप दुबे ने ‘अकाष्ठीय वनोपज के औद्योगिकीकरण, संग्रहण एवं बाजार पद्धति’ पर प्रकाश डाला।

मेला प्रांगण में आज स्कूली छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। बच्चों ने सामूहिक और सोलो-गायन से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सूफियाना कव्वाली कल

वन मेले में कल 16 दिसम्बर को ‘जागरूकता एवं स्थानीय पारम्परिक ज्ञान के प्रचार से अकाष्ठीय वनोपज का संरक्षण’ विषय पर कार्यशाला सुबह 10.30 से 2.30 बजे तक पुन: होगी। इसके अलावा दोपहर 12 से 2 बजे तक स्कूली छात्र-छात्राओं की चित्रकला प्रतियोगिता और शाम 7 से 9 बजे तक मुम्बई के उस्ताद मुनव्वर मासूम सूफियाना कव्वाली कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।

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